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बिहार : जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

डॉक्टरों के एसोसिएशन ने बताया कि पीएमसीएसच समेत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर सोमवार सुबह 8 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
doctors protest
फोटो साभार: जागरण

सोमवार 23 सिंतबर से बिहार के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के नेतृत्व में अपनी 8 मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। ये हड़ताल सरकार की चिकित्सा शिक्षा नीति के विरोध में हो रही है। 

डॉक्टरों के एसोसिएशन ने बताया कि पीएमसीएसच समेत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर सोमवार सुबह 8 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

इन हड़ताली डॉकटरो की एक प्रमुख मांग है कि आइजीआइएमएस की तर्ज पर पीजी के स्टाइपेंड को 50 हज़ार, 55 हज़ार व 60 हज़ार से बढ़ा कर क्रमशः 80 हज़ार, 85 हज़ार व 90 हज़ार कर दिया जाए। आपको बता दें कि डॉक्टरों के अलावा विज्ञान के शोध छात्रों की भी काफ़ी समय से यह मांग रही है कि उनकी छात्रवृति को बढ़ाया जाए।

इस हड़ताल से पूरे बिहार में मरीज़ों को कई तरह की दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। ज़रूरतमंदों को अस्पताल में इलाज नहीं मिल पा रहा है। अभी यह भी नहीं पता चल सका है कि ये हड़ताल कब तक रहेगी। हालांकि डॉक्टरों ने साफ़ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी तब तक उनकी यह हड़ताल जारी रहेगी।

न्यूज़क्लिक ने डॉक्टरों से पूछा कि क्या इस हड़ताल को टाला नहीं जा सकता था, क्योंकि इससे आम जनता को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पर रहा है। इस पर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ शंकर भारती ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "हमने कई बार सरकार से चिट्ठी लिख कर और मिलकर भी बात करने की कोशिश की। इसी साल 10 अप्रैल को वार्ता में सरकार ने लोकसभा चुनाव के बाद सभी मांगें पूरी करने का वादा भी किया था, लेकिन अब तक उसका कुछ नहीं हुआ है। इसलिए हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए हैं। सरकार अभी हमारी मांगों को मन ले, तो हम तुरंत काम पर वापस लौट जाएंगे।"

इस हड़ताल को देखते हुए पीएमसीएच में 50 डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति की गयी है। यह जानकारी अस्पताल प्रशासन ने मीडिया को दी है। अस्पताल ने कहा, "हड़ताल की वजह से किसी मरीज़ को कोई परेशानी न हो, इसके लिए हमारी तैयारी पूरी है।" 

लेकिन अस्पतलो में इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक की सेवाएं अभी भी बाधित नज़र आ रही हैं।

आपको बता दें कि डॉ शंकर भारती की अध्यक्षता और डाॅ रविरंजन के संयोजन में आयोजित बैठक में कहा गया कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। मांगों को पूरा करवाने के लिए सचिवालय के चक्कर कटवाये जा रहे हैं। वहीं, मेडिकल अफ़सर की बहाली से इंटर्न को वंचित रखा जा रहा है।

हड़ताली डॉकटरों की मुख्य मांगें :

आइजीआइएमएस की तर्ज पर पीजी स्टूडेंट्स को 80, 85 व 90 हज़ार स्टाइपेंड दिया जाए व यूजी का स्टाइपेंड 24 हज़ार किया जाए।

राज्य के मेडिकल कॉलेज से पीजी उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को तीन साल की अनिवार्य सेवा के प्रावधान के तहत सीनियर रेज़िडेंट का प्रमाण पत्र दिया जाए।

सीनियर रेज़िडेंट की अधिकतम उम्र 37 से बढ़ाकर 45 साल की जाए

मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया (एमसीआइ) के अनुसार एक साल एसआर करने के बाद असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के लिए योग्य माना जाए

मेडिकल अफ़सर की बहाली प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर हो.

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