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कोविड-19 कवरेज में मुस्लिमों को टारगेट करने के लिए विजय कर्नाटक न्यूज़पेपर को दोषी पाया गया

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने विजय कर्नाटक समाचार पत्र (टाइम्स ग्रुप से संबंधित) को COVID-19 महामारी के दौरान ‘एक समुदाय’ को टारगेट करती उनकी कवरेज के लिए ‘सेंसर’ करने का फ़ैसला किया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

28 फरवरी, 2023 को, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने विजय कर्नाटक समाचार पत्र (टाइम्स ग्रुप से संबंधित) को COVID-19 महामारी के दौरान उनकी कवरेज के लिए 'सेंसर' करने का फ़ैसला किया।

अख़बार ने, विशेष तौर पर 28 मार्च, 2020 को एक संपादकीय प्रकाशित किया था जिसका टाइटल था : “कोरोना से मरने वाले सभी लोग एक ही समुदाय से हैं - वे अब भी प्रार्थना के नाम पर एक साथ क्यों आते हैं?' शीर्षक से एक संपादकीय प्रकाशित किया।”

शिकायतकर्ता के मुताबिक़ इस आर्टिकल ने “नॉर्म्स ऑफ जर्नलिस्टिक कंडक्ट, 2019” का उल्लंघन किया है। इसके अलावा उसने अख़बार से माफ़ी और स्पष्टीकरण की मांग की कि कोरोना वायरस के प्रसार के लिए मुसलमान ज़िम्मेदार नहीं थे।

शिकायतकर्ता बेंगलुरु स्थित 'कैंपेन अगेंस्ट हेट स्पीच' नाम के एक सामूहिक कैंपेन का हिस्सा हैं। विजय कर्नाटक कन्नड़ भाषा का एक अख़बार है जो मुख्य रूप से कर्नाटक राज्य में प्रसारित होता है। यह टाइम्स समूह के स्वामित्व में है।

'कैंपेन अगेंस्ट हेट स्पीच' ने इससे पहले टाइम्स नाउ, न्यूज़ 18 कन्नड़, सुवर्णा न्यूज़ और स्टार ऑफ मैसूर के ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज कराई थीं। सभी चार मामलों में, उन्होंने अपने मामले की सफलतापूर्वक पैरवी की और मीडिया हाउसेस के ख़िलाफ़ कार्रवाई सुनिश्चित की। विजय कर्नाटक, दो अलग-अलग मौकों पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के समन में शामिल होने में विफल रहा, जिसके बाद PCI ने संपादक के ख़िलाफ़ ज़मानती वारंट जारी किया।

अपने बचाव में, अख़बार ने तर्क दिया कि उन्होंने किसी विशेष समुदाय के नाम का उल्लेख नहीं किया और अख़बार केवल समुदाय में जागरूकता लाने का प्रयास कर रहा था।

PCI की एक जांच समिति ने इस तर्क को खारिज़ कर दिया और कहा, "इसमें उन लोगों का संदर्भ है जो मक्का गए और उसके बाद कथित तौर पर कोरोना से मर गए। इसके अलावा बंद दरवाज़ों के पीछे नमाज़ अदा करने का भी ज़िक्र है। इसमें यह कहा गया है कि हिंदुओं और ईसाइयों ने कर्फ्यू का सम्मान किया है, लेकिन उक्त समुदाय के सदस्य बंद दरवाज़ों के पीछे नमाज़ अदा कर रहे हैं। मक्का और नमाज़ के संदर्भ से संकेत मिलता है कि लेखक के मन में मुसलमान थे और वह उन्हें टारगेट कर रहा था।"

समिति का निष्कर्ष था कि, "विजय कर्नाटक ने महामारी के समय में ग़लत सूचना फैलाने की कोशिश की और मुस्लिम समुदाय को टारगेट किया है, और इसका आचरण प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारिता आचरण के मानदंडों का उल्लंघन है।"

