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चीन लैटिन अमेरिका के साथ बढ़ा रहा है अपने संबंध 

चीन ने लैटिन अमेरिका के लिए तीन खास लक्ष्य रखे हैं: जिसमें लैटिन अमेरिकी उत्पादों/वस्तुओं की ख़रीद, लैटिन अमेरिका में चीनी निवेश करना और प्रमुख लैटिन अमेरिकी सरकारों के साथ चीनी राजनीतिक एकजुटता को बढ़ाना शामिल हैं।
चीन लैटिन अमेरिका के साथ बढ़ा रहा है अपने संबंध 

जनवरी 2020 के मध्य में, मेक्सिको के अर्थव्यवस्था मंत्रालय में 800 लोग चीनी-मैक्सिकन संबंधों पर एक सेमिनार के साथ "चीन दिवस" मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से आर्थिक इतिहास में पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले मेक्सिको के अर्थव्यवस्था मंत्री ग्रेसिएला मर्केज़ कॉलिन ने कहा, "चीन और मेक्सिको को एक साथ चलना होगा, ताकि दोनों के संबंध आपस में मजबूत और ठोस बन सके।" जुलाई 2020 में, संयुक्त राज्य अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता लागू हुआ था। जनवरी के इस समारोह में, मर्केज़ कॉलिन ने कहा कि इस समझौते के बावजूद, चीन जैसे अन्य देशों से निवेश आकर्षित करने के लिए मेक्सिको को "अपने प्रयासों को दोगुना कर देना" चाहिए।

मेक्सिको में चीन के राजदूत झू क्विंगियाओ ने कहा कि उनका देश इस बात से सहमत है, और "मेक्सिको में निवेश करने की कई योजनाएं हैं", जिसमें तबास्को में मेक्सिको के स्वामित्व वाली डॉस बोकास पेट्रोलियम रिफाइनरी में 600 मिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत हैं; इस धन को औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक ऑफ चाइना, बैंक ऑफ चाइना और अन्य अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से उगाया जाएगा। 

4 जून, 2019 को, मेक्सिको सिटी पहुंचने के ठीक बाद, राजदूत झू ने एक प्रमुख फ़ाइनेंशियल  समाचार पत्र, एल फिनानसीरो में एक लेख लिखा था। उन्होंने लिखा, "व्यापार युद्ध," "चीन के विकास को नहीं रोक पाएगा। हर तरह के जोखिमों और चुनौतियों का सामना करते हुए, चीन को उनका सामना करने और उन्हें अवसरों में बदलने का आत्मविश्वास है।” उन्होंने यह भी नोट किया कि अमेरिका-चीन की अर्थव्यवस्थाएं अत्यधिक एकीकृत हैं, और इसलिए इन्हे जुदा करना असंभव है। इस बीच, चीन अन्य देशों के साथ बातचीत को बढ़ाने को तैयार है, वह इन देशों में निवेश के माध्यम से- जैसे कि मेक्सिको में निवेश करके या चीन में निवेश का स्वागत करके ऐसा करेगा। उन्होने यह भी लिखा कि चीन इस "व्यापार युद्ध" का लेखक नहीं है और चीन दिल से चाहता है कि यह संघर्ष जल्द से जल्द समाप्त हो।

चीन की समझ के तीन मुख्य आधार 

चीन ने लैटिन अमेरिका के प्रति तीन खास विचार विकसित किए हैं: पहला, लैटिन अमेरिकी वस्तुओं की खरीद करना, लैटिन अमेरिका में चीन की तरफ से निवेश करना और प्रमुख लैटिन अमेरिकी सरकारों के साथ चीनी राजनीतिक एकजुटता को बढ़ाना।

