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‘निर्देशित यात्रा’: 24 देशों के विदेशी राजनयिकों का कश्मीर दौरा  

इस बारे में नेशनल कांफ्रेंस के एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ का कहना था कि ‘इस दौरे के बारे में हमें कोई मालूमात हासिल नहीं थी; भले ही हम उनसे मुलाकात करते या नहीं, यह पहलू गौण है।’
‘निर्देशित यात्रा’: 24 देशों के विदेशी राजनयिकों का कश्मीर दौरा  

श्रीनगर: बुधवार को विदेशी राजनयिकों का एक दल श्रीनगर में पूर्ण तालाबंदी के बीच पहुंचा। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य की ‘विशेष दर्जे’’ की हैसियत के 5 अगस्त, 2019 के खात्मे के बाद से इस प्रकार की विदेशी राजनयिकों की यह तीसरी यात्रा है।

नीदरलैंड, पुर्तगाल, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, आयरलैंड, इटली, ब्राज़ील, चिली, कोटे डी इवोइर, मलेशिया, ताजिकस्तान, कीर्गीस्तान, मलावी और बांग्लादेश सहित विभिन्न देशों के कुल मिलाकर 24 दूत लगभग 10 बजे ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंचे थे। इन विदेशी प्रतिनिधियों के दल का नेतृत्त्व यूरोपीय संघ के राजदूत यूगो एस्टुटो ने किया।

जिन राजनयिकों ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले की यात्रा की थी, उनके भारी सुरक्षा बंदोबस्त वाले गुपकर इलाके में वापस ले जाने से पहले पंचायती राज चुनावों एवं अन्य घटनाक्रमों के बारे में अवगत कराया गया था। प्रतिनिधिमंडल ने हालिया जिला विकास परिषद (डीडीसी) के प्रितिनिधियों और अन्य अधिकारियों के साथ मुलाकात की। 

राजनयिकों से मिलने वालों में श्रीनगर के महापौर जुनैद अज़ीम मट्टू भी थे, जिन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि दौरे पर पधारे गणमान्य व्यक्तियों को इस क्षेत्र में हाल ही में हुए डीडीसी और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के बारे में अवगत कराया गया है।

मट्टू ने बताया “वे जमीनी हकीकत के बारे में मालूमात हासिल करना चाहते थे। सभी पक्षों की राजनीतिक नुमाइंदगी करने वाले दलों के चुने हुए प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था। जिस मुख्य मुद्दे पर वहां चर्चा हुई, उसमें सत्ता के विकेंद्रीकरण और योजना एवं जमीनी स्तर पर प्रतिनिधियों का सशक्तीकरण की बात शामिल थी।”

मट्टू के अनुसार विदेशी राजनयिकों ने सभी राजनीतिक दलों के चुने हुए प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। मट्टू ने बताया “इन सभी ने एक स्वर में दोहराया कि वहां पर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संपन्न हुए थे। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का होना लोकतंत्र के सशक्तीकरण का सबसे बड़ा प्रमाण माना जाता है।”

हालाँकि नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के महासचिव, अली मुहम्मद सागर ने इस राजनयिक दौरे के प्रति अपनी अनभिज्ञता जताई है। वरिष्ठ राजनेता ने दावा किया है कि उनकी पार्टी को प्रतिनिधियों के साथ मुलाक़ात के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। सागर का कहना था “हमें इस दौरे के बारे में कोई मालूमात हासिल नहीं है। भले ही हम उनसे मिलते या नहीं, यह पहलू उतना मायने नहीं रखता है।”

सागर की ओर से ये आरोप भी लगाए गए हैं कि हकीकत में उनकी पार्टी के डीडीसी सदस्यों को इस दौरान हिरासत में रखा गया था। 

सागर ने कहा “यह एक जोड़-तोड़ बिठाकर किया जाने वाला दौरा है जिसे प्रशासन के चाटुकारों के जरिए एक झूठे प्रक्षेपण (प्रोजेक्शन) को खड़ा करने के लिए किया गया है।”

हालाँकि इन गणमान्य व्यक्तियों की दो दिवसीय यात्रा स्थानीय लोगों द्वारा आहूत तालाबंदी के बीच में सम्पन्न हुई। इसमें विशेष तौर पर पुराने श्रीनगर शहर और व्यावसायिक केंद्र लाल चौक में जहाँ सभी दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान इस दौरे के विरोध में बंद रहे, जिसके बारे में कई लोगों का कहना था कि यह एक ‘निर्देशित दौरा’ है। सड़कों पर वाहन भी इक्का दुक्का ही देखने को मिले, क्योंकि प्रमुख मार्गों पर सीमित सार्वजनिक परिवहन ही दौड़ रहे थे। 

इस दौरे को इस क्षेत्र में हाई-स्पीड इंटरनेट को एक बार फिर से बहाल करने के कुछ दिन बाद ही आमंत्रित किया गया है, जिसे धारा 370 के निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने के बाद से निलंबित कर दिया गया था। इस दौरे को ध्यान में रखते हुए कई निरीक्षण चौकियों और सैन्य बंकरों को शहर के भीतर से हटा लिया गया था।

मीरवाइज़ उमर फारूक की अगुआई में अलगाववादी विलय, आल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) ने जहाँ इस दौरे को लेकर सवाल खड़े किए हैं वहीं इस यात्रा को “सामान्य हालात दिखाने” और “भ्रम फैलाने” की एक कवायद भी कहा है। 

अपने बयान में एपीएचसी ने प्रतिनिधिमंडल से अपील की थी कि वे “इस विवाद का समाधान निकालने के लिए भारत, पाकिस्तान और इस क्षेत्र की जनता के बीच में संवाद को शुरू करने” में मदद करें।

इससे पूर्व इस प्रकार की पहली यात्रा में कुल मिलाकर 27 विदेशी राजनयिकों ने अक्टूबर 2019 में कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरे को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के सरकार के कदम के एक महीने बाद आयोजित किया गया था। इनमें से अधिकांश आगन्तुक दक्षिण और धुर-दक्षिणपंथी पक्ष के राजनीतिक विचारधारा से संबंध रखने वाले थे। 

इसी तरह पिछले साल फरवरी माह में एक और 25 विदेशी राजनयिकों का समूह केंद्र शासित क्षेत्र के दौरे पर आया था, जिसमें फ़्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली, हंगरी, नीदरलैंड और बुल्गारिया से आए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। उस दौरान उन्होंने नागरिक समाज के सदस्यों, व्यवसाइयों और व्यापारियों के एक चुनिंदा समूह से मुलाक़ात की थी।

श्रीनगर के एक स्थानीय व्यक्ति जुबैर खान का कहना था “यह समान्य हालात को दर्शाने के लिए मात्र आँखों में धूल झोंकने वाली कवायद है, लेकिन हर किसी को कश्मीर की हकीकत और यहाँ पर किस प्रकार की हिंसा हम झेल रहे हैं, इसकी जानकारी है।”

इस बीच हथियारबंद हमलावरों ने, जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे आतंकवादी थे, श्रीनगर में एक रेस्टोरेंट मालिक के बेटे जिसका नाम विकास मेहरा है, उस पर हमला कर दिया।पीड़ित जिसकी उम्र 20 वर्षीय बताई जा रही है, उसे तत्काल अस्पताल में दाखिल कराया गया है, जहाँ उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

‘Guided Tour’: Foreign Envoys from 24 Countries Visit Kashmir

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