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क्या मायने हैं अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन के?  

हिंदू जनजागृति समिति इस देश की प्रतिरोध की परंपरा और सांझी-संस्कृति की ताकत को कम करके आंक रही है। लेकिन, ये सच है कि हिंदुस्तान के लिए ये समय कठोर परीक्षा का रहने वाला है।
भारतीय हिंदू राष्ट्र
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : अमर उजाला

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को एक नये भारत के उद्य के तौर पर देखा जा रहा है। इसे हिंदू राष्ट्र की तरफ प्रस्थान की तरह समझा जा रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि ये शुरुआत बहुत पहले हो चुकी है। आरएसएस अपनी असंख्य छोटी-बड़ी संस्थाओं के जरिये लगातार इसमें सक्रिय है। अभी हाल ही में हिंदू जन जागृति संस्था ने नवम अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन किया है। ये हिंदू राष्ट्र अधिवेशन 6-9 अगस्त 2020 को ऑनलाइन संपन्न हुआ है। इससे पहले ये गोवा में आयोजित होता रहा है।

हिंदू जन जागृति समिति, सनातन संस्था का ही एक घटक है। आगे बढ़ने से पहले एक बार इन दोनों संस्थाओं के बारे में कुछ जानकारी ले लेते हैं। क्योंकि ये वही संस्थाएं हैं जो गोविंद पनसरे, नरेंद्र दाभोलकर, एम एम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में आरोपित रही हैं। सनातन संस्था की स्थापना 1999 में डॉ. अठावले ने की। संस्था के उद्देश्य के खंड में साफतौर पर लिखा गया है कि हिंदू राष्ट्र का निर्माण करना इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है। हिंदू जनजागृति समिति का गठन 2002 में किया गया। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य हिंदू राष्ट्र के निर्माण के लिए देश-विदेश के हिंदूओं और संस्थाओं को एक मंच पर लेकर आना है।

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गौरतलब है कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की जांच के लिए एक स्पेशल जांच टीम बनाई गई थी। टीम ने जांच शुरू की और 12 लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। इनमें से पांच लोगों का संबंध सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति के साथ था। बाकी आरोपी हिंदू युवा सेना और श्रीराम सेना जैसे हिंदूवादी संस्थाओं से ही थे। एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉयड (ATS) के एक सदस्य ने ये भी बताया था कि हिंदू युवा सेना व श्रीराम सेना आदि सनातन संस्था के ही घटक हैं। गोविंद पनसरे और दाभोलकर की हत्या के संदर्भ में सीबीआई ने जो चार्जशीट पेश की थी उसमें भी सनातन संस्था के लोग शामिल थे। दाभोलकर, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या की जांच के दौरान ही ये सामने आया था कि नाला सोपारा में विस्फोटकों के साथ पकड़े गये आरोपियों और इन तीनों हत्याओं में शामिल आरोपियों में कनेक्शन है।

गोवा में 2009 में हुए बम विस्फोट के पीछे सनातन संस्था थी। सनातन संस्था और इसके अन्य हिंदूवादी घटकों के नाम हत्याओं से लेकर बम विस्फोट तक में सामने आए हैं। परिणामस्वरूप सनातन संस्था को बैन करने की मांग भी लगातार उठती रही है। बम विस्फोट के समय गोवा में मांग उठी थी कि सनातन संस्था को बैन किया जाए। इसके कुछ वर्ष बाद भी गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने सनातन संस्था को बैन करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजे थे। हत्याओं में फिर से संस्था का नाम शामिल होने के बाद महाराष्ट्र की सरकार ने नरेंद्र मोदी को प्रस्ताव भेजा कि सनातन संस्था को बैन किया जाए। लेकिन इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। फिलहाल स्थिति ये है कि हिंदू जनजागृति संस्था धड़ल्ले से नौवां अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन आयोजित करती है।

वीडी सावरकर और एमएस गोलवलकर को अपना मार्गदर्शक मानने वाली इन संस्थाओं का सीधा ताल्लुक आरएसएस और भाजपा से दिखता है। हाल ही में संपन्न हुए हिंदू राष्ट्र अधिवेशन में भाजपा और राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शामिल हुए हैं। मात्र इतना ही नहीं है बल्कि पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों आदि के मुद्दे पर हिंदू जनजागृति समिति केंद्र स्तरीय सरकारी बैठकों का हिस्सा रही है।

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मोदी सरकार और अतिवादी हिंदू संगठनों के इस संजाल को समझने की ज़रूरत है। ऊपर जो विवरण दिया गया है, एक बार उसके सूत्रों को आपस में जोड़कर देखेंगे तो आपको सरकार और इन अतिवादी हिंदू संगठनों का एक नेटवर्क और इनकी कार्यशैली नज़र आएगी।

ये संविधान की ताकत है कि हमारे प्रधानमंत्री और भाजपा अब तक खुलकर नहीं कह पा रहे कि वो हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि इनके मंत्री, मुख्यमंत्री और यहां तक कि स्वयं प्रधानमंत्री भी अनेकों मौकों पर इस तरह की भंगिमाएं और संकेत लगातार प्रस्तुत करते रहे हैं।

एक बार भाजपा के कार्यकाल पर नज़र डालें। भाजपा के कार्यकाल में बुनियादी जन सुविधाओं, रोज़गार, कृषि और महंगाई आदि पर कोई खास प्रगति नहीं है। बल्कि आप साफ-साफ देख सकते हैं कि ये कोई प्राथमिकता भी नहीं है। धारा 370, राम जन्मभूमि, तीन तलाक, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों व बुद्धिजीवियों को जेल में डलना और आंदोलन व प्रतिरोध के स्वरों को कुचलना सरकार की प्राथमिकता रही है। सरकार की प्राथमिकता है कि साम-दाम-दंड-भेद हर तरह से सत्ता में काबिज़ रहना है। कोरोना महामारी के दौरान सरकारें गिराना- बनाना, विधायकों की खरीद-फरोख्त, राम मंदिर भूमिपूजन, शाहीन बाग आंदोलन को कुचलना सरकार की प्राथमिकता रही है।

भाजपा ने देश में अघोषित आपातकाल लगा रखा है। भाजपा की रणनीति है कि जो करना है उसे कहने की क्या ज़रूरत है। कहो कुछ और करो कुछ। मतलब अंदर खाने अपने एजेंडे पर काम करते रहो। तो, जिस तरह अघोषित आपातकाल लगाया है उसी तरह अघोषित तौर पर हिंदू राष्ट्र के एजेंडे की तरफ भाजपा सरकार लगातार काम कर रही है। हालांकि ये इतना छिपा हुआ नहीं है, बशर्तें आप देखना चाहें।

देश की तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं और स्वयं लोकतंत्र ख़तरे में है। हिंदू जनजागृति समिति ने संविधान से “धर्मनिरपेक्ष” शब्द को हटाए जाने के लिए याचिका डाल रखी है। हिंदू जनजागृति समिति की वेबसाइट पर हिंदूराष्ट्र निर्माण के साल की घोषणा भी की गई है। समिति के अनुसार वर्ष 2023 और 2025 के मध्य तक भारत हिंदूराष्ट्र बन जाएगा। हिंदू जनजागृति समिति इस देश की प्रतिरोध की परंपरा और सांझी-संस्कृति की ताकत को कम करके आंक रही है। लेकिन, ये सच है कि हिंदुस्तान के लिए ये समय कठोर परीक्षा का रहने वाला है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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