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बीजेपी और टीएमसी की ‘पोस्टकार्ड जंग’ में सब्सिडी के 3.5 करोड़ रुपये का नुक़सान

हर पोस्टकार्ड पर केंद्र सरकार 11.75 पैसे की सब्सिडी देती है। दोनों दल राजनीतिक लड़ाई के लिए पोस्टकार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। 
फाइल फोटो
Image Courtesy: indiatoday.in

लोकसभा चुनाव के समय से ही पश्चिम बंगाल में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता जहाँ तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 'जयश्री राम' लिखे 10 लाख पोस्टकार्ड भेज रहे हैं तो वहीं तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी के नेताओं को 'जय बांग्ला, जय काली' लिखे बीस लाख पोस्टकार्ड भेज रही है। इस पूरी सियासी कवायद में लगभग 30 लाख पोस्टकार्ड दोनों दल एक दूसरे को भेज रहे हैं। 

अमर उजाला में छपी एक ख़बर के अनुसार दोनों दलों की इस राजनीतिक लड़ाई में केंद्र सरकार को 3.53 करोड़ रुपये का नुक़सान हो रहा है। आपको बता दें कि यह पैसा देश की टैक्सपेयर जनता का है। दोनों दल जनता के पैसे से अपना सियासी हित साध रहे हैं। 

आपको बता दें कि 2017 में डाक विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ एक पोस्टकार्ड पर सरकार की लागत 12.15 रुपये आती है लेकिन सरकार जनता के हित के लिए इसे सिर्फ़ 50 पैसे में भेजती है। यानी हर पोस्टकार्ड पर सरकार को 11.75 पैसे का घाटा उठाना पड़ता है। यह घाटा सरकार जनता को सुविधा देने के लिए उठाती है। अब अगर दोनों दल अपनी राजनीतिक लड़ाई पोस्टकार्ड के ज़रिये लड़ेंगे तो इससे केंद्र सरकार को 3.53 करोड़ रुपये का घाटा होगा। 

ग़ौरतलब है कि इसी साल अप्रैल महीने में ख़बर आई थी कि डाक विभाग भारी घाटे में है। बताया गया था कि सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में भारतीय डाक का घाटा सबसे अधिक हो गया है। फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ 1854 से चल रहे भारतीय डाक में घाटे के कारणों में से एक पोस्टकार्ड, पार्सल, बुक पोस्ट, स्पीड पोस्ट और दूसरी सेवाओं में दी जानी वाली सब्सिडी भी है।

क्या है लड़ाई?

बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा जय श्रीराम के नारे लगाए जाने पर ममता बनर्जी कई बार नाराज़ होकर उन्हें फटकार लगा चुकी हैं। इसीलिए बीजेपी कार्यकर्ता इस नारे को लेकर ममता के ख़िलाफ़ माहौल बना रहे हैं। वे पोस्टकार्ड के ज़रिये जनसमर्थन हासिल करना चाह रहे हैं। दूसरी ओर तृणमल कांग्रेस ने बीजेपी की इस मुहिम के ख़िलाफ़ अभियान शुरू किया है। 

मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ बीजेपी ‘जय श्रीराम’ लिखे 10 लाख पोस्टकार्ड तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुप्रीमो ममता बनर्जी को भेज रही है। वहीं, टीएमसी ‘जय बांग्ला-जय काली’ लिखे 20 लाख पोस्टकार्ड बीजेपी नेताओं को भेज रही है। इन नेताओं में नरेंद्र मोदी, अमित शाह, बाबुल सुप्रियो, मुकुल रॉय और दिलीप घोष शामिल हैं। 

कितना जायज़?

भारत में सब्सिडी को लेकर एक बड़ी बहस हो चुकी है। ऐसा देश जहाँ की बड़ी आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे रहती है, वहाँ पर इसे देने को लेकर किसी को ऐतराज़ नहीं हो सकता है। मोटे तौर पर सरकार दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं पर सब्सिडी देकर ग़रीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को बेहतर जीवन यापन करने का मौक़ा देती है। 

हालांकि अपने पिछले कार्यकाल में 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलपीजी सब्सिडी को लेकर एक अभियान छेड़ा था। उनका कहना था कि जो लोग बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर ख़रीद सकते हैं उन्हें सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए। इसके बाद से सत्ताधारी दल यानी बीजेपी और एक बड़े वर्ग ने सब्सिडी को लेकर अभियान छेड़ दिया है। 

इस अपील के बाद ऐसा संदेश देने की कोशिश की जाती है कि लोगों का सब्सिडी लेना ग़लत है जबकि सरकार का सब्सिडी देना उसकी उदारता है। बड़ी संख्या में लोगों को सब्सिडी को लेकर भावनात्मक रूप से उन्हें ब्लैकमेल किया गया। हालांकि, दूसरी ओर संसद भवन की कैंटीन में सस्ते दरों पर भोजन की व्यवस्था उपलब्ध रही। 

अब नैतिकता के लिहाज़ से तृणमूल और बीजेपी के इस अभियान पर चर्चा की जाए; क्या ग़रीबों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी का इस्तेमाल दोनों दलों द्वारा सियासी हित के लिए जायज़ है? आपका जवाब निसंदेह ना होगा, भले ही यह राशि बहुत छोटी ही क्यों नहीं है।
 

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