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गोवा चुनावः कौन जीतेगा चुनाव और किसकी बनेगी सरकार?

इस बार भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि तमाम विपक्षी दल भाजपा को हराने के लिए लड़े हैं और ये स्थिति कांग्रेस के पक्ष में जाती है।
Goa exit polls

जैसे ही अंतिम चरण के मतदान ख़त्म हुए, तुरंत एग्ज़िट पोल की झड़ी लग गई। हर किसी के मन में सवाल है कि आखिर इन पांच राज्यों में कौन जीतेगा चुनाव और किसकी बनेगी सरकार? आप सोच रहे होंगे कि ये क्या सवाल हुआ? जो चुनाव जीतेगा उसी की तो सरकार बनेगी। लेकिन गोवा के संदर्भ में इस सवाल का मतलब अलग है। गोवा में जरूरी नहीं है कि जो चुनाव जीते सरकार भी उसी दल की बनें। पिछले विधानसभा चुनाव में जीत कांग्रेस की हुई थी लेकिन सरकार भाजपा की बनी थी। तो गोवा के संदर्भ में चुनाव जीतना और सरकार बनाना दोनों बिल्कुल अलग बात है। हालांकि राजनीति की ये स्थिति काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। हम इस लेख में इन दो सवालों को ही समझने की कोशिश करेंगे कि जीतेगा कौन और किसकी बनेगी सरकार?

क्या कह रहे हैं एग्ज़िट पोल के आंकड़े, जीतेगा कौन?

गोवा के संदर्भ में ज्यादातर एग्ज़िट पोल भाजपा को न्यूनतम 13 और अधिकतम 22 सीटों पर जीत दिखा रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भी भाजपा को 13 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस बार मुखर भाजपा विरोधी लहर के बावजूद भाजपा 13 सीटों के आंकड़े तक पहुंच पाएगी, इस पर संदेह है। कुछ एग्ज़िट पोल तो भाजपा को 22 सीटें यानी सप्ष्ट बहुमत दिखा रहे हैं। ये एक असंभव सी बात प्रतीत होती है। क्योंकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में काफी अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद भी भाजपा 22 सीटें नहीं ले पाई थी। उस समय कांग्रेस के खिलाफ लहर थी। मनोहर पर्रिकर भी ज़िंदा थे। तमाम तरह की राजनैतिक परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में थी लेकिन उसके बावजूद भाजपा 21 सीटें ही हासिल कर पाई थी। तो, इस बार तमाम राजनीतिक चुनौतियों और विरोधी लहर के बावजूद भाजपा को 22 सीटों की भविष्यवाणी किस आधार पर की जा रही है, ये समझ से परे है। हालांकि भाजपा खुद भी यही दावा कर रही है कि वो 22+ सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

एग्ज़िट पोल के हिसाब से कांग्रेस गठबंधन को गोवा में न्यूनतम 11 और अधिकतम 25 सीटें बताई जा रही हैं। कांग्रेस का खुद का दावा है कि वो 24-25 सीटें लेकर बहुमत के साथ गोवा में सरकार बनाएगी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अकेले 17 सीटें हासिल की थी। कांग्रेस के साथ इस चुनाव में गठबंधन वाली गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने 3 सीटें जीती थी। उस समय भी भाजपा के खिलाफ लहर थी और इस समय भी भाजपा के खिलाफ लहर है। अनुमान ये है कि कांग्रेस बहुमत के आस-पास ही कहीं रहेगी।

एग्ज़िट पोल के हिसाब से टीएमसी गठबंधन को 3-5 सीटों का अनुमान है। गौरतलब है कि ये सीटें टीएमसी नहीं बल्कि गोवा की काफी पुरानी स्थानीय पार्टी महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी की है। एमजीपी के वरिष्ठ नेता सुदिन धावलीकर का भी दावा है कि एमजीपी पांच सीटों पर जीत रही है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में एमजीपी को तीन सीटें मिली थीं। एमजीपी ने भाजपा को समर्थन दिया और भाजपा ने एमजीपी को ही हाशिये पर पहुंचा दिया। एमजीपी के तीन विधायकों में से दो विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गये और एमजीपी के पास मात्र एक विधायक ही बचा रह गया। ये सच है कि गोवा में एमजीपी के पारंपरिक वोटर हैं जिनके बदौलत एमजीपी 11-12 प्रतिशत वोट हासिल कर लेती है। लेकिन पांच सीटों का अनुमान तर्कसंगत नहीं है। एमजीपी अगर तीन सीटें भी बरकरार रख पाती है तो बड़ी बात है। आम आदमी पार्टी को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान है और 2-3 सीटें आज़ाद उम्मीदवारों के खाते में जाएंगी।

गोवा में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। इस बात की संभावना है कि कांग्रेस 21-22 सीटें जीत कर बहुमत हासिल कर सकती है। लेकिन ज्यादा संभावनाएं इस बात हैं कि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने वाला है। ये मात्र अनुमान है 10 मार्च को नतीज़े सबके सामने ही होंगे। कौन जीतेगा और कौन नहीं?

