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दक्षिण अफ़्रीका : लॉकडाउन की घोषणा के बावजूद माइनिंग कंपनियों ने मज़दूरों को काम पर बुलाया

कई प्लैटिनम खनन कंपनियां - जिन्होंने लॉकडाउन से छूट के लिए आवेदन किया था, उन्हें खनन विभाग और ऊर्जा विभाग (डीएमआरई) द्वारा आवश्यक सेवा की स्थिति के साथ बाध्य किया गया है।
दक्षिण अफ़्रीका

एंग्लो अमेरिकन प्लैटिनम (एम्प्लेट्स) द्वारा नियोजित खनन मज़दूरों को बुधवार, 15 अप्रैल से वापस काम करने के लिए रिपोर्ट करने के लिए बुलाया गया है, बावजूद इसके कि दक्षिण अफ्रीका सरकार ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए महीने के अंत तक के लिए लॉकडाउन की आधिकारिक घोषणा कर दी है।

खनन कंपनियों के दबाव में डीएमआरई के खिलाफ बात करने वाले एसोसिएशन ऑफ मिनवर्कर्स एंड कंस्ट्रक्शन यूनियन (एएमसीयू) ने इस कदम के पीछे तर्क और प्रेरणा पर सवाल उठाया है। उन्होंने खनन कंपनियों को 'ज़रूरी चीज़ों' की श्रेणी में रखने के सरकार के क़दम पर भी सवाल उठाए हैं।

यूनियन ने एक बयान में 13 अप्रैल को कहा, "एएमसीयू यह नहीं समझ पा रहा है कि सोना, चांदी और हीरे को भी 'ज़रूरी समान' कैसे माना जा सकता है।"

यूनियन ने पहले इससे पहले एक टास्क फ़ोर्स के गठन का आह्वान किया था, जो माइन के अंदर सुरक्षा मुहैया करने का काम करने वाला था, जहाँ सफ़ाई उपायों को 'ना मुमकिन है।'

एएमसीयू ने जोर देकर कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय सहित विभिन्न संस्थानों से तकनीकी सलाह के साथ सुरक्षा मानकों का फैसला किया जाना चाहिए और इसे किसी भी उल्लंघन के लिए दंड के विनियमन के रूप में राजपत्रित और लागू किया जाना चाहिए।

एएमसीयू अध्यक्ष जोसफ़ मथुञ्ज्वा ने साफ़ शब्दों में कहा, "हम माइनों के अंदर कोई काम नहीं करेंगे जब तक इन दिशानिर्देशों को लागू नहीं किया जाता है।" हालांकि सरकार ने कंपनियों को लॉकडाउन से छूट दे दी है, और उन्होंने मज़दूरों को काम पर बुलाना शुरू कर दिया है।

एएमसीयू ने अपने सदस्यों को याद दिलाया है कि उनके अधिकारों के तहत, मालिकों की यह ज़िम्मेदारी है कि वो उनके(मज़दूरों) के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ काम की जगह बनाएँ और अगर वे ऐसा नहीं कर सकते हैं तो मज़दूरों को काम पर ना आने का पूरा अधिकार है।

 

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