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जय श्री राम बनाम जय सिया राम

आज रामनवमी है, और इतवार भी। इसलिए ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं जय श्री राम और जय सिया राम का फ़र्क़ और मर्म बताती मुकुल सरल की यह छोटी सी कविता।
Itwaar ki kavita
पेंटिंग साभार : सुखपाल ग्रेवाल

जिस दिन...

 

जिस दिन तुम

जय श्री—राम

और

जय सिया—राम

का फ़र्क़ जान जाओगे

उस दिन तुम

धर्म और संस्कृति के सारे भेद समझ जाओगे

राजनीति के सारे खेल समझ जाओगे

 

जिस दिन तुम

भारत माता की जय

और

हिन्दुस्तान ज़िंदाबाद

का एका समझ जाओगे

उस दिन तुम

वंदे मातरम् कहना होगा” का शोर नहीं मचाओगे

 

जिस दिन तुम

एक इंसान की तरह सोच पाओगे

उस दिन तुम

हिन्दू-मुसलमान नहीं रह जाओगे

और वही दिन

तुम्हारी आज़ादी का सच्चा दिन होगा

 

मुकुल सरल

(4 नवंबर, 2018)

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