पिछले दो दशकों में, चीन, लैटिन अमेरिकी देशों के भीतर सबसे महत्वपूर्ण बाजार में से एक के रूप में उभरा है। उदाहरण के लिए, 2019 में, चिली का 32 प्रतिशत निर्यात चीन में हुआ, पेरू का 29 प्रतिशत, ब्राजील का 28 प्रतिशत, उरुग्वे का 27 प्रतिशत, और अर्जेंटीना का 10 प्रतिशत निर्यात रहा। चीन और लैटिन अमेरिका की आपसी निर्भरता का मतलब है कि निज़ाम में बदलाव के बावजूद, न तो चीन और न ही लैटिन अमेरिकी सरकारों ने इस रिश्ते को तोड़ा या रोका है। जब जायर बोलसनारो ब्राजील के राष्ट्रपति चुने गए थे, तो उन्होंने सत्ता में आने से पहले ताइवान के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने की तकरीर की, लेकिन एक बार जब वे पद पर बैठ गए, तो ब्राज़ील की आर्थिक जरूरत ने उन्हे बीजिंग के साथ संबंध तोड़ना असंभव बना दिया। अभी भी बहुत कुछ दांव पर लगा है। नवंबर 2019 में, बोल्सनारो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले, और दोनों ने कहा कि चीन और ब्राजील आपसी व्यापार को "एक समान रफ्तार से" बढ़ाएंगे। ब्राजील में ताइपेई इकोनॉमिक एंड कल्चरल ऑफिस के त्सुंग-चे चांग ने सितंबर 2020 में स्वीकार किया कि बीजिंग के साथ संबंध तोड़ने में बोल्सोनारो के सामने "कई बाधाएं" हैं। ब्राजील को इतनी छूट  नहीं है जो कि ऑस्ट्रेलिया को है, चूंकि ऑस्ट्रेलिया- चीनी बाजार पर निर्भर है- फिर भी वह अमेरिका के साथ चीन के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन में शामिल हो गया जिसे द क्वॉड (भारत और जापान के साथ) के रूप में जाना जाता है।

बोलीविया में लुइस एर्स की मूवमेंट फॉर सोशलिज्म (एमएएस) की चुनावी जीत के बाद, चीनी राष्ट्रपति शी ने एर्स को बधाई का संदेश भेजा है। उस संदेश में, राष्ट्रपति शी ने चीनी सरकार और तत्कालीन राष्ट्रपति इवो मोरालेस द्वारा सहमत 2018 रणनीतिक साझेदारी की याद दिलाई है। उस खास साझेदारी के तहत चीन की झिंजियांग टीबीईए समूह ने बोलीविया की राज्य लिथियम कंपनी वायएलबी के साथ एक नियोजित संयुक्त उद्यम में 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने का विकल्प चुना था। “क्यों? इसलिए कि बैटरी उत्पादन के मामले में चीन में एक गारंटीशुदा बाजार है, "मोरालेस ने उक्त बात समझौते पर हस्ताक्षर करने के समारोह में कही थी।  बोलिविया के नए राष्ट्रपति एर्स, मोरालेस की आर्थिक नीति के प्रमुख थे; उन्होंने संकेत दिया है कि वे चीन के साथ सहयोग की नीति जारी रखेंगे, विशेष रूप से महामारी के संदर्भ में। इसके कोई संकेत नहीं है कि मौजूदा हालत में भी चीनी निवेश धीमा होगा, निश्चित रूप से बोलीविया के मामले में तो ऐसा नहीं होगा। 

अंत में, राजनीतिक मोर्चे पर, चीन ने विभिन्न राजनयिक मंचों पर इस बात के संकेत दिए है कि वह क्यूबा और वेनेजुएला में निज़ाम बदलने के अभियानों और कोशिशों को रोकने में जितना संभव हो उतनी मदद अथवा सुरक्षा प्रदान करेगा। वेनेजुएला के खिलाफ एकतरफा अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ चीन और रूस ने खुलकर बात की है, और चीनी सरकार वर्तमान में वेनेज़ुएला के साथ एक नए कर्ज़-के-लिए-तेल सौदे पर बातचीत कर रही है। चीन के क्यूबा के साथ बहुत करीबी संबंध है; जब 2016 में फिदेल कास्त्रो का निधन हुआ था तो राष्ट्रपति शी तीन बार उनके सम्मान में श्राद्धांजली अर्पित करने बीजिंग के क्यूबा दूतावास में व्यक्तिगत रूप से गए (फिदेल एकमात्र ऐसे विदेशी नेता हैं जिन्हे इस तरह का सम्मान मिला है)।

लेटिन अमेरीका पर अमेरिकी दबाव

सितंबर 2019 में, ट्रम्प की बेटी इवांका ने अर्जेंटीना का दौरा किया था। उसने जुजयू की यात्रा की, जो बोलीविया की सीमा की ओर है। इवांका ट्रम्प उस वक़्त जॉन सुलिवन (तब राज्य के उपसचिव थे) और अमेरिकी सरकार के अन्य सदस्यों (रक्षा विभाग और यूएसएआईडी) के साथ दौरे पर आई थीं। वह जुमेउ के गवर्नर गेरार्डो मोरालेस के साथ पुरमर्का में मिलीं, और फिर अमेरिकी सरकार के ओवरसीज प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (ओपीआईसी) के डेविड बोहिगियन के साथ सड़क निर्माण की दिशा में 400 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की, जिसे "लिथियम मार्ग (अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली की "लिथियम तिकड़ी”) के रूप में जाना जाता है। इसे बोलीविया की ओर से चीन की तरफ नज़दीक रुख करने के प्रयास के रूप में मूवमेंट फॉर सोशलिज्म के बयान के रूप में में देखा गया था।

