समय-स्वर : 'पब्लिक है, उनका कहा मानती है'
सर्दियों में आठ-दस लोग एक जगह इकट्ठे हों और गर्मागर्म चाय की चुस्कियां ले रहे हों तो ऐसे में मौजूदा दौर की राजनीति पर चर्चा चल ही पड़ती है। चाय की दुकान पर भी कुछ ऐसा ही नजारा था। एक भक्त कह रहे थे -''यार इन किसानों ने मोदी जी की नाक में दम कर रखा है। पहले इन्होंने तीनों कृषि कानून वापस लेने को कहा तो मोदी जी ने इन पर मेहरबानी करते हुए वापस ले लिए। हालांकि वे इन किसानों की भलाई के लिए ही थे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का वादा भी कर दिया। अब ये लोग इस पर भी नहीं मान रहे। कहते हैं कानूनी गारंटी चाहिए। बताइए मोदी जी ने वादा कर दिया यही क्या कम है। मोदी जी हर बात में कहते ही रहते हैं कि यह मोदी की गारंटी है। लगता है इन्हें मोदी जी पर विश्वास नहीं है। जबकि मोदी जी सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात करते हैं। अब फिर दिल्ली में दाखिल हो रहे हैं। यह तो गलत है।''
दूसरे भक्त बोले, ''और देखिए, मोदी जी ने किसानों के नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न भी दे दिया। चरण सिंह के पोते और रालोद नेता जयंत चौधरी तो इतने प्रसन्न हो गए कि कहने लगे 'मोदी जी ने दिल जीत लिया' 'अब किस मुंह से एनडीए में जाने से इनकार करूं'। जयंत चौधरी मोदी जी का आभार व्यक्त कर रहे हैं जबकि ये किसान हैं कि जरा-जरा सी बात पर नारा देंगे 'दिल्ली चलो' और मुंह उठाकर दिल्ली की ओर चल देंगे।''
मैं पार्क से मोर्निंग वॉक करके लौट रहा था। ठंड भी लग रही थी तो सोचा पार्क और मेरे घर के बीच में पड़ने वाली 'टिल्लू टी स्टॉल' पर एक कप चाय पीता चलूं। मैंने एक चाय ऑर्डर की और उन लोगों की बातें सुनने लगा।
तीसरे सज्जन बोले, ''भाई भारत कृषि प्रधान देश है। किसान हमारा अन्नदाता है। वह अन्न उगाता है तो हमें शहर में भोजन मिल पाता है। ऐसे में हमें किसानों का आभारी होना चाहिए और अगर किसान अपने हक़-अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं तो इसमें गलत क्या है?''
चौथे सज्जन, ''गलत क्यों नहीं आखिर ये मोदी जी की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। माना कि भारत कृषि प्रधान देश है तो मोदी जी भी तो इसका पूरा ध्यान रखते हैं। अब देखिए कृषि क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन को भी मरणोपरांत भारत रत्न दे दिया। इससे यह साबित होता है कि मोदी जी कितने किसान हितैषी हैं।''
''कैसे किसान हितैषी हैं मोदी जी? अगर किसानों का कल्याण चाहते तो एमएसपी को पहले ही कानूनी जामा पहना देते। किसानों को दिल्ली कूच नहीं करनी पड़ती। फिर उनके आने पर मोदी सरकार उनकी राह में कैसे-कैसे अवरोध उत्पन्न कर रही है। धारा 144 लगा रही है। सीमाओं पर कंक्रीट की बैरीकेडिंग कर रही है। कंटेनर लगा रही है। पंजाब हरियाणा राज्य की सीमाएं सील कर रही है। रेत की बोरियां और कंटीले तार लगा रही है। बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैयार कर रही है जैसे वे इस देश के किसान न होकर पड़ोसी देश के दुश्मन हों। पर ये भी धरती पुत्र हैं, आसानी से हार नहीं मानेंगे। जिस तरह से दिल्ली की 'किेलेबंदी' की गई है उससे मन में सवाल उठता है कि मोदी सरकार किसानों से इतनी डरती क्यों है?''
''कुछ भी कहो भाई, मोदी जी कमाल के व्यक्ति हैं। दुश्मन को भी अपना दोस्त बना लेते हैं। अब देखिए नीतीश कुमार को ही विपक्षी महागठबंधन से अपने पक्ष में ले आए। जयंत चौधरी को भी एनडीए में शामिल कर लिया। यह उनकी व्यवहार कुशलता है। भारत रत्न भी देखिए सिर्फ अपनी पार्टी के लोगों को ही नहीं बल्कि कांग्रेस के लोगों को भी दिया। यह मोदी जी की उदारता है।''
''भाई साहब, बुरा मत मानना, न यह उनकी व्यवहार कुशलता है और न उदारता। इसे रणनीति कहते हैं। चुनाव जीतने की रणनीति। मोदी जी भारत रत्न की रेवड़ियां यूं ही नहीं बांट रहे हैं। यह सब सोची-समझी रणनीति के तहत होता है। सभी जातियों, धर्म-संप्रदायों, क्षेत्रों आदि के समीकरण बनाकर वोट बैंक को साधा जाता है।'’
''आप भले ही इसे रणनीति कहें पर मोदी जी की उपलब्धियां भी तो कम नहीं हैं। धारा 370 किेसने खत्म की, तीन तलाक के ख़िलाफ़ कानून किसने बनवाया, राम मंदिर किेसने बनवाया, इस देश को सही अर्थ में हिंदुस्तान या हिंदू राष्ट्र का गौरव किसने दिलवाया, यूसीसी लागू किेसने किया और आगे देखिएगा सीएए भी मोदी सरकार ही लागू करेगी।''
''देखिए, हमारा भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है, इस देश का कोई धर्म नहीं है। यहां हिंदू ही नहीं, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि अनेक धर्म-संप्रदाय के लोग रहते हैं। देश का संविधान सभी को समान अधिकार देता है। इसलिए देश को धर्म के नाम पर बांटना उचित नहीं।''
''आपकी व्यक्तिगत राय कुछ भी हो सकती है। पर देश की पब्लिक ने मोदी जी को देश का बेताज बादशाह बना दिया है। अपना हीरो मान लिया है। मोदी जी अगर पब्लिक से थाली बजाने को कहें तो वह थाली बजाती है, अगर ताली बजाने को कहें तो ताली बजाती है, अगर दीप और रामज्योति जलाने को कहें तो वह भी करती है। ये जो पब्लिक है उनका कहा मानती है।''
''पर मत भूलिए कि पब्लिक के बारे में यह भी कहा जाता है कि 'अंदर क्या है, बाहर क्या है, ये सब कुछ पहचानती है, पब्लिक है, सब जानती है।' इसलिए अति आत्मविश्वास कभी खुद पर ही भारी पड़ सकता है।'' चाय पर चर्चा जारी थी। मेरी चाय ख़त्म हो चुकी थी। पैसे चुका कर मैं घर की ओर चल पड़ा। चलते-चलते सोच रहा था, यह तो वक़्त ही बताएगा कि पब्लिक मोदी जी को सही से जानती है या सिर्फ उनका कहा मानती है।''
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