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ब्रिटेन : राजनीतिक उलटफेर के बीच बुनियादी मुद्दे क्या हैं?

ब्रिटेन इस वास्तविकता को समझने में नाकामयाब रहा है कि वह अब कोई साम्राज्य या कोई  प्रमुख आर्थिक शक्ति नहीं रह गया है। आर्थिक विकास के जिस खवाब को लिज़ ट्रस ने बेचने की कोशिश की थी, वह वास्तव में 2008 के वित्तीय संकट के बाद उभर नहीं सका है।
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Image Courtesy: Flickr

कोई भी यह सोचता होगा कि 'पोस्ट-ट्रुथ वर्ल्ड' का अर्थ है सत्य के कई संस्करण। जब 20 अक्टूबर को लिज़ ट्रस ने संसद एमिन कहा कि वह "लड़ाकू हैं न कि भगोडी" और अपने इस बयान के 24 घंटे से भी कम समय में यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, तो किसी ने सोचा था कि क्या यह सच्चाई के उलट है। 

ब्रिटेन को अपनी स्थिरता पर गर्व था- एक ऐसा मुख्य शब्द जिसे मीडिया की बढ़ती जांच के युग में धारणाओं का प्रबंधन करने के लिए गढ़ा गया था। 2017 के आम चुनाव के बाद जब लेबर पार्टी के वामपंथी नेता जेरेमी कॉर्बिन करीब-करीब प्रधानमंत्री बनने के कगार पर थे तो उनके खिलाफ अधिकांश मीडिया की भविष्यवाणियों और सार्वभौमिक शत्रुता के मद्देनज़र, फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा: "लोकतंत्रों की सबसे स्थिर पश्चिमी दुनिया अब आश्चर्यचकित  करने वाला पिटारा बन गया है।" उन मानकों के अनुसार, 2022 में ब्रिटेन दुर्घटना के बाद के ब्लैक बॉक्स की तरह दिख रहा है।

जबकि राजनीतिक और आर्थिक संकट के ढांचागत कारण हैं, हाल ही में सामने आई तबाही ट्रस के फैसलों से उनके प्रीमियरशिप की शुरुआत से ही शुरू हो गई थी। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुवात लिबरल डेमोक्रेट पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में शुरू की थी और उन्हे ब्रिटिश राजशाही के पूर्ण उन्मूलन के लिए दिए गए एक भाषण के लिए भी याद किया जाता है। जबकि वह कट्टरपंथी विचारों को अपनाने में संकोच नहीं करती थी, उनका वैचारिक पेंडुलम बड़ी तेजी से बाएं से दाएं की राजनीति की तरफ स्थानांतरित हो गया जब वह कंजरवेटिव पार्टी में शामिल हो गईं थी।

ट्रस के हालिया फैसलों की जड़ें इस तथ्य में निहित हैं कि उन्होंने अपनी पार्टी के अति-दक्षिणपंथी विंग के जुड़ाव किया, जो बड़े व्यापारिक घरानों पर किसी किस्म की लगाम नहीं चाहते हैं, 'प्रतिस्पर्धा' को बढ़ाने के लिए श्रम कानूनों और काम करने की स्थिति (ट्रस ने  ब्रिटिश श्रमिकों को "आलसी" जिन्होने कम वेतन पर अधिक घंटो के लिए काम करने से माना कर दिया था) में कोई नियमन लागू नहीं करना चाहती थी और सबसे महत्वपूर्ण बात टैक्स में पूँजीपतियों के लिए कटौती चाहती थी।

टैक्स कटौती का सैद्धांतिक नियम इस तर्क को रेखांकित करता है कि सभी लोगों को अपनी कमाई से अधिक रखने की अनुमति है। व्यावहारिक रूप से, यह नियम हमेशा सबसे अमीरों का पक्ष लेता है क्योंकि वे अधिक टैक्स का भुगतान करते हैं जबकि आम लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सार्वजनिक सेवाओं में कमी झेलनी पड़ती है।

बोरिस जॉनसन के दफ्तर छोड़ने के बाद, टोरी नेतृत्व का चुनाव ज्यादातर करों के मुद्दे पर हुआ। ट्रस पूर्व चांसलर ऋषि सुसनक के खिलाफ खड़ी हुई, जिन्होंने कोविड-19 के कारण सरकारी उधारी में बढ़ोतरी को देखते हुए और खर्च में वृद्धि के कारण टैक्स में बढ़ोतरी की थी। ट्रस का मानना था कि बड़े निगमों पर टैक्स लगाने से निवेश कम होगा और अधिक नौकरियां पैदा करने में रुकावट पैदा होगी, जो अधिक आर्थिक विकास सुनिश्चित करता- संक्षेप में, यह वह प्रसिद्ध 'ट्रिकलडाउन' सिद्धांत, है जिसमें माना जाता है कि अमीरों की संपत्ति में इजाफ़ा, जादुई रूप से बाकी आबादी को भी लाभ देगा।   

