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जिस ग्लास को जूस पीकर फेंक देते हैं, वैसे प्लास्टिक के सामानों पर प्रतिबंध के मायने?

सिंगल यूज़ प्लास्टिक क्या है? इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है? सिंगल यूज़ प्लास्टिक के अंतर्गत प्लास्टिक के किन सामानों पर  प्रतिबंध लगाया है? इस तरह के प्रतिबंध का क्या असर पड़ेगा?
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Image courtesy : CNN

जूस पीकर आप प्लास्टिक के ग्लास को फेंक देते हैं। इस तरह के कई प्लास्टिक के सामान होते हैं, जिन्हें एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है, उन्हें तकनीकि शब्दावली में सिंगल यूज़ प्लास्टिक कहा जाता है। प्लास्टिक के इन सामानों का पतलापन इतना अधिक होता है कि साधारण मापकों से इन्हें नहीं मापा जा सकता है। ये बहुत हल्के होते हैं। इनकी रीसायकल नहीं हो पाती है। इन्हें जलाने पर इनसे नुकसानदायक गैस निकलती है।

कचरा बीनने वाले मजदूरों को इन्हें इकट्ठा करने में कोई फायदा नहीं दिखता। इसलिए वे इन्हें जमीन पर ही छोड़ देते हैं। ये सिंगल यूज़ प्लास्टिक के सामान जमीन पर सैकड़ों सालों तक दबे रहते हैं। सैंकडों साल बाद जाकर इनका अपघटन होता है। जब तक यह रहते हैं तब तक मिट्टी तो खराब होती ही है, मिट्टी से रिसते हुए यह जलाशय, नदी और समंदर तक पहुंचते हैं। उन्हें भी जहरीला बनाते है। समंदरी जीवन तक इनकी पहुंच हो जाती है। मतलब मछली के अंदर इनकी मौजूदगी मछली को तो जहरीला बनाती ही साथ में मछली का सेवन करने वाले लोगों के सेहत पर भी बुरा असर डालती है।  

इस तरह के सिंगल यूज़ प्लास्टिक सामानों पर 1 जुलाई 2022 के बाद देश भर में प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। प्रतिबन्ध के लिए अगस्त 2021 में प्लास्टिक वेस्ट मैनजेमेंट अमेंडमेंट एक्ट में संशोधन किया गया था।  उसी संशोधन को 1 जुलाई से लागू किया जा रहा है। केंद्र सरकार के मुताबिक सिंगल यूज़ प्लास्टिक के अंतर्गत प्लास्टिक से बने 21 सामानों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है ।

प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक प्लास्टिक के झंडे,कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक ,थर्मोकोल, प्लास्टिक,कप, गिलास, फोर्क (कांटेदार चम्मच), चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को रैप, सिगरेट के पैकेट जैसे सामनों का इस्तेमाल 1 जुलाई से प्रतिबंधित है। जहां तक प्लास्टिक के थैले के इस्तेमाल की बात है तो 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले थैले पर अभी प्रतिबंध लग गया है। 75 माइक्रोन से लेकर 120 माइक्रोन की मोटाई वाले प्लास्टिक पर 31 दिसम्बर 2022 से पूर्ण प्रतिबन्ध लग जाएगा।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि केवल इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है बल्कि इसके निर्माण,भंडारण, खरीद-बिक्री, आयात, वितरण सब पर प्रतिबनध लगा दिया गया है। साथ में यह ध्यान रखना है कि केवल सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। उन प्लास्टिक के सामानों पर प्रतिबन्ध जिन्हे एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है। जिनकी रीसाइक्लिंग नहीं हो पाती है। यानि मिनरल वाटर और कोल्ड ड्रिंक के लिए इस्तेमाल होने वाले बोतलों का इस्तेमाल होता रहेगा।

पर्यावरण मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि केंद्र और राज्य स्तर पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक के रोकथाम के लिए कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। कंट्रोल निगरानी रखेगा कि कहीं सिंगल यूज़ प्लास्टिक निर्माण तो नहीं हो रहा, कहीं इसकी खरीद बिक्री तो नहीं हो रही, कहीं आयात और भंडारण तो नहीं हो रहा। पहले भी कई राज्यों में सिंगल यूज़ प्लस्टिक पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। लेकिन वह कारगर नहीं हो पाया। वजह यह थी कि जिन राज्यों में प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया था।  वहां से सप्लाई हो जाती थी।  इसलिए अबकी बार देश भर में प्रतिबन्ध लगाया गया है। पर्यावरण संरक्षण के मुताबिक़ अगर प्रतिबन्ध का उल्लंघन होगा तो  1 लाख जुर्माना से लेकर 5 साल तक के जेल की सजा हो सकती है। उल्लंघन के जैसे- जैसे मामले बदलेंगे वैसे- वैसे सजा भी बदलेगी।  

ऑस्ट्रेलिया के एक संस्था के मुताबिक़ दुनिया के कुल प्लास्टिक में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का एक तिहाई हिस्सा है। दुनिया में प्रति मिनट 20 लाख प्लास्टिक बैग वितरित किये जाते हैं। हर मिनट दस लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती है। इसमें से आधे से ज्यादा रीसायकल नहीं हो पाता है। केंद्र सरकार के मुताबिक देश में 2018-19 में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था। यहाँ यह समझने वाली बात है कि केवल सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन हुआ है।  इससे कचरे से पैदा होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी। लेकिन उतनी ही जीतने के लिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक जिम्मेदार है।  

लेकिन इन सबके अलावा दूसरा पक्ष यह है कि उन कारोबार, कारोबारियों, कर्मचारियों और मजदूरों का क्या होगा  जो सिंगल यूज़ प्लास्टिक से जुड़े हुए हैं। इन प्रतिबन्ध से उन पर क्या असर पड़ेगा। इस विषय पर ऑल इंडिया प्लास्टिक मैनुफेक्चर असोसिएशन का कहना है कि 88 हजार प्लास्टिक बनाने वाली इकाइयां एक झटके में बंद हो गयी हैं। तकरीबन दस लाख लोग बेरोजगार बेरोजगार हो गए हैं। जिन कंपनियों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के सामानों का इस्तेमाल होता था, उन पर भी बुरा असर पड़ा है। उनका कहना है कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक का बाजार में विकल्प मौजूद है। लेकिन कम मात्रा में है और इनकी कीमत बहुत ज्यादा है। लेकिन सरकार का कहना है कि इस विषय पर सरकार प्लास्टिक कारोबारियों से साल 2018 से बात करते आ रही है। हितधारकों और कारोबारियों को कारोबार में उचित परिवर्तन करने का लम्बा समय मिला है। इसलिए इसकी कम उम्मीद है कि सरकार अपने फैसले से वापस लौटे। फिर भी जो बेरोजगार हो रहे हैं, उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए सरकार और कारोबारियों को जरूरी कदम उठाने की जरूरत है।  

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