Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

बुलीबाई ऐप मामला: स्वतंत्र आवाज़ों को बनाया जा रहा है निशाना

संगठित तौर से उन मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया गया है जो राजनीति और पत्रकारिता आदि में सक्रिय हैं और समय-समय पर सरकार की नीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाती हैं।
Enough is Enough
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार

देश में लगातार अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है। हरिद्वार में हुई तथाकथित “धर्म संसद” में नरसंहार की धमकी के बाद अब इंटरनेट पर “मुस्लिम महिलाओं” की “बोली” लगाने का मामला सामने आया है।

इंटरनेट पर “गिटहब” (github) नाम के प्लेटफार्म पर “बुलीबाई” (bullibai.github.i) ऐप बना कर, सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को नीलामी के लिये पोस्ट किया गया है। पीड़ित महिलाएँ और महिला संगठन इसको “दक्षिणपंथी संगठनों” द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ़ पैदा किये गये नफ़रत के माहौल का नतीजा मानते हैं।

संगठित तौर से उन मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया गया है जो राजनीति और पत्रकारिता आदि में सक्रिय है और समय-समय पर सरकार की नीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाती हैं।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इस से पहले 2021 में भी इसी तरह का एक मामला सुल्ली बाई ऐप (Sulli Bai app) पर 'सुल्ली डील्स' (Sulli Deals) सामने आया था। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इसके विरुद्ध कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया।

इस बार भी पीड़ित महिलाओं ने पुलिस में एफ़आईआर दर्ज कराई है और पहले भी कराई थी। लेकिन सरकार द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न पहले हुई थी और न अब होती दिख रही है। पहले मात्र औपचारिकता के तौर पर एक पत्र गिटहब को भेजा गया था। जिसका क्या हुआ, कुछ मालूम नहीं। इस बार शिवसेना की संसद प्रियंका चतुर्वेदी द्वारा मामला उठाये जाने के बाद केंद्रीय मंत्री  संचार, इलेक्ट्रा निक्सा एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्विटर पर बताया कि “GitHub ने आज सुबह इसके यूजर को ब्लॉक करने की पुष्टि की है. CERT और पुलिस प्रशासन आगे की कार्रवाई कर रहे हैं.”

हालाँकि इस मामले की चर्चा सारी दुनिया में हो रही है, लेकिन सरकार या सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा अभी तक इस पर कोई दूसरी प्रतिक्रिया नहीं है। कांग्रेस ने भी सरकार की ख़ामोशी पर सवाल उठाये हैं। पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी कहती हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस तरह के लोगों पर एक्शन न लेना आपकी सरकार की “महिला विरोधी विचारधारा” को दर्शाता है।

पीड़ित महिलाओं का कहना है कि “भगवा विचारधारा” वाले देश का नाम सारी दुनिया में ख़राब कर रहे हैं। “बुलीबाई” पर अपना नाम देख कर पत्रकार कविश अज़ीज़ “लेनिन” कहती हैं, दक्षिणपंथी अपनी नफ़रत की राजनीति में देश की छवि ख़राब कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि “इस तरह की बातों से मैं नहीं डरती हूँ, जब भी सरकार कुछ ग़लत करेगी, मैं उसका विरोध करूँगी।”

कांग्रेसी नेता सदफ़ जाफ़र का नाम भी ऐप में है और उनका कहना है कि सरकार की ख़ामोशी से देश में “नफ़रत का माहौल बढ़ रहा है। सदफ़ जाफ़र कहती हैं कि “मुझको अपना नाम देखकर दुःख तो हुआ, लेकिन इस से बड़े दुःख की बात यह है कि, अपने बेटे की तलाश में भटक रही एक ज़ईफ़ “माँ” की बोली लगाई जा रही है”।

महिला संगठनों का कहना है कि सरकार इतने गंभीर मामले पर ख़ामोश रह कर अल्पसंख्यक व महिला विरोधी ताक़तों को नफ़रत पैदा करने में प्रोत्साहित कर रही है। महिला अधिकारों के लिये मुखर, वामपंथी नेता सुभाषनी अली मानती है कि “महिलाओं की नीलामी” के विषय में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संज्ञान लेना चाहिए है। सुभाषनी अली मानती है, “देश में वैसे ही महिला हिंसा के मामले बहुत अधिक हैं, और अब ऐप के ज़रिये मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें इंटरनेट ओर डालना “महिला विरोधी” हिंसा को और बढ़ावा देगा”।

महिलाएं इसको राजनीति से जोड़ कर भी देख रही हैं। स्वतंत्र पत्रकार शाहीरा नईम कहती हैं कि यह नफ़रत वह फैला रहे हैं, जिनके पास चुनाव में जनता को दिखने के लिये “विकास” का कोई कार्य नहीं है। शाहीरा नईम ने न्यूज़क्लिक से कहा “यह एक राजनीति का ख़ेल है, मुद्दों से भटकाने कि लिए, “मुस्लिम समाज” को जज़्बात में न आकर इसका जवाब चुनावों में देना चाहिए।

महिला फ़ेडरेशन मानती है कि “मुस्लिम महिलाओं” की तस्वीर को नीलामी के लिये इंटरनेट डालना “भगवा” संगठनों का काम है। संगठन की अध्यक्ष आशा मिश्रा का कहना है कि “भाजपा सरकार इस तरह की हरकतों पर कभी लग़ाम नहीं लगाने वाली है, क्यूँकि यह स्वयं उसके एजेंडा का ही हिस्सा है”। आशा मिश्रा ने कहा कि यह मामला न सिर्फ़ महिला विरोधी हिंसा और मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ नफ़रत को बढ़ावा देता है, बल्कि  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी हमला है।

साइबर पुलिस (दक्षिण पूर्वी दिल्ली) ने पत्रकार इसमत आरा की शिकायत पर आईपीसी की 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना। 153B (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाले भाषण देना या लांछन लगाना।), 354A और 509 (शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है) के तहत मुक़दमा दर्ज किया है।

मुंबई “साइबर पुलिस” ने भी 'बुली बाई' ऐप बनाने वाले और इसे बढ़ावा देने वाले ट्विटर हैंडल के ख़िलाफ़  एक एफ़आईआर दर्ज की है। पुलिस सूत्रों ने मीडिया को बताया कि धारा 354-डी (महिलाओं का पीछा करना), 500 (मानहानि के लिए सजा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत यह मामला शनिवार को दर्ज किया गया।

(लेखक लखनऊ स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest