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यूपी: जालौन में दलित नाबालिग से बंदूक की नोक पर दुष्कर्म, पुलिस पर मामला दबाने का आरोप

पीड़िता के पिता का आरोप है कि तुरंत कोई एक्शन लेने की बजाय पुलिस ने उन पर समझौता करने का दबाव बनाया। घटना के एक दिन बाद तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला सुरक्षा...महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नहीं थकते। साल 2017 में सत्ता पर काबिज़ होने के बाद से सीएम योगी लगातार ज़ीरो टॉलरेंस, न्यूनतम अपराध और बेहतर कानून व्यवस्था का दावा करते रहे हैं। हालांकि ज़मीनी हक़ीक़त की बात करें तो आज भी महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप राज्यों में शामिल है। ताज़ा मामला राज्य के जालौन जिले से सामने आया है, जहां बन्दूक की नोक पर एक नाबालिग दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप किया गया है। पुलिस इस मामले में खुद एक्शन लेने की बजाय समझौता करने का दबाव बनाने को लेकर सवालों के घेरे में है।

बता दें कि ‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा' मोटो के साथ यूपी पुलिस अक्सर सवालों के घेरे में रहती है। आम जनता के इन 'रक्षकों' पर कभी पीड़ित को प्रताड़ित करने का आरोप लगता है, तो कभी मामले को दबाने को लेकर सवाल उठते हैं। पुलिस खुद कभी शोषक के रूप में नज़र आती है तो कभी आरोपियों की मदद करती। अपराध, विवाद में कानून का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे यूपी पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट की कई बार फटकार के बाद दिल्ली हाईकोर्ट भी इनकी तगड़ी झाड़ लगा चुका है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मामला जालौन कोतवाली क्षेत्र के व्यासपुरा गांव का है। यहां दलित नाबालिग पीड़िता शाम को अपने ही मोहल्ले की एक दुकान पर सामान लेने गई थी। आरोप है कि वहां पहले से ही मौजूद गांव के ही दो युवक मलखान और जीतू ने उसे इशारा कर अपने पास बुलाया। ये दोनों पीड़िता को पास बुलाकर उसे बन्दूक की नोक पर सुनसान इलाके में ले गए और वहां कथित तौर पर उसका रेप किया। इसके बाद युवकों ने लड़की को धमकाया कि अगर उसने इस बारे में पुलिस को बताया तो वे उसके घरवालों को मार डालेंगे। घर आने के बाद लड़की ने अपने घरवालों को घटना की जानकारी दी।

लड़की के पिता को जब इस बारे में पता चला तो वो फ़ौरन इसकी शिकायत दर्ज़ करवाने पुलिस स्टेशन पहुंचे। पिता का आरोप है कि तुरंत कोई एक्शन लेने की बजाय पुलिस ने उन पर समझौता करने का दबाव बनाया। घटना के एक दिन बाद तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस के इस रवैये से परेशान होकर पीड़िता ने जालौन पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार इस पूरे प्रकरण में अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी ने मीडिया को बताया कि जालौन कोतवाली क्षेत्र में एक मामला आया है। एक लड़की ने शिकायती पत्र दिया है। जांच की जा रही है और 164 के बयान लिए जा रहे हैं। मेडिकल परीक्षण कराया गया है। इसके बाद जो तथ्य सामने निकलकर आएंगे उसके आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

मालूम हो कि 2022 यूपी विधानसभा चुनाव की रैलियों में सीएम योगी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नज़र आ रहे थे। हालांकि सरकारी संस्था राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट हुए, जो कुल शिकायतों का आधा से ज्यादा का आंकड़ा है। आयोग की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। जिसमें सबसे अधिक 15,828 शिकायत यूपी से थीं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम में भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है। यहां साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराये गये थे।

बलात्कार के मामले में भी उत्तर प्रदेश पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। यानी राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं। साल 2020 में देश भर में बलात्कार के कुल 28046 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में कुल 2,769 मामले दर्ज हुए।

यूपी में अपराध का बढ़ता ग्राफ़

गौरतलब है कि देश में दलितों पर हर चौथा अपराध उत्तर प्रदेश में होता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में साल 2017 में दलितों के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 11,444 था, जो 2019 में बढ़कर 11,829 हो गया। यानी देश में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 25.8% है। वहीं साल 2020 के आंकड़ें देखें तो, देश में दलितों के खिलाफ अपराध के कुल 50,291 मामले दर्ज हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 12,714 मामले दर्ज हुए। यानी दलित उत्पीड़न में प्रदेश पूरे देश में अव्वल पर है।

बहरहाल, सीएम योगी आदित्यनाथ की 'ठोक दो' की नीति, 'न्यूनतम अपराध' के दावे और उत्तम प्रदेश के दावों से इतर प्रदेश की जमीनी सच्चाई ये है कि उत्तर प्रदेश में हर तरह के अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। वंचित, शोषित लोग न्याय की आस में दर-बदर भटक रहे हैं तो वहीं पुलिस पीड़ित को और प्रताड़ित कर रही है। कुल मिलाकर देखें तो सत्ता में वापसी के बाद भी बीजेपी की योगी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर विफल ही नज़र आती है।

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