बोहिगियन ने ओपीआईसी को वर्तमान में चल रही अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त निगम (DFC) के  अवतार में बदल दिया। डीएफसी की परियोजना- अमेरिका क्रेस- को सीधे लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में चीनी निवेश को चुनौती देने के लिए बनाई गई थी। सितंबर 2020 में, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ गुयाना में थे, जहां उन्होंने एक्सॉनमोबिल और अन्य तेल कंपनियों के निवेश के लिए दक्षिण अमेरिकी देशों को शामिल किया था। पोम्पेओ ने कहा था कि गुयाना को अमेरिकी तेल कंपनियों के साथ सौदा करना चाहिए, जिनके बारे में उन्होने दावा किया कि- वे भ्रष्ट नहीं हैं; पोम्पेओ ने यह बात उन कंपनियों के रिकॉर्ड के हवाले से कही थी,'' आप इसे देखें,'' और फिर चीन क्या करता है, इस पर गौर करें।'' उनका कहने का अंदाज़ ये था कि चीनी फर्म भ्रष्ट हैं और गुयाना जैसे देश को चीन से दूर रहना चाहिए।

26 अप्रैल, 2019 को, अमेरिकी विदेश विभाग में पश्चिमी गोलार्द्ध मामलों के कार्यालय के सहायक सचिव किम्बर्ली ब्रेयर ने लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में चीनी निवेश पर बड़ा हमला किया। उन्होने कहा कि, चीनी "बड़ी नकदी के थैले और झूठे वादों" के साथ महाद्वीप में आए थे; उसने चीन के खिलाफ धूर्ततापूर्ण आरोप लगाए, लेकिन इस मामले में कोई भी तथ्यात्मक उदाहरण पेश नहीं कर पाए। 

चीन पर किए गए ये सभी हमले लैटिन अमेरिका में थोड़ा सुर्खियों में हैं। उदाहरण के लिए, 2019 के एक खास सर्वेक्षण से पता चलता है कि मेक्सिको के 50 प्रतिशत लोगों की राय चीन के अनुकूल है, जबकि केवल 36 प्रतिशत लोग संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुकूल राय रखते है; अधिक से अधिक मेक्सिकोवासियों ने राष्ट्रपति ट्रम्प की तुलना में राष्ट्रपति शी को बेहतर और देश के अनुकूल माना है। 

सितंबर 2020 में, मेक्सिको में अर्थव्यवस्था मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी, लूज़ मारिया डे ला मोरा ने कहा कि चीन मेक्सिको के लिए एक "महान उदाहरण" है। उन्होने आगे कहा कि चीन, "आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने का “सहभागी है और मेक्सिको को "जितनी जल्दी हो सके महामारी से उभरने में मदद कर सकता है।" इसमें कोई संदेह नहीं है कि संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से मेक्सिको का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है; लेकिन चीन और मैक्सिको के बीच नई आत्मीयता खास है क्योंकि चीन में अगले साल की अनुमानित आर्थिक वृद्धि भी महत्वपूर्ण है। वाशिंगटन से पड रहे दबाव के बावजूद, और 2021 में बाइडेन के राष्ट्रपति बनने पर भी कोई बड़े बदलाव का संकेत नहीं है। इसलिए इन सभी लैटिन अमेरिकी देशों जैसे मेक्सिको को पता है कि वे चीन के साथ रिश्ता नहीं तोड़ सकते हैं; क्योंकि यह एक लापरवाह कदम होगा।

यह लेख Globetrotter में प्रकाशित हो चुका है।

विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वे ग्लोबट्रॉट्टर में लेखन और मुख्य संवाददाता हैं। वे लेफ्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक और ट्राईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं।

जॉन रॉस चिनयांग इंस्टीट्यूट फॉर फ़ाइनेंशियल स्टडीज़, रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ़ चाइना में वरिष्ठ फ़ेलो हैं। वह पहले लंदन के मेयर के  आर्थिक नीति के निदेशक थे।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

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