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उत्तर प्रदेश : योगी आदित्यनाथ कोविड-19 से कैसे 'लड़' रहे हैं?

23 करोड़ आबादी वाले राज्य में इतनी कम जांच ने घातक वायरस युक्त मृगतृष्णा पैदा कर दी है।
योगी आदित्यनाथ कोविड-19 से कैसे 'लड़' रहे हैं?
Image Courtesy : Livemint

अपनी एक योजना की शुरूआत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि उन्होने कोरोनावायरस महामारी को "प्रभावी तरीके से सँभाल" लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे विशाल प्रदेश में केवल 600 लोगों की मौत हुई है, जिसमें चार यूरोपीय देशों की आबादी के बराबर लोग रहते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर योगी "इतने कुशल" नहीं होते तो यूपी को 85,000 मौतें झेलनी पड़ती।

जिस सप्ताह में योगी की प्रशंसा की गई थी, तब से 120 लोगों की मौत हो चुकी है, और कोविड़-19 के 4,000 से अधिक मामलों की पुष्टि भी हुई है, राज्य में कोविड़ के कुल मामलों की पुष्टि लगभग 25,000 हो गई है, ये आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार और न्यूज़क्लिक डेटा एनालिटिक्स टीम की तुलना से तैयार हुए हैं। [नीचे चार्ट देखें]

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मोदी के पास वैसे कहने को ज्यादा नहीं है जैसे कि विभिन्न राज्य महामारी को कैसे संभाल रहे हैं, भले ही उनकी केंद्र सरकार ने चतुराई से राज्य सरकारों को देर से जिम्मेदारी सौंपी हो। लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री उनके पसंदीदा हैं, 2017 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद यूपी सरकार का नेतृत्व करने के लिए उन्हें चुना गया था।

और, शायद अधिक प्रासंगिक ढंग से, भगवा धारे योगी भी मोदी की प्रशंसा करने में उतने ही निपुण हैं, जैसे कि वे बीमारी से निपटने में है। इतना सब के बाद जून की शुरुआत में, योगी ने घोषणा की थी कि “राज्य की इन उपलब्धियों का श्रेय पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाना चाहिए”। तो, यह एक आपसी प्रशंसा भरा समाज है।

जैसा कि हो सकता है, यूपी में कोविड़-19 की स्थिति के बारे में सच्चाई क्या है? इस विशाल राज्य में अपेक्षाकृत कम पुष्टि वाले मामले कैसे आए हैं?

भारत कम टेस्टिंग दर के मामले में तीसरे स्थान पर है

इसके पीछे प्रमुख कारणों में से एक कोविड़-19 की जांच में निहित है। अधिक जांच, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के निर्माण और संकल्प और समर्पण के साथ-साथ कोरोनवायरस से लड़ने ज्का पूरा का पूरा शोर, यूपी की विचित्र और बल्कि दुखद वास्तविकता को दिखता आई जहां देश में सबसे कम जांच दर है।

कोविड़ टुडे के अनुसार, जो एक स्वास्थ्य और आईटी पेशेवरों की स्वयंसेवी टीम आई जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी कोविड़-19 संबंधित डेटा को ट्रैक कर रही है और इसे सार्वजनिक डोमेन में डाल रही है, 3 जुलाई तक, भारत में हर दिन प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर 6,779 जांच का औसत बताया गया है।  

लेकिन यूपी में यह जांच दर उसकी आधी है – जो प्रति दिन सिर्फ 3,285 जांच बैठती है। इसके मुक़ाबले दो अन्य राज्य ओर हैं जिनकी जांच दर कम है - बिहार (1,948) और तेलंगाना (2,493)। सिर्फ संदर्भ के लिए, दिल्ली प्रति दिन 31,890 जांच कर रहा है, आंध्र प्रदेश 18,025, तमिलनाडु -16,324 कर रहा है, और यहां तक कि पड़ोसी मध्य प्रदेश भी प्रति दिन 4,559 से अधिक जांच कर रहा है।

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जैसा कि ऊपर दिए गए चार्ट से पता चलता है, कि प्रति दिन जांच बेतहाशा ऊपर-नीचे हो रही है और गलत तरीके से आयोजित की गई है। अजीब बात तो यह है, कि यह जानने के बावजूद कि जांच दर शर्मनाक रूप से कम है, यूपी सरकार गर्व से दावा कर रही है कि उसने राज्य में बीमारी के प्रसार को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है।

