पारसनाथ पहाड़ी को मुक्त कराने के लिए आदिवासियों ने ‘मारंग बुरु बचाओ यात्रा’ शुरू की
![Tribals started 'Marang Buru Bachao Yatra' to free Parasnath hill](/sites/default/files/styles/responsive_885/public/2023-01/Prabhatkhabar_2023-01_83aac5b3-b663-4632-b75f-6338771ef24c_marang_buru.jpg?itok=J01HwzG4)
पारसनाथ पहाड़ी को जैन समुदाय के कथित ‘कब्जे’ से मुक्त कराने के लिए आदिवासियों के एक संगठन ने मंगलवार को देशव्यापी ‘मारंग बुरु बचाओ यात्रा’ शुरू की।
अदिवासी सेनगेल अभियान (एएसए) की एक महीने लंबी यह यात्रा पारसनाथ पहाड़ी या ‘मारंग बुरु’ को मुक्त कराने के लिए देशभर में समर्थन जुटाने के लिए निकाली जा रही है।
एएसए अध्यक्ष सल्खान मुर्मु ने जमशेदपुर में कहा कि संगठन के सदस्य असम, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के आदिवासी बहुल 50 जिलों में कलेक्टर कार्यालय के बाहर अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे।
एएसए के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार दोपहर असम के कोकराझार, चिरांग और बक्स, पश्चिम बंगाल के मालदा, पुरुलिया और बांकुरा, ओडिशा के क्योंझर, मयूरभंज, बालेश्वर, बिहार के कटिहार और पूर्णिया तथा झारखंड के जमशेदपुर, बोकारो और दुमका जिलों में प्रदर्शन किया।
आदिवासी पारसनाथ पहाड़ी को अपने समुदाय का सबसे पवित्र स्थल ‘जेहेर्थान’ मानते हैं।
ज्ञात हो कि 10 जनवरी को ‘मरांग बुरु बचाओ’ अभियान के लिए पारसनाथ पहाड़ी पर ‘महाजुटान’ करने का ऐलान किया गया। अपने पुरखों की पारंपरिक धरोहर और आस्था के स्थल से हटाये जाने तथा यहां आकर मांस-मदिरा खाने के विरोध के नाम पर सबके आने पर ही प्रतिबंध लगाने की बात ने सभी को आक्रोशित कर दिया। उनका कहना था कि यहां कल तक हम इसके घोषित मालिक थे और आज यहां हमारे ही आने जाने पर रोक लगाई जा रही है।
इतने संवेदनशील मसले पर अपनी पार्टी की निराश करने वाली भूमिका से तंग आकर झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेम्ब्रम ‘मरांग बुरु बचाओ अभियान’ के अग्रणी में शामिल हो गए और उन्होंने अपने बयान में कहा कि मरांग बुरु, पारसनाथ पहाड़ी ज़माने से यहां के आदिवासी-मूलवासियों का रहा है, आज इसका अधिकार हमें नहीं मिला तो अपनी सरकार को भी आईना दिखाया जाएगा। हेमंत सोरेन चाहें तो हमें पार्टी से हटा सकते हैं, माटी से नहीं हटा सकते।
उधर, पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 10 जनवरी को पारसनाथ पहाड़ी पर ‘महाजुटान’ में शामिल होने के लिए भारी तादाद में जगह-जगह से लोग आए। झारखंड समेत कई राज्यों के आदिवासी युवा और महिलाएं-पुरुष पैदल-जत्थों की शक्ल में पारसनाथ पहाड़ी की ओर पहुंचने लगे लेकिन प्रशासन ने पूरे इलाक़े को पुलिस छावनी में तब्दील कर लोगों को आगे बढ़ने से रोक दिया। परिणामस्वरूप ‘महाजुटान’ कार्यक्रम पारसनाथ पहाड़ी के नीचे अवस्थित पुलिस थाना से सटे हटिया मैदान में हुआ था ।
इस महाजुटान को संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा, कल तक हमें विकास के नाम पर विस्थापित किया गया और अब तथाकथित धार्मिक आस्था के नाम पर विस्थापित किया जा रहा है। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
इस बात की भी घोषणा की गयी कि आगामी 25 जनवरी तक यदि केंद्र और झारखंड की सरकारों ने ‘मरांग बुरु’ को आदिवासी-मूलवासियों का पारंपरिक आराधना-स्थल घोषित नहीं किया तो व्यापक स्तर पर हमारा भी आंदोलन शुरू हो जाएगा। कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी और हेमंत सोरेन सरकार विरोधी नारे लगाते हुए उनके पुतले को जलाकर विरोध दर्ज किया गया।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
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