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सोनभद्र में नक़ाबपोश बदमाशों ने नाम पूछकर दो आंचलिक पत्रकारों को मारी गोली, बनारस के ट्रामा सेंटर में भर्ती

श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के बैनरतले सोनभद्र के पत्रकारों के एक समूह ने हमलावरों को पकड़ने और दोनों पत्रकारों को सुरक्षा देने की मांग को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। हमलावरों की गिरफ्तारी न होने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी गई है। 
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पत्रकार विजय शंकर पांडेय और पत्रकार श्याम सुंदर

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के खलियारी कस्बे में इंडियन बैंक पनिकप कला के सामने एक चाय की दुकान में बैठे दो आंचलिक पत्रकारों को नकाबपोश बदमाशों ने गोली मार दी। यह घटना गुरुवार की शाम करीब आठ बजे की है। घायल पत्रकारों में एक हैं श्याम सुंदर पांडेय और दूसरे विजय शंकर पांडेय। दोनों पत्रकार क्रमशः ''दैनिक जागरण'' और ''अमर उजाला'' के लिए समाचार संकलन का काम करते हैं। गोली मारने से पहले बदमाशों ने इनका नाम पूछा और बाद में ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गंभीर रूप से घायल दोनों पत्रकारों को बनारस के बीएचयू स्थित ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। श्याम सुंदर की हथेली और विजय शंकर के सिर में गोली फंसी हुई है। सोनभद्र जिला पुलिस के अफसर भी यह बता पाने की स्थिति में नहीं हैं कि नकाबपोश बदमाशों ने नाम पूछने के बाद दोनों पत्रकारों पर फायरिंग क्यों की?

विजय शंकर पांडेय

घटनाक्रम के मुताबिक, पत्रकारों पर हमला करने वाले दोनों नकाबपोश बदमाश पल्सर बाइक से वैनी को ओर से हेल्मेट लगाकर पहुंचे थे। वारदात को अंजाम देने के बाद बिहार सीमा की ओर भाग निकले। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बदमाशों ने दोनों पत्रकारों से बारी-बारी से उनका नाम पूछा और फिर दोनों को लक्ष्य कर फायर झोंक दिया। बदमाशों ने पत्रकारों को भागने का मौका ही नहीं दिया। पत्रकार श्यामसुंदर के दाहिने हाथ में और विजयशंकर को सिर के पास गोली लगी जिससे दोनों वहीं गिर गए। गोली चलते ही खलियारी में अफरा-तफरी और दशहत फैल गई। सोनभद्र के रायपुर थाने की पुलिस आनन-फानन में घटनास्थल पर पहुंची और जांच में जुट गई है। रायपुर के थाना प्रभारी पीपी श्रीवास्तव ने दावा किया कि जल्द ही हमलावरों को पकड़ लिया जाएगा। हालांकि करीब बीस घंटे बीत जाने के बावजूद सोनभद्र थाना पुलिस बदमाशों का सुराग नहीं लगा सकी है।

श्याम सुंदर

मौका-मुआयना करने के बाद सोनभद्र के अपर पुलिस अधीक्षक (ऑपरेशन) विजय शंकर मिश्र ने कहा, ''खलियारी कस्बे में पत्रकारों पर हुई फायरिंग सुनियोजित घटना प्रतीत हो रही है। फायरिंग में श्याम सुंदर को हाथ में गोली लगी है और विजय शंकर के सिर के पास से गोली छूते हुए निकल गई है। घायल पत्रकारों को पहले वैनी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें वाराणसी के बीएचयू स्थित ट्रॉमा सेंटर रेफ़र कर दिया गया। रायपुर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर हमलावरों की तलाश शुरू कर दी है। वारदात के कारणों का पता लगाया जा रहा है। बदमाशों के संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।''

गुस्से में मीडियाकर्मी

सोनभद्र के आंचलिक पत्रकारों पर हुए हमले को लेकर जिले के मीडियाकर्मी गुस्से में हैं। पत्रकारों में इस बात को लेकर गुस्सा ज्यादा है कि पुलिस अभी तक हमलावरों के बारे में सुराग नहीं लगा सकी है। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के बैनरतले सोनभद्र के पत्रकारों के एक समूह ने हमलावरों को पकड़ने और दोनों पत्रकारों को सुरक्षा देने की मांग को लेकर शुक्रवार को पूर्वांह्न 11.30 बजे सोनभद्र के जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। वरिष्ठ पत्रकार राम प्रसाद यादव की अगुवाई में ब्रजेश शुक्ला, विजय विनीत तिवारी, सुनील तिवारी, विनय सिंह, संदीप मिश्रा ने 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी न होने पर आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। पत्रकारों ने प्रशासन से दोनों घायल पत्रकारों को मुआवजा, मुफ्त इलाज और सुरक्षा देने की मांग भी उठाई है।