यदि आप लोगों की कोविड़-19 की जांच नहीं करते हैं, तो आप पता नहीं लगा सकते कि कितने लोग संक्रमित हुए हैं। यहां तक कि अगर वे बुरी तरह से मर जाते हैं, तब भी उन्हें कोविड़-19 की मौत के रूप में टैग नहीं किया जाएगा। बेशक, इसका मतलब यह भी है कि यह बीमारी उससे कहीं अधिक व्यापक होगी जैसा कि सोचा गया है, और इससे कष्ट भी कहीं अधिक होगा। इसका मतलब यह भी है कि भविष्य में संभवतः – कोविड़ मामलों और मौतों में विस्फोटक वृद्धि हो सकती है। लेकिन, ऐसा लगता है कि यूपी सरकार उन पुलों को तब पार करेगी, जब वे उनके पास आ जाएंगे – तब तक, मोदी की प्रशंसा में तालियाँ बटोरो, और उनकी सराहना करो।

योगी मानते हैं कि अधिक जांच का मतलब अधिक मामले

शायद कहीं न कहीं योगी और उनके सलाहकारों के मन में एक भयावह संदेह है, क्योंकि, उन्होंने फिर से कहना शुरू कर दिया है कि जांच की क्षमता बढ़ाई जाएगी। योगी ने घोषणा की थी कि 19 जून तक राज्य के हर जिले में जांच के लिए प्रयोगशाला होगी। क्या किसी को अनुमान है कि उस योजना का क्या हुआ।

नवीनतम आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में चार निजी प्रयोगशालाएं और 24 सरकारी प्रयोगशालाएं हैं जो रियल-टाइम (आरटी) पीसीआर जांच कर रही हैं या करने के लिए अनुमोदित हैं; 92 सरकारी प्रयोगशालाएं और चार निजी प्रयोगशालाएं ट्रूनाट परीक्षणों के लिए और पांच निजी प्रयोगशालाओं कोविड़-19 के लिए CBNAAT जांच के लिए अनुमोदित है। कुल मिलाकर, 116 सरकारी और पांच निजी प्रयोगशाला है। इनकी प्रति दिन परीक्षण क्षमता ज्ञात नहीं है, लेकिन यह इतनी कम नहीं हो सकती है कि वर्तमान में किए जा रहे लगभग 22,000 परीक्षणों को समझा सके।

यहां तक कि उनका यह भी मानना है कि जांच बढ़ने से अधिक मामले सामने आएंगे! पश्चिमी यूपी के छह संभागों में एक विशेष जांच ड्राइव की शुरुआत की और वेक्टर जनित रोगों की जाँच की घोषणा करते हुए, योगी ने कथित तौर पर कहा कि जब राज्य में प्रत्येक व्यक्ति की जांच की जाएगी तो "कोरोनोवायरस से प्रभावित लोगों का आंकड़ा बढ़ जाएगा" लेकिन निश्चित रूप से इससे मौत के आंकड़े को कम करने में सफलता मिलेगी”।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कोविड़-19 की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें यूपी के तीन जिले शामिल हैं - बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर (नोएडा)। उन्होंने योगी को संकेत दिया था कि गाजियाबाद में मौजूदा परीक्षण दरें (78 लाख) और नोएडा (72 लाख) काफी असंतोषजनक हैं।

इन सबका मतलब यह है कि जांच की क्षमता बढ़ने के बावजूद, केंद्र में मोदी सरकार के अनुमोदन के साथ योगी सरकार – जांच पर धीमी गति से चल रही है। यह केस संख्या बढ़ने के डर से जांच के विस्तार करने की अनिच्छा हो सकती है या यह हो सकता है कि योगी अभी सीखने की अवस्था में है, और वे धीरे-धीरे जांच के महत्व को जान रहे है। हर तरह से, यूपी में स्थिति चिंताजनक है - कहीं न कहीं कुछ तो करना होगा।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

How Yogi Adityanath is ‘Fighting’ COVID-19 in Uttar Pradesh

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