ये जानना सबसे महत्वपूर्ण है कि गोवा में फिलहाल क्या राजनीतिक हलचल है? गठबंधन की क्या सुगबुगाहाटें हैं? कौन नेता किसको फोन कर रहा है? कहां गोटियां फिट हो रही हैं? खुफिया चर्चाओं में क्या समीकरण बन रहे हैं और किस तरह के समझौतों पर चर्चाएं हो रही हैं? किस विधायक को कैसे सेट रखना है और विधायक किस तरह बारगेन कर पाएंगे? कौन बनेगा किंग और कौन बनेगा किंग मेकर? क्या कुल मिलाकर गोवा में हालात कमोबेश पिछले विधानसभा चुनाव जैसे ही रहने वाले हैं? ये सब बातें ही तय करेंगी कि किसकी बनेगी सरकार?

किसकी बनेगी सरकार?

गोवा में जैसे ही मतदान ख़त्म हुआ और धीरे-धीरे नतीज़े का दिन पास आने लगा था तभी से पार्टियों और नेताओं के बीच राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई थीं। हाई कमान से लगातार चर्चाएं, स्थानीय नेताओं से संभावनाओं पर चर्चा, विधायकों से समर्थन का जुगाड़ जोरों पर है। कांग्रेस और भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता, राजनीतिक रणनीतिकार, लॉबिस्ट आदि गोवा में डेरा डाल चुके हैं।

गोवा में इस बात की संभावनाएं ज्यादा है कि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत ना मिले। अगर ऐसा होता है तो क्या भाजपा पिछली बार की तरह इस बार भी स्थानीय दलों और विधायकों को अपने साथ मिला पाएगी? इस बार भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि तमाम विपक्षी दल भाजपा को हराने के लिए लड़े हैं और ये स्थिति कांग्रेस के पक्ष में जाती है। गोवा फारवर्ड पार्टी और कांग्रेस पार्टी पहले से ही गठबंधन में हैं। तृणमूल गठबंधन चुनाव से पहले ही कांग्रेस को समर्थन की पेशकश कर चुका है और अब भी कह रहे हैं कि तृणमूल गठबंधन भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को समर्थन देगा। एमजीपी के वरिष्ठ नेता सुदिन धावलीकर गोवा कांग्रेस अध्यक्ष से मिलकर समर्थन देने की बात कर चुके हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी शर्त रखी है कि मुख्यमंत्री का पद उन्हें दिया जाए। लेकिन सुदिन एक तरफ कांग्रेस को समर्थन का प्रस्ताव देते हैं तो दूसरी तरफ सुदिन दावलीकर प्लान बी भी तैयार रखते हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता और गोवा के प्रभारी देवेंद्र फड़वनीस से भी बात कर लेते हैं। शायद सुदिन भांप चुके हैं और उन्हें लगता है कि स्पष्ट बहुमत किसी का नहीं आना है और ऐसे में एमजीपी ही किंग मेकर बनेगी। सुदिन का दावा है कि एमजीपी 3-5 सीटें जीतेगी। ऐसी परिस्थिति में तृणमूल गठबंधन की धज्जियां उड़ती तो दिख रही हैं।

प्रमुख सवाल ये भी है कि अगर किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो ये हालात कांग्रेस के फेवर में है या भाजपा के? इसी बात को दूसरी तरह से ऐसे भी कहा जा सकता है कि इस स्थिति का फायदा उठाने में कांग्रेस ज्यादा सक्षम है या भाजपा? गोवा का पिछला चुनाव और देश के कई अन्य राज्यों के चुनावों का अनुभव बताता है कि ऐसी परिस्थितियों को अपने फेवर में मोड़कर सरकार बनाने में भाजपा ज्यादा सक्षम और माहिर है। हालांकि इस बार तमाम विपक्षी पार्टियों ने जनता को ये विश्वास दिलाने की कोशिश की है कि उनके विधायक दल-बदल नहीं करेंगे। कांग्रेस ने काफी मज़बूती के साथ इस पर पोजीशन ली है। कांग्रेस में अब तक कहीं से फूट के संकेत या स्वर सुनाई नहीं पड़ रहे। कांग्रेस बड़ी मजबूती के साथ दावा कर रही है कि पार्टी एकजुट है और वो बहुमत के साथ जीतेंगे। एक बहुत बड़ा खेल मुख्यमंत्री के पद को लेकर खेला जाता है। पिछली बार इसी के चलते कांग्रेस सरकार बनाने का मौका खो बैठी थी। लेकिन इस बार लगता है स्थिति काफी स्पष्ट है। हालांकि कांग्रेस ने घोषणा नहीं की है लेकिन अनुमान और सुगबुगाहट है कि दिगंबर कामत मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।

बहरहाल ज्यादा संभावनाएं इस बात की है कि गोवा में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बन रही है। हालांकि ये सभी अनुमान ही हैं और अनुमान गलत हो सकते हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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