सोनभद्र के पत्रकार डीएम को मांगपत्र सौंपते हुए

फिलहाल दोनों पत्रकारों की हालत खतरे से बाहर हैं। गोली से घायल पत्रकार श्याम सुंदर पांडेय ने ''न्यूजक्लिक'' से कहा, ''कुछ पत्रकार साथियों के संग एक दुकान में बैठकर चाय पी रहे थे, दौरान हम दोनों के ऊपर हमला हुआ। हम अपनी जान बचाकर भागने लगे उसी दौरान हमारे हाथ में गोली लगी और अन्य त्रकार विजय शंकर पांडेय उर्फ लड्डू पांडेय के सिर के पास से गोली छूते हुए निकल गई। हम दोनों की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी।''

अबूझ पहेली बनी वारदात

रायपुर थाना पुलिस के मुताबिक, दैनिक जागरण के पत्रकार श्याम सुंदर पांडेय नगवां ब्लाक के पूर्व प्रमुख प्रवीण सिंह के चहेते रहे हैं। इनके मार्फत वह ठेकेदारी भी किया करते थे। इस बार भाजपा के आलोक सिंह ब्लाक प्रमुख चुने गए। चुनाव के समय पुलिस को हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी थी। खलियारी के पत्रकारों का एक गुट सपा प्रत्याशी राधिका सिंह का समर्थन कर रहा था। खलियारी के दोनों आंचलिक पत्रकारों को गोली मारे जाने के मामले में कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। पुलिस अफसर खामोश हैं और घटना की वजह बताने से इनकार कर रहे हैं।

सोनभद्र के वरिष्ठ पत्रकार शिवदास प्रजापति कहते हैं, ''हमलावर प्रोफेशनल शूटर प्रतीत नहीं हो रहे हैं। संभवतः उनका इंटेंशन पत्रकारों को जान से मारने का नहीं था। यह मामला आपसी रंजिश अथवा तस्करी का हो सकता है। सोनभद्र जिले पशु तस्करों के कई गिरोह हैं, जिनका नेटवर्क काफी मजबूत है। खलियारी के रास्ते सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली से लगायत बनारस तक के पशुओं को बिहार के रास्ते पश्चिम बंगाल तक भेजा जाता है। यह भी संभव है कि पशु तस्करों के लिए दोनों पत्रकार किरकिरी बन गए होंगे। तभी उनके ऊपर हमले हुए होंगे।''

सोनभद्र के रायपुर थाना क्षेत्र के खलियारी कस्बे से यूपी और बिहार की सीमाएं जुड़ती हैं। सोनभद्र जिले के करमा, सुक्रुत, मधुपुर, राबर्ट्सगंज, पन्नूगंज, चौकी, रायपुर इलाके पशु तस्करी के बड़े गढ़ माने जाते हैं। सोनभद्र जिला मादक पदार्थों की तस्करी का भी बड़ा हब है। उड़ीसा का गांजा इसी रास्ते से यूपी में आता रहा है। शायद ही ऐसा कोई दिन होता है जब गांजा अथवा हेरोइन की खेप यहां बरामद न की जाती हो। रायपुर गांव में कई ऐसे हिस्ट्रीशीटर हैं जो हमेशा थाना पुलिस की नाक के बाल समझे जाते हैं।

रायपुर थाने में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ही रोज पहले पुलिस ने पशु तस्करों का पीछा किया था और उन्हें पशुओं से भरी गाड़ी छोड़कर भागनी पड़ी थी। बाद में दोनों पत्रकारों ने अपने अखबारों में विस्तार से रिपोर्ट छापी थी। राबर्ट्सगंज-खलियारी मार्ग पर पनिकप खुर्द गांव के पास ग्रामीणों की मदद से पशुओं को लेकर बिहार जा रही एक पिकअप गाड़ी पकड़ी थी। पशुओं के साथ ड्राइवर गाड़ी छोड़कर फरार हो गया था।

सोनभद्र के वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष पाठक कहते हैं, ''सोनभद्र के खलियारी से बिहार का अधौरा जिला सटा हुआ है। कुछ साल पहले तक इस इलाके में नक्सल गतिविधियां चरम पर थीं। नक्सल गतिविधियां धीमी पड़ते ही तस्करों ने इस इलाके को अपनी तस्करी का बड़ा केंद्र बना लिया। खलियारी के रास्ते बिहार में तेंदू का पत्ता, चिंरौजी, सागौन की लकड़ी ही नहीं, सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के जंगलों से निकाली गई तमाम कीमती जड़ी बूटियों की तस्करी भी इसी रास्ते से होती है। पत्रकारों पर हमला सुनियोजित था, तभी उन पर लक्ष्य साधकर हमला किया गया। संभव है कि हमले के पीछे तस्करों का हाथ हो, क्योंकि कुछ रोज पहले ही पशु लदे तस्करों की एक गाड़ी पकड़ी गई थी। खलियारी के पत्रकारों के प्रयास से ही ग्रामीणों ने पीछा करके पशु तस्करों की गाड़ी पकड़ी और पुलिस के हवाले किया था।''

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