पेरियार पर रामदेव का प्रलाप और संस्कृत पर वर्णाश्रमी दादागिरी!
रामदेव की हिन्दुत्व-वैचारिकी को लेकर जितने विवाद रहे हैं, लगभग उतने ही विवाद उनकी कारोबारी शख्सियत को लेकर हैं! सत्ता से अपने रिश्तों के चलते वह कुछ भी बोलते रहते हैं। पर इस बार द्रविड़ समाज सुधार आंदोलन के प्रणेता पेरियार और उनके समर्थकों पर ओछी टिप्पणी करके उन्होंने जितना विवाद पैदा किया है, उससे कहीं ज्यादा अपने कारोबार के लिए मुसीबत खड़ी की है। दूसरी तरफ बीएचयू के संस्कृत विभाग में अब भी डॉ फिरोज खां की नियुक्ति पर बवाल जारी है। यहां भी हिंदुत्वा वैचारिकी अपनी उग्रता के साथ मौजूद है। इन्हीं दो मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.
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