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कर्मचारियों के बक़ाया भुगतान को लेकर एयर इंडिया यूनियन हड़ताल करेंगी

"सभी पक्षों को विश्वास में लाए बिना एयर इंडिया को बेचने की योजना को लेकर मोदी सरकार जल्दबाज़ी कर रही है। ये केवल गड़बड़ी पैदा करेगा।"
Air India

एयर इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों के कर्मचारी काम रोक सकते हैं। उनका कहना है कि उनकी समस्याओं को एयरलाइन को निजी हाथों में 100% इक्विटी के हस्तांतरण से पहले निपटाया नहीं जाता है तो वे ऐसा करने के लिए मजबूर होंगे। कर्मचारी यूनियनों और संघों के प्रतिनिधियों ने कहा कि आने वाले दिनों में इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

क़र्ज़ में डूबे एयर इंडिया को उबारने के लिए केंद्र ने सोमवार को एयरलाइन में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना की घोषणा की।

एयर इंडिया यूनियनों और संघों के संयुक्त फोरम के संयोजक विलास गिरधर ने कहा कि मोदी सरकार ने रणनीतिक विनिवेश के लिए प्रारंभिक बोली दस्तावेज़ में कर्मचारी यूनियनों और संघों द्वारा किए गए शिकायतों को निपटान नहीं किया। एयर इंडिया यूनियनों और संघों के संयुक्त फोरम इस एयरलाइन और इसके सहायक संगठनों के 14 कर्मचारी संघ हैं।

गिरधर ने न्यूज़क्लिक से कहा, "श्री पुरी [नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी] के साथ जनवरी महीने में दो बैठकें की गईं जिसमें कर्मचारियों के बकाया वेतन और अन्य मांगों में नौकरी की सुरक्षा पर चिंता जताई गई।”

उन्होंने कहा, "मोदी सरकार जल्द ही अपने वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एयर इंडिया को बेचने की योजना को अंजाम दे रही है।" उन्होंने आगे कहा, "यह सभी पक्षों को विश्वास में लिए बिना किया जा रहा है जो केवल गड़बड़ी पैदा करेगा।"

मोदी सरकार की राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण के प्रयास की आलोचना ऐसे समय में हुई है जब नागरिक उड्डयन मंत्री के पास एयर इंडिया का निजीकरण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और इस तरह इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कर्मचारियों के सहयोग की मांग की जा रही है।

एयर इंडिया के विनिवेश की घोषणा के बाद 27 जनवरी को पुरी के हवाले से कहा गया कि एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों का बक़ाया बिक्री की प्रक्रिया समाप्त होने से पहले दे दिया जाएगा। न्यायमूर्ति धर्माधिकारी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारी का कुल बकाया लगभग 1,383.7 करोड़ रुपये है।

इंडियन कमर्शियल पायलट ऑफ़ एसोसिएशन (आईसीपीए) के महासचिव कैप्टन टी. प्रवीण कीर्ति ने कहा, "अगर ऐसा [बक़ाया भुगतान] नहीं होता है तो काम रोकना हमारा एकमात्र विकल्प होगा।" वे आगे कहते हैं, “आने वाले दिनों में मतों के ज़रिये फ़ैसला होगा।”

800 सदस्यों वाला आईसीपीए संयुक्त फ़ोरम का एक हिस्सा है जो उन पायलटों का प्रतिनिधित्व करता है जो एयर इंडिया के छोटे विमान उड़ाते हैं।

इन बैठकों के अलावा संयुक्त फ़ोरम ने पुरी को यह भी लिखा था। उन्होंने इसमें एयर इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को बेचने के सरकार के "दुर्भावनापूर्ण" फ़ैसले के विरोध को दोहराया था। 15 जनवरी को उड्डयन मंत्री को पत्र में लिखा गया कि "यह राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ है।"

रिपोर्टों से पता चलता है कि कर्मचारियों और यूनियनों के विरोध को दूर करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस समय सरकार के स्वामित्व वाली एयरलाइन बेची गई है ऐसे में विभिन्न यूनियनों के अमान्य करने के बाद सरकार मध्य स्तर के कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पेश कर सकती है। बिज़नेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस एयरलाइन के पास 17,984 कर्मचारी हैं जिनमें से 9,617 स्थायी हैं।

हालांकि, कर्मचारियों द्वारा प्रतिरोध के बावजूद ये सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना के साथ आगे बढ़ रही है, जिसमें से बोली दस्तावेज़ के अनुसार 3% नए मालिकों द्वारा स्टॉक विकल्प के रूप में कर्मचारियों को देने की पेशकश की जाएगी।

गिरधर के अनुसार कर्मचारियों के लिए एक और चिंता का विषय है कि उनकी भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और अन्य सामाजिक लाभ केंद्र सरकार की एक योजना में स्थानांतरित होने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा, "हमारे वेतनमान को 2007 के बाद से संशोधित नहीं किया गया है। यदि भविष्य निधि और चिकित्सा को स्थानांतरित किया जाना है तो हमारे मूल वेतन को अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के बराबर लाया जाना चाहिए।"

एयर इंडिया के अलावा केंद्र कम लागत वाली एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100% हिस्सेदारी की बिक्री और ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया सिंगापुर एयरपोर्ट टर्मिनल सर्विसेज में 50% हिस्सेदारी के लिए भी बोली की मांग की है।

गिरधर ने घाटे में चल रही एयरलाइन के लिए "टर्नअराउंड" योजना पर ध्यान न देने के लिए मोदी सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा “एयर इंडिया का रोज़ाना नुकसान 26 करोड़ रुपये के से अधिक है। सरकार और उच्च प्रबंधन की ओर से कोई जवाबदेही नहीं है।” उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया कि एयरलाइन को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार ने क्या किया है।

गिरधर ने आगे कहा, "टर्नअराउंड योजना विफल रही क्योंकि केवल उन एजेंसियों को काम पर रखा गया था जिन्होंने रिपोर्ट जमा की और अपनी फ़ीस एकत्र की; हालांकि, कुछ भी लागू नहीं किया गया था।"

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Air India Unions Mull Strike If Employees’ Concerns Not Addressed Ahead Of Privatisation

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