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अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने यूएन से अहमद की न्यायेतर हत्या के लिए जांच व न्याय की मांग की

83 संगठनों ने यह भी मांग की है कि इज़रायल 62 अन्य फ़िलिस्तीनियों के शवों के साथ अहमद का शव उनके परिवार को दे।
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83 मानवाधिकार समूहों और नागरिक समाज संगठनों के बड़े अंतरराष्ट्रीय समूह ने यूनाइटेड नेशन (यूएन) स्पेशल प्रोसीजर को अत्यंत महत्वपूर्ण एक पत्र लिखा है जिसमें अहमद इरेकट की सुनियोजित और न्यायेतर हत्या की गहन जांच की अपील की गई है। 14 जुलाई को अल-हक वेबसाइट पर प्रकाशित अपील में इस समूह ने यूएन से आग्रह किया है कि वह ये सुनिश्चित करे कि इस नृशंस हत्या को लेकर न्याय दिया जाए और जो ज़िम्मेदार हैं उन्हें क़ानून के अनुसार जवाबदेह ठहराया जाए।

इन संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र से आह्वान किया है कि वे इज़रायली दंडमुक्ति को समाप्त करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें जिसके परिणामस्वरूप इज़रायली सैनिक इस साल की पहले छह महीने तक 21 फिलिस्तीनियों की हत्या कर चुके हैं। उन्होंने अहमद की हत्या के अपराधियों और अन्य लोगों पर भी युद्ध अपराध और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत मुक़दमा चलाने की मांग की है।


27 वर्षीय अहमद इरेकट को 23 जून को क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में एक सैन्य चौकी के पास इज़रायली सैनिकों द्वारा उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब उन्होंने अपनी कार पर नियंत्रण खो दिया और चौकी के पास फुटपाथ पर कार चली गई। अहमद अपनी बहन और मां को अपनी बहन की शादी के दिन लेने के लिए गया था। इज़रायली सेना ने झूठा दावा किया था कि अहमद ने चौकी पर सैनिकों पर हमला किया था और खतरा मोल लिया था।


इस अपील में शामिल होने वाले प्रमुख संगठनों में ऐडामीर प्रिज़नर सपोर्ट एंड ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (Addameer Prisoner Support and Human Rights Association), अल मेजान सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स (Al Mezan Center for Human Rights), डिफेंस फॉर चिल्ड्रन इंटरनेशनल- पैलेस्टाइन (Defense for Children International (DCI) – Palestine), अल-हक, पैलेस्टाइन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स (पीसीएचआर-Palestinian Centre for Human Rights), अदालाह जस्टिस प्रोजेक्ट (Adalah Justice Project), कई अंतर्राष्ट्रीय बीडीएस संगठन, जेविस वायस फॉर पीस, वेनेजुएला वर्कर्स सॉलिडैरिटी सहित कई अन्य संगठन शामिल हैं।

इसके अलावा ये अपील इन हत्याओं के एक अन्य पहलू पर प्रकाश डालती है जैसे इज़रायली सैनिकों द्वारा की गई फिलिस्तीनियों की हत्या कर अवैध रूप से शवों को अपने क़ब्ज़े में रखना, जो मारे गए फिलिस्तीनियों के परिवारों और समुदायों के लिए सामूहिक दंड देने के जैसा होना। अहमद का शव भी उनकी हत्या के 20 दिनों से अधिक समय बाद उनके परिवार को नहीं दिया गया है ताकि वे अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार दफन कर सकें। कुल मिलाकर इजरायल अभी भी 63 फिलिस्तीनियों के शवों को रखे हुए है जिन्हें मार दिया गया। इस कार्यप्रणाली को साल 2016 में 'निषिद्ध दुर्व्यवहार' के रुप में यूएन कमेटी अगेंस्ट टॉर्चर द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस संयुक्त अपील में संयुक्त राष्ट्र से इज़रायल पर दबाव डालने के लिए कहा गया है कि वह उन सभी फिलिस्तीनियों के शवों को बिना शर्त छोड़ दे जो वर्तमान में उसके क़ब्ज़े में है।

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