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बंदरगाहों के व्यापार को बढ़ाने के लिए कार्गो हैंडलिंग क्षमता में सुधार ज़रूरी

परिवहन पर स्थायी संसदीय समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि रेल और सड़क नेटवर्क में कमी प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक बड़ी बाधा बनकर उभर रही है।
बंदरगाहों के व्यापार

परिवहन पर बनी संसदीय समिति ने अपनी छानबीन में पाया कि प्रमुख बंदरगाहों के विकास और आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त धन आवंटनकरने के बावजूद, कार्गो हैंडलिंग क्षमता में आनुपातिक सुधार नहीं दिखरहा है और प्रमुख भारतीय बंदरगाहों और सिंगापुर के बंदरगाह के बीच कार्गो हैंडलिंग के मामले में बड़ा अंतर है।

अपनी हालिया रिपोर्ट में परिवहन पर स्थायी समिति ने बताया कि रेल और सड़क नेटवर्क की कमी प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक बड़ी अड़चन बनकर उभरी है।

संसदीय पैनल ने रेल-सड़क संपर्क परियोजनाओं को लागू करने संबंध में उपलब्ध वित्तीय साधनों के बारे में अधिक जानकारी मांगी है, जिसमें उनके लिए वित्त मुहैया कराए जाने वाले स्रोत और इस तरह के मॉडल भारत में कितने व्यवहार्य हैं, इसकी जांच भी शामिल है।

पैनल ने इस बातपर भी नाराज़गी जताई है कि नौ-परिवहन मंत्रालय ने लगभग तीन-चौथाई परियोजनाओं को पूरा करने की समय-सीमा बढ़ाई है, जबकि छोटे बंदरगाहों को महानगरीय शहरों और राज्यों की राजधानियों से जोड़ने के लिए कनेक्टिविटी परियोजनाओं को समय पर और शीघ्र पूरा करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए था।

पांच प्रमुख बंदरगाहों में यातायात में आई गिरावट को ध्यान में रखते हुए, भारतीय जनता पार्टी के सांसद टीजी वेंकटेश की अध्यक्षता वाली समिति ने देखा कि जिन बंदरगाहों ने नकारात्मक विकास दिखाया है, वे 2017-18 में यातायात वृद्धि के मामले में शीर्ष पर थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल का प्रदर्शन विभिन्न बंदरगाह वृद्धि कार्यक्रमों और प्रमुख बंदरगाहों के लिए ख़ास तौर पर डिज़ाइन की गई योजनाओं और उसके लिए उपलब्ध कराए बड़े सरकारी धन से मेल नहीं खाता है।

पांच बंदरगाहों - कामराजार, चेन्नई, न्यू मंगलौर, मोरमुगाओ और जेएनपीटी - ने पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की है।

31-सदस्यीय समिति का विचार है कि भारतके प्रमुख बंदरगाहों में बड़े तकनीकी परिवर्तनों की शुरुआत कार्गो हैंडलिंग को प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है।

समिति ने यह भी पाया कि कोलकाता, पारादीप,कामराजनगर, चेन्नई, चिदंबरनार, न्यू मंगलौर और दीनदयाल के बंदरगाहों में, प्रति जहाज़ का औसत उत्पादन 2018-19 से भी कम है। जैसा कि समिति ने सिफ़ारिश की है कि शिपिंग मंत्रालय को उन बंदरगाहों के प्रति जहाज बर्थ में औसत उत्पादन में कमी के कारणों पर गौर करना चाहिए और सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।

यह पाया गया कि कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पूंजी प्रधान हैं और इनकी अवधि काफ़ी लंबी होती है क्योंकि ये लंबे समय तक आर्थिक रूप से व्यवहार्य होते हैं।

बजट आवंटन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समिति ने कहा कि सागरमाला परियोजना के लिए बजट अनुमान 2019-20 में 150 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी। संशोधित अनुमान 2019-20 में घटाकर 98.26 करोड़ रुपये कर दिया गया क्योंकि योजना के तहत स्वीकृत कई परियोजनाओं को वैधानिक मंज़ूरी न मिलने की वजह से वित्त मुहैया नहीं कराया जा सका।

पैनल ने नोट किया कि यह ख़राब योजना और वित्तीय अनुशासन में कमी को दर्शाता है क्योंकि बजट में दिए गए धन को मंज़ूरी की चाहत में खाते में सड़ने दिया गया।

समिति ने यह भी जानना चाहा है कि जो परियोजनाएं लागू होनी थी, उन्होंने भी अधिक समय लिया या वास्तविक बजट से उनका खर्च अधिक बढ़ा। समिति ने मंत्रालय से देरी के लिए सटीक कारणों, यदि कोई है तो, बताने को कहा है, वह भी हर पोर्ट की जानकारी देनी होगी और इसके समाधान के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।

समिति ने कहा कि अनुमानित मांग और 2020-21 के वित्त वर्ष में मंत्रालय के लिए स्वीकृत बजट के बीच एक बड़ा अंतर है। मंत्रालय द्वारा 3,328.70 करोड़ रुपये की अनुमानित मांग के एवज में उसे केवल 1,800 करोड़ रुपये मिले हैं। जाहिर है कि बजटीय योजना में कमियों के चलते इस तरह की भारी भिन्नता देखने को मिलती है, समिति ने कहा।

मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वह बजट निर्माण में उचित योजना और मूल्यांकन के साथ-साथ अपनी जरूरतों और इसे सौंपे गए कार्यों को पूरा करने की क्षमता के लिए सावधासी से काम करे।

समिति ने बजट अनुमानों और संशोधित अनुमानों के बीच इस महत्वपूर्ण भिन्नता पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है जो बजटीय योजना में गंभीर कमियों और धन के उपयोग की निगरानी में कमी का संकेत देती है। इसलिए समिति ने मंत्रालय को फंड की ज़रूरत में भारी कमियों को दूर करने को कहा है और साथ ही अनियमित प्रवृत्ति में सुधारात्मक उपाय करने की सिफारिश की है ताकि मंत्रालय के लिए अधिक विवेकपूर्ण बजट का निर्माण किया जा सके। इसने सलाह दी है कि मंत्रालय को उचित आंकलन और योजना बनाने के बाद ही अपना अनुमान लगाना चाहिए।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Cargo Handling Capacity at Major Ports Needs to Improve, Says Parliamentary Panel

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