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आई.एस.आई.एस. और अल क़ायदा : समानता और भिन्नता

सऊदी ने इराक और सीरिया में इस्लामी राज्य(आईएसआईएस) की घटना को अलग थलग करने प्रयास कर रहा है और समकालीन अरब राजनीतिक संस्कृति(या अमेरिकी विदेश नीति की विरासत). में समाहित तत्वों से एक अलग  घटना के रूप में पेश कर रहा है।

सऊदी राजकुमार के सभी प्रचारकों को सख्त आदेश है कि वे आईएसआईएस (ISIS) की घटना के बारे में जो भी लिखें  (विशेष रूप से अंग्रेजी में) विभिन्न आयामों से जोड़े ( जैसे कि "अरब आत्मा" "या अरब राजनीति या "अरब संस्कृति" "या" सीरिया और ईरान के शासन " या "हिजबुल्लाह के हथियार" या "अरब मानसिकता", आदि)। फिर भी, उनका यह प्रयास व्यर्थ है। आईएसआईएस, अल कायदा जैसे संगठन, सऊदी वहाबी विचारधारा के पैदावार है। यही विचारधारा दुनिया भर के जिहादी आतंकवादी संगठनों के पीछे है और पूरी दुनिया में कहर बरपा रही है। लेकिन इस सम्बन्ध में अमेरिकी सरकार भी निर्दोष नहीं है: शीत युद्ध के दौरान अमेरिका का यही सिद्धांत था (जो बाद में इराक में उसकी सांप्रदायिक साजिश के रूप में नज़र आई) जिसने जिहादी राक्षस को जन्म देने के लिए सऊदी अरब की वहाबी विचारधारा के दो टुकड़े कर दिए।

आईएसआईएस और अल कायदा सऊदी शाही परिवार की एक ही विचारधारा को मानते हैं  लेकिन वे विदेश नीति पर सहमत नहीं हैं।इस मामले में बिन लादेन की कहानी काफी प्रसिद्द है: बिन लादेन के सभी सऊदी राजकुमारों के साथ अच्छे रिश्ते थे जब तक कि इराक पर अमेरिकी आक्रमण नहीं हुआ और सऊदी शाही परिवार के निर्णय जिसमें उन्होंने अमेरिका को अरब क्षेत्र के विभिन्न देशों पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था। उसके पहले, बिन लादेन सऊदी अरब के राजनीतिक संगठन का एक वरिष्ठ सदस्य था। आईएसआईएस द्वारा संचालित क्षेत्रों में वही पाठ्यपुस्तकें पढाई जाती हैं जोकि सऊदी स्कूलों में वहाबी साहित्य पर पढाई जाती हैं। अल ताव्हिद किताब (जोकि सख्त और संदिग्ध हदीस का संग्रह है और मोहम्मद इब्न `अब्दुल वहाब ने उनकी व्याख्या की है), और जोकि आईएसआईएस, अल कायदा, और सउद की सभा के लिए एक " बाइबल "है।

सौजन्य: wikipedia.org

सौजन्य: wikipedia.org

आईएसआईएस और अल कायदा एक समान हैं फिर भी कुछ मामलों में अलग हैं,  हम नीचे दी गयी सूचि में मतभेद और समानता पर नज़र डालेंगें:

1)    अल कायदा के पास भाषण कौशल वाला एक करिश्माई नेता था। वह कट्टरपंथियों और अरब के युवाओं को प्रेरित करने में सक्षम था। दूसरी ओर आईएसआईएस के पास न तो  करिश्माई नेता है और उनका खलीफा अपने पहले टेलीविजन भाषण में विफल हो गया।

2)    अलकायदा को केन्द्रीय रूप से बिन लादेन और उसके सहयोगी द्वारा चलाया जाता था जबकि आईएसआईएस एक सामूहिक नेतृत्व शैली वाला संगठन लगता है।     

3)    मौरिस दुवेर्गेर  द्वारा राजनीतिक दलों के भेद के रूप में, अल कायदा एक कुलीन छोटा संगठन था जिसे सच्चे विश्वासियों तलाश थी, जबकि आईएसआईएस देशों को चलाना चाहती है (इसलिए यह ख़तरनाक है) और एक बड़े पैमाने की पार्टी / सेना है।

4)    अल कायदा में ख़ास पश्चिमी ठिकानों पर हमला करने की विशेषता थी, जबकि  आईएसआईएस डरावनी छवियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए धमकाता है और सैन्य जीत हासिल करता है। सीरिया और इराक में अपने दुश्मनों के दिलों में पैदा किये गए डर को कम मत समझना।

5)    बिन लादेन अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करता था और  आईएसआईएस देश के भीतर की लड़ाई पर केंद्रित है।

6)    वे दोनों ही वहाबी विचारधारा को मानते हैं।

7)    दोनों ही रियाद में अल अजहर की धार्मिक मान्यताओं से घृणा करते हैं।

8)    दोनों आसानी से साथी मुसलमानों की हत्या का औचित्य सिद्ध कर सकते हैं।

9)    दोनों ही अपने ऑनलाइन (या टीवी) प्रचार अभियानों में युवा उन्मुख हैं।

10) आईएसआईएस नए मीडिया पर केंद्रित है, जबकि अल कायदा पुरानी शैली के मीडिया पर भरोसा करता है।

11) आईएसआईएस में युवाओं में प्रचार का जुनून सवार है।

12)  बिन लादेन छुपा और फिर मौत के मुहं में चला गया जबकि आईएसआईएस में अल कायदा के रास्ते से बचने के लिए कई अलग क्षेत्रीय संगठनों की विशेषता है ताकि उसका भी भविष्य अल क़ायदा जैसा न हो।

13) आईएसआईएस, सामाजिक मीडिया पर सरल भाषा का उपयोग करता है, जबकि बिन लादेन अरबी भाषण की पुरानी शैली का इस्तेमाल करता था (11 सितंबर के बाद उसका पहला भाषण एक अपवाद था और उसने अरब जनता राय उसके पक्ष कर दिया।)

14) आईएसआईएस को अल कायदा के सिद्धांत से कोई गुरेज़ नहीं है लेकिन उसे अल कायदा के वर्तमान नेतृत्व से शिकायत है (अयमान अल धवाहिरी को अबू मोहम्मद अल `अद्नानी द्वारा लिखे पत्र को देखें)। अब अल कायदा अब आईएसआईएस का सिद्धांत रूप से विरोधी है।

15) अल कायदा सऊदी की खुफिया सेवा के समर्थन से पैदा हुआ था(और शीत युद्ध के दौरान अमेरिका की सहमति से) जबकि आईएसआईएस सऊदी शासन का विरोध करते हुए  विकसित हुआ (सऊदी असंतुष्ट बद्र अल इब्राहिम द्वारा उसका शौध देखें)।

16) आईएसआईएस राज्य कब्ज़ा करना चाहता है (और वह इसे खिलाफत के तहत उसका विस्तार कर उसे एकीकृत करना चाहता है) जबकि अल कायदा बिना किसी अंतिम लक्ष्य के राज्य को पलट देना चाहता है।

17) आईएसआईएस इस्लामी कानूनों और नियमों को लागू करना चाहता है और अल कायदा सैन्य जिहाद की गतिविधियों ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है।

18) आईएसआईएस "इस्लाम-ही-समाधान" है को मानता है, जबकि अल कायदा बम विस्फोट को ही समाधान मानता है।

19) अल कायदा बिन लादेन की उदारता पर निर्भर था, जबकि आईएसआईएस, एक वित्तीय मस्तिष्क है।

20) अल कायदा उम्मा को ही संबोधित करते हैं, जबकि आईएसआईएस अपने नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में नागरिकों को संबोधित करते हैं।

21) आईएसआईएस और अल कायदा तक्फिर का सहारा बहुत जल्दी जल्दी लेते हैं।

22) आईएसआईएस साथी जिहादी समूहों का अलगाव चाहती है, जबकि अल कायदा जेहादी समूहों के सहयोग की मांग करता है।

23) आईएसआईएस घरेलू नीति पर केंद्रित है, जबकि अल कायदा विदेश नीति पर जोर देता है।

24) अल कायदा और आईएसआईएस दोनों इसराइल को नाराज नहीं करना चाहते हैं।

25) अल कायदा  क्षेत्र के लिए छोटा खतरा था, जबकि आईएसआईएस क्षेत्र के लिए एक दीर्घकालिक खतरा लगता है।

26) आईएसआईएस और अल कायदा का सृजन आतंकवाद और इस्लामवादी हिंसा के पश्चिमी वैश्वीकरण के संदर्भ में हुआ।

27) दोनों संगठनों अंतर्राष्ट्रवादी हैं।

28) अल कायदा को साहित्य आईएसआईएस के सउद की सभा के मुकाबले कम शत्रुतापूर्ण लगता है, और अबू मोहम्मद अल अदानी ने धवाहिरी को लिखे अपने प्रसिद्ध पत्र में इसका जिक्र किया है।

29) आईएसआईएस, अपने साहित्य के दावों के बावजूद, भर्ती में अधिक व्यावहारिक है: "पूर्व" बाथिस्ट इनके नेतृत्व के रैंकों में एक महत्वपूर्ण घटक है।

30) आईएसआईएस और अल कायदा दोनों प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष खाड़ी धन से लाभान्वित हुए हैं।

डा असद अबुखालिल राजनीती शास्त्र के केलिफोर्निया में प्रोफेसर हैं, एक व्याख्याता और खफा अरब न्यूज सर्विस के लेखक हैं। वें @asadabukhalil पर ट्विट करते हैं।

सौजन्य: english.al-akhbar.com

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

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