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कोरोना की तीसरी लहर: आयेगी ज़रूर, बस मेहनत करते रहिए

सारी लहरें मेहनत से ही आईं हैं। पहली लहर में सरकार जी ने मेहनत की। दूसरी लहर में और ज़्यादा मेहनत की और अब तीसरी लहर की बात हो रही है। सरकार जी और सरकारें भी निरंतर प्रयास कर रही हैं कि तीसरी लहर जल्द ही आये।
कोरोना की तीसरी लहर: आयेगी ज़रूर, बस मेहनत करते रहिए
Image courtesy : DailyMotion

कोरोना लहरों में आ रहा है। पहली लहर आई और लौट गई। फिर दूसरी लहर आई, ज्यादा बड़ी थी, ज्यादा विध्वंसक थी पर उसे भी लौटना पड़ा। अब तीसरी लहर के आने की बात हो रही है। बताते हैं, आएगी जरूर, बस मेहनत करते रहिये। 

सारी लहरें मेहनत से ही आईं हैं। पहली लहर में सरकार जी ने मेहनत की। केन्द्रीय लॉकडाउन से लेकर गाजा-बाजा, दिया-बाती, सब किया और करवाया। गोबर और गोमूत्र भी करवाया और पहली लहर को ससम्मान लाये। जो थोड़ी बहुत कसर बाकी थी, वह बिहार चुनाव ने पूरी कर दी। पहली लहर के समय आम जनता तो डर कर घर में घुसकर बैठी रही। लोगों को कोरोना से अधिक सरकार जी की लाठी का डर जो था। लोग मास्क भी लगा रहे थे और हाथ भी धो रहे थे पर सरकार जी को लहर लानी थी तो वे लेकर आये ही।

पहली के बाद दूसरी आती है तो आई। सरकार जी ने बहुत ही मेहनत की इस बार और उनकी मेहनत रंग भी लाई। पांच राज्यों में चुनाव हुए, कुम्भ मेला भी आयोजित किया गया। इस लहर के लिए मेहनत अधिक की थी तो लहर भी अधिक बड़ी आई। सरकार और सरकारों की मेहनत का ही फल था कि दूसरी लहर में अधिक लोग बीमार पड़े और अधिक ही मरे। कुछ ही लोग अस्पतालों में भर्ती हो पाये और अधिक लोगों को अस्पतालों में जगह ही नहीं मिल पाई। कुछ लोगों को आक्सीजन मिल पाई और अधिक लोगों को आक्सीजन भी नहीं मिल पाई। यह सब सरकार जी और सरकारों की मेहनत से ही संभव हो पाया।

दूसरी के बाद तीसरी आती है। यह गणित का नियम है। तो दूसरी के बाद जो लहर आयेगी वह तीसरी ही कहलायेगी न! ऐसा वैज्ञानिकों का कहना है। और वैज्ञानिक निरंतर गणना कर रहे हैं कि तीसरी लहर कब आयेगी। इसके अलावा तीसरी लहर आये बिना चौथी लहर भी नहीं आ सकती है इसलिए भी तीसरी लहर का आना आवश्यक है। सरकार जी और सरकारें भी निरंतर प्रयास कर रही हैं कि तीसरी लहर जल्द ही आये। वे कांवड़ यात्रा को जारी रखना चाहती हैं, ईद पर ढील देना चाहती हैं परन्तु उच्चतम न्यायालय बाधा बन कर बीच में आ जाता है। वह उत्तर प्रदेश को कांवड़ यात्रा बैन करने को कहता है और केरल को ईद पर कड़ाई बरतने को। अगर सरकार जी और सरकारें चाहें तो वे तीसरी‌ लहर जल्दी ही ला सकती हैं पर यह उच्चतम न्यायालय सरकारों की राह में बाधा बन रहा है।

अब, क्योंकि सरकार जी और सरकारें अपनी भरसक कोशिश के बावजूद, संभव है कि कोरोना की तीसरी लहर शीघ्र ही न ला पाएं, न्यायालय रुकावट डालता ही रहे। तो यह हम आम लोगों की जिम्मेदारी है कि हम देखें कि कोरोना की तीसरी लहर आ रही है और जल्द ही आ रही है। क्योंकि अगर तीसरी लहर ने आने में देर कर दी तो सरकार जी जल्दी ही घोषणा कर देंगे कि उन्होंने कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली है। 