30 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया था कि वे ऐसी अन-वेरिफाईड ख़बरे प्रकाशित न करें जो दहशत फैलाने में सक्षम हों। अगले दिन PCI ने पत्रकारों को कोविड-19 कवरेज के संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किए।

PCI समिति ने पहले विजय कर्नाटक से प्रिंट में माफ़ी जारी करने का आग्रह किया था। हालांकि, चूंकि अख़बार ने ऐसा करने से मना कर दिया, इसलिए समिति ने PCI से अख़बार की 'कड़ी निंदा' करने का आग्रह किया। PCI ने समिति के निष्कर्षों और सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और विजय कर्नाटक को ‘सेंसर’ किया।

एक ब्लॉग पोस्ट में, 'कैंपेन अगेंस्ट हेट स्पीच' ने अपने काम को 'होल्डिंग द मीडिया अकाउंटेबल' के रूप में वर्णित किया। इस पोस्ट में कहा गया, "कैंपेन अगेंस्ट हेट स्पीच, फरवरी 2020 में बनाया गया था और यह नफ़रती मीडिया कवरेज पर नज़र रखता है विशेष रूप से उनपर जो अल्पसंख्यक समुदायों को टारगेट करता है। इसने मीडिया रेगुलेटरी बॉडीज़ जैसे न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) और PCI से मीडिया प्रकाशनों और चैनलों के ख़िलाफ़ मीडिया से संबंधित कानूनों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए शिकायत की है।"

बाक़ी शिकायतें

'कैंपेन अगेंस्ट हेट स्पीच' की सदस्य और पेशे से वकील शिल्पा प्रसाद का कहना है कि शिकायतों की जांच की प्रक्रिया बेहद लंबी होती है।

फोन पर न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, वह कहती हैं, "अख़बारों के लिए, हम PCI के पास शिकायत दर्ज करते हैं, और अन्य ब्रोडकास्टर्स के लिए, हम केबल टेलीविज़न नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 के तहत निगरानी समितियों से संपर्क करते हैं। इस एक्ट में ऐसे कंटेंट के ख़िलाफ़ प्रावधान हैं जो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाते हैं। हालाँकि, राज्य-स्तरीय निगरानी समितियां केवल कागज़ों पर मौजूद हैं और हमारी शिकायतों पर निर्णय लेने के लिए कोई बैठक नहीं की है। टाइम्स नाउ, सुवर्णा न्यूज़ और न्यूज़ 18 कन्नड़ के मामले में, उन्होंने (न्यूज़ चैनल) न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) नामक एक सेल्फ-रेगुलेटरी बॉडी में शामिल होने का विकल्प चुना था। इस बॉडी ने समाचार चैनलों से माफ़ी जारी करने को कहा।"

'कैंपेन अगेंस्ट हेट स्पीच' ने इससे पहले तबलीग़ी ज़मात के कवरेज और चित्रण के संबंध में न्यूज़ 18 कन्नड़, टाइम्स नाउ, सुवर्णा न्यूज़ और स्टार ऑफ मैसूर न्यूज़पेपर के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की थी।

एनबीएसए ने न्यूज़ 18 कन्नड़ को 1,00,000 रुपये का ज़ुर्माना भरने और ऑन-एयर माफी मांगने का निर्देश दिया। सुवर्णा न्यूज़ को 50,000 रुपये का ज़ुर्माना भरने का भी निर्देश दिया गया था। इसके अलावा टाइम्स नाउ को "एक संवेदनशील मुद्दे पर कार्यक्रम...प्रसारित करने के लिए" एनबीएसए की तरफ़ से एक सेंसर जारी किया गया था।

16 दिसंबर, 2022 को PCI ने स्टार ऑफ मैसूर अख़बार की मुसलमानों पर उसके संपादकीय के लिए निंदा की।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Press Council Finds Vijay Karnataka Newspaper Guilty of Targeting Muslims in COVID-19 Coverage

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