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उत्तराखंड: सैन्य धाम ही नहीं स्वास्थ्य धाम भी ज़रूरी, चुनाव में सेहत मुद्दा नहीं

“कोविड के बीच चुनाव में स्वास्थ्य मोर्चे पर सुधार का मुद्दा कौन उठाएगा? मुद्दा तो राजनीतिक दल ही उठाते हैं। यहां न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष ज़मीनी मुद्दों पर बात कर रहा है। सवाल मतदाता पर भी है। लोग भी चुनाव में इन मुद्दों पर बात नहीं करते।”
JP Nadda in Chamoli PC DIPR
चमोली में 15 नवंबर को शहीद सम्मान यात्रा की शुरुआत करने आए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा

उत्तराखंड में राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आरोप-प्रत्यारोप के साथ ठीक उसी तरह चुनाव प्रचार में जुटे हैं जैसा कि पिछले या उससे भी पिछले विधानसभा चुनाव में रहा। जबकि पिछले दो वर्षों में कोरोना वायरस के साथ हमारी दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है। वर्ष 2021 तक राज्य की कुल आबादी 1.19 करोड़ होने का अनुमान है। 22 नवंबर 2021 तक 344,115 लोग कोविड की चपेट में आ चुके हैं। 7405 लोग जान गंवा चुके हैं। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के मुद्दे पर कोई बात नहीं हो रही।

कोविड की दूसरी लहर के दौरान देश के साथ उत्तराखंड में भी स्वास्थ्य का ढांचा पूरी तरह चरमरा गया था।  देहरादून और हल्द्वानी के अस्पतालों में एक-एक बेड पाने के लिए कोरोना मरीज को कई-कई दिनों का इंतज़ार करना पड़ रहा था। कई-कई तरह से जुगाड़ लगाने पड़ रहे थे। ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी हो रही थी। जीवन रक्षक दवाइयां कम पड़ गई थीं। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इलाज के लिए पैरासिटामॉल की गोलियां और होम आइसोलेशन की व्यवस्था ही सबसे कारगर साबित हुई। ये सिर्फ 7-8 महीने पहले की बात है।

तब हमें समझ आ रहा था कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने की कितनी ज्यादा जरूरत है। ख़ासतौर पर उत्तराखंड जैसे राज्य में। जहां पर्वतीय क्षेत्रों में गंभीर मरीज या गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज मिलना बड़ी चुनौती है।

पिथौरागढ़ में शहीद सम्मान यात्रा में आए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

15 नवंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड आए। चमोली के सवाड़ गांव से उन्होंने शहीद सम्मान यात्रा शुरू की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है, वीर भूमि है, यहां के जाबांजों के किस्से विश्वभर में सुनाए जाते हैं।

20 नवंबर को केंद्रीय रक्षा राजनाथ सिंह आए। उन्होंने पिथौरागढ़ से शहीद सम्मान यात्रा की शुरुआत की और कहा कि उत्तराखंड देवभूमि, तपोभूमि और वीरभूमि है।

राज्य के शहीदों के आंगन की मिट्टी से सैन्यधाम बनाया जा रहा है।

 इसी समय राज्य में कोविड वैक्सीनेशन में तेजी से गिरावट आ रही है। लेकिन कोई भी राजनीतिक दल वैक्सीनेशन और सेहत के मुद्दे पर कोई बात नहीं कर रहा।

वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट कहते हैं “कोविड के बीच चुनाव में स्वास्थ्य मोर्चे पर सुधार का मुद्दा कौन उठाएगा? मुद्दा तो राजनीतिक दल ही उठाते हैं। यहां न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष ज़मीनी मुद्दों पर बात कर रहा है। सवाल मतदाता पर भी है। लोग भी चुनाव में इन मुद्दों पर बात नहीं करते”।

“उत्तराखंड में आज भी पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं को डंडी-कंडी पर अस्पताल ले जाना पड़ता है। सड़क पर डिलिवरी होती है। इलाज न होने से गर्भवती महिलाओं की मौत होती है। पिछले 20 सालों में हम राज्य में सुरक्षित प्रसव करा पाने जितना स्वास्थ्य ढांचा तैयार नहीं कर सके। सरकार कोई न कोई सर्वे करा लेगी कि स्वास्थ्य में रैंकिंग सुधर गई है। ये सुधार सिर्फ कागजों में होता है”।

वह इसके लिए मीडिया को भी दोष देते हैं। “सरकार और विपक्ष हेल्थ सिस्टम को मुद्दा नहीं बनाता। मीडिया में इस पर बात नहीं होती। ये सबकुछ पॉलिटिकल है। चुनाव में मुफ्त बिजली, रोजगार नहीं तो बदले में बेरोजगारी भत्ता देंगे जैसे लोक-लुभावन वादे किए जा रहे हैं। क्या जरूरी मुद्दों पर बात हो रही है”।  