भारतीय मीडिया ने सुनक के भारतीय मूल के कारण उसकी संभावनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था, जबकि कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों के बीच सर्वेक्षणों की अनदेखी की जिन्होने  हमेशा ट्रस का पक्ष लिया था। इस परिपेक्ष में, सुनक ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया क्योंकि लोगों को यह एहसास होने लगा था कि ट्रस की 'फंतासी अर्थशास्त्र' की उड़ान जल्द ही जमीन पर गिर सकती है। लेकिन ब्रिटिश सत्ता और जनता को उस निरंतर अराजकता की उम्मीद नहीं थी जो सामने आई है।  

ट्रस ने आर्थिक विकास को तुरंत शुरू करने के अपने दृढ़ संकल्प में, अधिक व्यावहारिक सांसदों की अनदेखी करते हुए अपने वैचारिक सहयोगियों को मंत्रिमंडल में जगह दी। उनके वित्तमंत्री और लंबे समय से उनके दोस्त क्वासी क्वार्टेंग ने 23 सितंबर को एक 'मिनी-बजट' पेश किया था- जो एक पूर्ण बजट का आगाज़ था जिसमें उन्होंने ज्यादातर बड़े निगमों और सबसे धनी लोगों के लिए 45 बिलियन पाउंड की कर कटौती का वादा किया था।

कर कटौती का खामियाज़ा सरकार द्वारा बाज़ारों से उधार लेकर पूरा किया जाना था। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा समर्थित ब्रिटिश वित्तीय बाजारों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि बड़े पैमाने पर सरकारी कर्ज़, सरकारी राजस्व से अधिक नहीं हो सकता है, जैसा कि मिनी-बजट ने कर दिखया था।

रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारकों के कारण ब्रिटेन, दुनिया भर में छाई मंदी और मुद्रास्फीति की चपेट में आ गया है। बाजारों ने सरकार की नीति को बढ़ती मुद्रास्फीति के रूप में देखा और सभी कुछ ढह सा गया। ब्रिटिश पाउंड, जो हमेशा डॉलर से अधिक मूल्य का रहा है, वह डॉलर के समान मूल्य पर पहुँचने के कगार पर आ गया था और यहां तक कि उससे नीचे आने के कगार पर था।

भारी मुद्रास्फीति ने पहले से ही जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को और भी अधिक बढ़ा दिया था, और होम लोन पर ब्याज दरों में बड़ी वृद्धि हुई, जिससे मध्यम आय वाले परिवारों को परेशानी हुई और संभावित घर खरीदारों की आकांक्षाओं को चकनाचूर कर दिया। 

यह सब राजनीतिक अस्थिरता के बाद हुआ। जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अगर अभी चुनाव हुए, तो विपक्षी लेबर पार्टी 50 प्रतिशत से अधिक वोट जीत सकती है- एक ऐसा चुनावी भूस्खलन हो सकता है जिसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के युग में कभी दर्ज नहीं किया गया।

जाहिर है, उनकी ही पार्टी के सांसद ट्रस के खिलाफ हो गए। उन्हें क्वार्टेंग को इस्तीफा देने के लिए कहना पड़ा। उनके उत्तराधिकारी जेरेमी हंट चार महीने में चौथे वित्तमंत्री हैं। और फिर सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा दे दिया- ब्रेवरमैन 1834 के बाद से सबसे कम समय तक दफ्तर में रहने वाली गृह सचिव बनी। अंतिम झटका, टोरी सांसदों की रिपोर्ट से आया जिन्हे सरकार के पक्ष में वोट करने पर मजबूर किया गया था।

अपनी 45 दिनों की प्रीमियरशिप में, ट्रस को अपनी उस हर नीति को उलटना पड़ा, जिस पर उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी नेतृत्व का चुनाव जीता था। 'गोलीबारी की पहली आवाज पर गिर जाना' इसका एक उपयुक्त रूपक है।

हालाँकि ब्रिटिश राजनीति में संकट की जड़ें कहीं अधिक गहरी हैं। पिछले छह वर्षों में तीन पीएम और छह वित्तमंत्री बदले गए हैं। ये एक बड़ी अस्वस्थता के लक्षण हैं—ब्रिटेन इस वास्तविकता को समझने में विफल रहा है कि वह अब कोई साम्राज्य या कोई प्रमुख आर्थिक शक्ति नहीं रह गया है।

आर्थिक विकास के जिस खवाब को ट्रस ने बेचने की कोशिश की, वह वास्तव में 2008 के वित्तीय संकट के कभी उभर ही नहीं सका है, जो संकट व्यापारिक शेयरों पर पनपने वाले अमीर बैंकरों की लापरवाही के कारण पैदा हुआ था। सरकार, जिसमें पहले से ही कई वे बड़े नेता वे शामिल थे जो बड़े व्यापारिक घरानों और संदेहपूर्ण हेज फंडों के लिए काम करते थे,  इन लोगों ने ही स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसे प्रमुख विभागों के बजट में कटौती करने का फैसला किया था।

