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बिलक़ीस के अपराधियों की रिहाई गुजरात दंगों के क़ानूनी निशान को नष्ट करने का प्रयास है : अरुंधति रॉय

बुकर पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने गौरी लंकेश को श्रद्धांजलि देते हुए बिलक़ीस बानो के 11 बलात्कारियों की रिहाई की निंदा की। ज्ञात हो कि 5 साल पहले लंकेश की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
बिलक़ीस के अपराधियों की रिहाई गुजरात दंगों के क़ानूनी निशान को नष्ट करने का प्रयास है : अरुंधति रॉय

पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की 5वीं बरसी पर श्रद्धांजलि देने के लिए सोमवार को बेंगलुरु के भारत स्काउट्स एंड गाइड्स ऑडिटोरियम में भारी भीड़ जमा हुई।

गौरी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में दिवंगत पत्रकार की बहन और फ़िल्म निर्देशक कविता लंकेश, बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति रॉय, अभिनेता प्रकाश राज, प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ और पत्रकार व ऑल्ट न्यूज़़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

भारी पुलिस की मौजूदगी में इस कार्यक्रम में गौरी के सहकर्मी, कार्यकर्ता, मित्र और छात्र शामिल हुए। सेतलवाड़ और ज़ुबैर व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। उधर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने ज़ुबैर के ख़िलाफ़ क्रिकेटर अर्शदीप सिंह और सिख समुदाय के ख़िलाफ़ अपने ट्वीट के ज़रिए नफ़रत फैलाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है।

रॉय ने केरल में अपनी मां मैरी रॉय के निधन के कुछ ही दिनों बाद ही इस कार्यक्रम को संबोधित करने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। उन्होंने कहा, “तीन दिन पहले, मैंने अपनी मां को दफ़नाया है और मुझे नहीं पता था कि मेरा दिल मुझे उनको दफ़नाने की इजाज़त देगा या नहीं। लेकिन मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि अगर मैं नहीं आता तो उन्हें मुझ पर शर्म आती।”

राजनीतिक व्यवस्था में मौलिक बदलाव पर अपने विचार रखते हुए रॉय ने कहा, "90 के दशक की शुरुआत में दो ताले खोले गए जिसमें एक बाबरी मस्जिद और दूसरा बाज़ार [आर्थिक उदारीकरण]। जब उन्होंने इन दो तालों को खोला तो उन्होंने दो तरह के कट्टरवाद को उभारा जिसमें एक धार्मिक और दूसरा आर्थिक था।”

सरकार के पास "सुरक्षा राज्य बनने के दो अलग-अलग कारण" का ज़िक्र करते हुए रॉय ने कहा, "इस्लामी आतंकवाद और विकास-विरोधी प्रदर्शन के नाम पर सरकार के लिए ख़ुद को सुरक्षित करने के लिए सब कुछ एक बहाना बन गया।"

राजनीति में नेताओं के ख़रीद-फ़रोख़्त पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “दुनिया की सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी (राज्य) सरकारों को गिरा सकती है और विधानसभाओं के सदस्यों को अपनी मर्ज़ी से ख़रीद सकती है। मेरा एक सुझाव है कि किसान आंदोलन की तरह हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों को भी एमएसपी के लिए प्रचार प्रसार शुरू करना चाहिए लेकिन इस बार विधायकों और सांसदों के लिए करें।”

रॉय ने बिलक़ीस बानो के 11 बलात्कारियों की रिहाई की भी निंदा की जिन्होंने उनके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय कारणों के चलते आंतरिक कारणों के लिए अपनी राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए गुजरात नरसंहार के क़ानूनी निशान को नष्ट करने का यह प्रयास है।"

"2002 के गुजरात दंगों में किए गए अत्याचारों" का दस्तावेज़ तैयार करने के लिए सेतलवाड़ के काम की प्रशंसा करते हुए रॉय ने कहा, "बड़ी सावधानी के साथ तैयार किए गए ये दस्तावेज़ एक दिन 'युद्ध अपराधों' का सबूत देगा क्योंकि गुजरात में यही सब हुआ था।"

राज ने कहा कि गौरी की हत्या को पांच साल हो चुके हैं और उनके हत्यारे जेल में हैं लेकिन हत्या कराने वाले आज़ाद हैं। उन्होंने कहा, “हमें बिलक़ीस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के कारण को भी समझना चाहिए। संदेश साफ तौर पर यह है कि 'यदि आप हमारी विचारधारा के नाम पर अत्याचार करते हैं, तो हम आपकी रक्षा के लिए यहां मौजूद हैं।'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि समाज को जेल की अवधारणा को ग़लत नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति सिर्फ़ जेल चला गया इसका मतलब यह नहीं है कि वह दोषी है। क्या इसका मतलब यह है कि हमें हार-माला तैयार रखनी चाहिए और उम्मीद करनी चाहिए कि और लोगों को छोड़ा जाएगा?

कविता ने "कर्नाटक में ख़ासकर शिवमोगा ज़िले में सांप्रदायिक घटनाओं में हुई वृद्धि" को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “जब मैं गौरी पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रही थी तो मेरी मुलाक़ात [पत्रकार] रवीश कुमार से हुई। मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई उम्मीद है? क्या सत्ता बदलेगी और भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएगी तो क्या बदलाव आएगा? उन्होंने कहा, 'नहीं।' लोगों को हथियार बना दिया गया है।”

 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

Attempt to Destroy Gujarat Riots Legal Trail: Arundathi Roy

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