सैन्य धाम पर योगेश कहते हैं “ये अच्छी बात है। सैनिकों का सम्मान होना चाहिए। आने वाली पीढ़ियों को भी इससे प्रेरणा मिलती है। लेकिन सवाल सरकार की मंशा पर है। राज्य में पूर्व सैनिकों की संख्या ज्यादा है। घर-घर में सैनिक हैं। तो सैन्यधाम के ज़रिये भी आपकी नज़र वोटों पर है। इससे वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। उदाहरण के तौर पर चारधाम परियोजना को भी उत्तराखंड के विकास की परियोजना कहकर प्रचारित किया गया। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि ये चीन से सुरक्षा के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है”।

सरकार ने कोविड वैक्सीनेशन का इस्तेमाल भी प्रचार के तौर पर किया। अक्टूबर में राज्य को कोविड टीके की पहली डोज शत-प्रतिशत लेने वाला राज्य घोषित किया गया। जबकि अब भी बहुत से लोगों को वैक्सीन की पहली डोज नहीं लगी है। अक्टूबर से लगातार टीकाकरण में गिरावट आ रही है। सरकार या कोई भी राजनीतिक दल इस पर बात नहीं कर रहा।

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के आधार पर एसडीसी फाउंडेशन का विश्लेषण

राज्य में कोविड टीकाकरण में तेजी से गिरावट

उत्तराखंड में 31 दिसंबर 2021 तक कोविड वैक्सीनेशन की दोनों डोज शत-प्रतिशत लगाने का लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन हर रोज़ टीकाकरण में आ रही कमी से प्रति दिन वैक्सीन लगाने का टारगेट बढ़ता जा रहा है।

देहरादून की डाटा विश्लेषण कर रही संस्था एसडीसी फाउंडेशन के मुताबिक 31 दिसंबर तक राज्य में वैक्सीनेशन का टारगेट हासिल करने के लिए अब हर रोज 82,318 डोज देनी होगी। 10 दिन पहले ये टारगेट 75,014 डोज प्रतिदिन का था। यानी समय के साथ प्रतिदिन का टारगेट तेज़ी से बढ़ रहा है। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के डाटा के साथ किया गया विश्लेषण बताता है कि पिछले 10 दिनों में यानी 12 से 21 नवंबर के बीच केवल 4,57,968 डोज वैक्सीन दी गई।

कोविड वैक्सीन की जरूरत वाले 18 से 44 वर्ष के लोगों की कुल संख्या 49,34,219 है और 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 27,95,247 है। कुल 77,29,466 लोगों का वैक्सीनेशन किया जाना है। हर व्यक्ति को दो शॉट के हिसाब में राज्य में वैक्सीन की कुल 1,54,58,932 शॉट दी जानी है।

21 नवंबर तक राज्य में 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के 75,40,202 लोगों को पहली डोज और 46,25,991 लोगों को दोनों डोज वैक्सीन दी जा चुकी है। यानी अब तक कुल 1,21,66,193 डोज वैक्सीन दी जा चुकी हैं। अगले 40 दिन में 32,92,739 वैक्सीन लगाई जानी हैं। टारगेट पूरा करने के लिए वैक्सीनेशन में बहुत तेजी लाने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो 31 दिसम्बर तक टारगेट पूरा कर पाना संभव नहीं हो पायेगा ।

कोविड की दूसरी लहर को भी भूल रहे हम

कोविड संक्रमण के मामले भारत समेत दुनियाभर में फिर से बढ़ रहे हैं। जबकि कोविड टेस्ट में लगातार कमी आई है। उत्तराखंड में भी कम टेस्ट के बीच संक्रमण की दर में मामूली इजाफा हुआ है। लेकिन कोविड अप्रोपिएट बिहेवियर यानी कोरोना के लिहाज से हमारा व्यवहार बदल गया है। बाजारों में लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। राजनीतिक दलों की सभाओं में भी हुजूम आ रहा है।

कोरोना की दूसरी लहर का असर उत्तरकाशी के हर्षिल और आसपास तक के दुर्गम इलाकों तक में हुआ था। वहां की एनएनएम सुशीला सेमवाल कहती हैं “हमारे क्षेत्र में कोरोना टीके की पहली डोज पूरी हो चुकी है। यहां आबादी बहुत अधिक नहीं है। लेकिन अब लोगों पर से कोरोना का डर हट गया है। शादियों का माहौल है। भीड़भाड़ बहुत हो रही है। लोग अब मास्क नहीं पहन रहे। सब कुछ पहले जैसा हो गया है”।

 देश में टीकाकरण अभियान की शुरु होने से अब तक 10 महीनों में सिर्फ 38% पात्र लोगों को कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लगी है। संक्रमण जब फैलता है तो देश और राज्य की सीमाएं लांघकर दुर्गम गांवों तक पहुंचता है। कोरोना के समय में उत्तराखंड के चुनाव में स्वास्थ्य धाम पर बात होनी जरूरी है।

वर्षा सिंह देहरादून स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैँ।

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