ऐसे में हम लोगों की जिम्मेदारी है कि हम ऐसा वातावरण बनाएं कि कोरोना की तीसरी लहर आ सके, जल्द ही आ सके। घर पर न रहें बिना काम के भी घर से बाहर निकलें। बाजारों में बार बार जाएं, बिना काम के जाएं, सिर्फ भीड़ बढ़ाने के लिए जाएं। हिल स्टेशनों पर, पिकनिक मनाने के स्थानों पर, सब जगह भीड़-भाड़ बनाये रखें। भीड़ बढ़ाये रखने से कोरोना को फैलने में सहायता मिलती है। तो तीसरी लहर लाने के लिए जरूरी है कि भीड़ वाली जगहों पर जायें, भीड़-भाड़ बनाये रखें। 

डेढ़ साल हो गया किसी यार-दोस्त, रिश्तेदार की शादी में गए हुए। गए भी तो अकेले ही गए और वहां जाकर मुंह बांध कर, दूर दूर एक कोने में बैठे रहे। डर के मारे कुछ खाया-पीया भी नहीं। पर अब किसी शादी-ब्याह में जाने का, पार्टी-वार्टी में मौका मिले तो सपरिवार जाएं। और यह मास्क-वास्क रहने ही दें। मास्क पहनने से यह सुंदर चेहरा, यह मंहगा मेकअप, दिखता ही नहीं है। आखिर तीसरी लहर हमें ही तो लानी है।

वैसे भी मास्क लगाना अब छोड़ ही दें। मास्क पहनने से चेहरे की सारी रंगत ही जाती रही है। चेहरा पिचक गया है, होंठ सूख गए हैं, नाक पकोड़े सी बन गई है और कान, उनकी तो पूछिए ही मत। कान खिंच खिंच कर पपड़ी बन गए हैं। हर समय दर्द से ऐसे ऐंठते रहते हैं जैसे किसी ने जोर से मरोड़ दिए हों। सारा चेहरा बेकार हो गया है इस मास्क की कृपा से। वैसे भी मास्क लगाना छोड़ेंगे तभी तो तीसरी लहर आयेगी। तीसरी लहर लाने के लिए मेहनत हमें ही तो करनी है।

और बार बार हाथ धोना, हाथ सेनेटाइज करना, वह तो जैसे जी का जंजाल है। इतना साबुन और पानी खर्च होता है कि बस पूछिए ही मत। जितना पानी नहाने में नहीं खर्च होता है उससे ज्यादा हाथ धोने में खर्च हो जाता है। कई बार तो ऐसा लगता है कि जितना खर्च मास्क, सेनेटाइजर, साबुन और पानी पर हो गया है उससे कहीं कम में तो कोरोना का इलाज ही हो जाता। ऊपर से हाथ और खराब हो गए हैं। हाथ की चमड़ी तो ऐसे गल सी गई है जरा सा मलने पर ही उतरने लगी है। उधर सेनेटाइजर के केमिकल ने ऐसा कमाल किया है कि चमड़ी जगह जगह से कठोर हो गई है। तो भाईयों (और बहनों), अब से बार बार हाथ धोना, सेनेटाइज करना भी बंद। आखिर तीसरी लहर लाने के लिए मेहनत भी तो हमें ही करनी है।

तो शुरू हो जाओ। तीसरी लहर जनता को ही लानी है। तो फिर अब सोशल डिस्टेंसिंग बंद। मास्क का प्रयोग बंद। बाजारों में, घूमने-फिरने की जगहों पर भीड़-भाड़ शुरू। हाथ धोना, सेनेटाइज करना भी बंद। यकीन न हो तो मनाली, मसूरी और नैनीताल की हालिया फोटो देख लीजिए। पास में ही देखना है तो अपने शहर के बाजार घूम आईये। भीड़-भाड़ तो इतनी मिलेगी कि कंधे से कंधा टकरा रहा होगा। और मास्क, उसे पहने लोग दिखाई दे जाएं तो अपने को भाग्यशाली समझिएगा। तो समझ लो, जनता तीसरी लहर लाने के लिए पूरी मेहनत कर रही है।

लेखक की ओर से: 

यह एक व्यंग्य लेख है। कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है। बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलिए। आपस में दूरी बना कर रखिए। मास्क लगाएं और बार बार हाथ धोते रहें। बचाव में ही समझदारी है। तीसरी, चौथी या पांचवीं लहर लाने की जिम्मेदारी हम आम जनता की नहीं है। यह काम सरकार को ही करने दीजिए।

(इस व्यंग्य स्तंभ ‘तिरछी नज़र’ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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