आर्थिक तंगी में ‘आत्मसंयम’ बरतने के इस दौर ने विकास में मदद नहीं की। मार्गरेट थैचर के समय से ही ब्रिटेन ने खुद के निर्माण को तबाह कर दिया था। यूरोपीय संघ (ईयू) में एकीकरण ने एक 'एकल बाजार' बनाने में मदद की थी, जहां ब्रिटिश स्टॉक ब्रोकर और हेज फंड टैरिफ मुक्त यूरोपीय सामान और पूर्व सोवियत-ब्लॉक देशों के सस्ते श्रम के बदले अपनी 'सेवाएं' बेच सकते थे।

हालांकि, 'साम्राज्य से खिन्न' कंजर्वेटिव पार्टी के दक्षिणपंथ को उम्मीद थी कि अगर ब्रिटेन यूरोपीय संघ में नहीं होता तो बड़े व्यवसाय के लिए यह आसान होता। पूर्व औद्योगिक शहरों में लाखों मेहनतकश लोगों को उपेक्षा और ‘आत्मसंयम’ की नीति के तहत सड़ने के लिए छोड़ दिया गया, यानि जो व्यवस्था जरूरत थी काम उसके विपरीत किया गया- और ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर निकालने का काम किया। 

ब्रेक्सिट लोकप्रिय गुस्से से प्रेरित हो सकता है, लेकिन इसकी आत्मा को वैचारिक धाराओं ने कब्जा लिया था, जिस विचारधारा से ट्रस का संबंध है- उन्होंने तुरंत अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर करने का सपना देखा, और स्थानीय नस्लवादी हल्कों की बिना पर की गई मुखर मांगों के अनुरूप प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाया।  

इसका कुछ भी फल नहीं निकला। यहां तक कि ब्रिटेन के सबसे करीबी सहयोगी अमेरिका ने भी मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। जैसा कि ब्रेवरमैन ने पाया कि यूके भारत के साथ मुक्त व्यापार सौदे नहीं कर सकता है और फिर भी वह प्रवास को प्रतिबंधित करना चाहता है।

जबकि ब्रिटिश व्यवस्था, कभी भी ट्रस जैसी औसत दर्जे की नेता को नहीं चाहती थी, वह भी इस सड़ांध को रोकने में विफल रही और संगीत की कुर्सियों के इस खेल को सिर्फ इसलिए खेला गया ताकि दुनिया की अस्थिर हालत में वर्षों से चल रही अमीरों के पक्ष की नीतियां इन अप्रत्याशित स्थितियों में भी जारी रहें। 

जबकि वेस्टमिंस्टर में सोप ओपेरा जारी है, ब्रिटिश लोगों के पास इस ड्रामे को देखने की विलासिता नहीं है। हंट के अनुसार, अर्थव्यवस्था के साथ ट्रस के गिनी पिग प्रयोगों के कारण हर विभाग को अधिक फंड कटौती झेलनी पड़ेगी। 

देश को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) पर गर्व रहा है, जो आपकी भुगतान करने की क्षमता के बावजूद सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए करदाता द्वारा मुक्त और वित्त पोषित है। एनएचएस बजट में कटौती के कारण, महामारी के दौरान सैकड़ों हजारों लोगों की मौत हुई है। आर्थिक मामले में अधिक 'आत्मसंयम' की नीतियाँ का मतलब, अधिक लोग एम्बुलेंस, ऑपरेशन के लिए अंतहीन इंतज़ार और यहां तक ​​कि किसी डॉक्टर की जांच के इंतज़ार में मर गए लगता है।

यूक्रेन में युद्ध के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई थी। ब्रिटेन की ठंडी कठोर जलवायु में, अगर ईंधन महंगा होता तो सर्दियों में घरों को गर्म करना मुश्किल हो जाएगा। ट्रस ने दो साल तक ईंधन बिलों पर रोक लगाने की घोषणा की थी, लेकिन हंट ने उसे पलट दिया और लोगों को अप्रैल के बाद बिलों भारी वृद्धि देखने को मिली। 

महंगाई के अनुरूप वेतन नहीं मिलने से गुस्साए कर्मचारी अब हड़ताल पर जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उत्तेजित प्रदर्शनकारी मिलिटेंट विरोध प्रदर्शनों का इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कि सड़क जाम करना और खुद को ज़मीन से चिपका लेना, क्योंकि ब्रिटेन में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। उत्तेजित नस्लवादी और प्रतिक्रियावादी चाहते हैं कि ब्रिटेन हर किस्म के प्रवास को रोक दे। यहां तक कि राष्ट्र पर सबसे लंबे समय तक हुकूमत  करने वाली प्रमुख महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, जो प्रतीकात्मक स्थिरता की प्रतीक थीं, ट्रस को 15 वें पीएम की शपथ दिलाने बाद, दो दिनों के भीतर उनकी मृत्यु हो गई थी। अब, किंग चार्ल्स III छह साल में अपना पहला और ब्रिटेन का पांचवां प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे।

लेखक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मीडिया अध्ययन में शोधार्थी हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

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