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क्या है नर्मदा प्लानटेशन स्कैम ?

जहाँ एक तरफ प्रशासन ने इस मुहिम को एक बड़ी सफलता कहा था, वहीं दूसरी तरफ बाबाओं ने ‘गुमशुदा पौधों’ के मुद्दे पर प्रदेश भर में यात्रा की बात की थी, पर जैसे ही उन्हें राज्य मंत्री का दर्ज़ा मिला उन्होंने चुप्पी साध ली है I
Narmada scam

इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा के चुनावों से पहले मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 अप्रैल को 5 बाबाओं को शायद चुनाव में लाभ पाने के लिए राज्य मंत्री का दर्ज़ा दे दियाI इसमें बीजेपी सरकार को तात्कालिक लाभ ये हुआ कि इसमें से दो बाबाओं – कम्प्यूटर बाबा और योगेन्द्र महंत- द्वारा चलायी जा रही ‘नर्मदा घोटाला यात्रा’ को वापस ले लिया गया I बाकि तीन राज्य मंत्री बाबा हैं नर्मदानन्द महाराज, हरिहरानंद महाराज और भय्यू महाराज I

पिछले साल 2 जुलाई को चौहान सरकार ने एक दिन में नर्मदा नदी के किनारे 6 करोड़ पौधे लगाने की मुहिम चलाई थी I जहाँ एक तरफ प्रशासन ने इस मुहिम को एक बड़ी सफलता कहा था, वहीं दूसरी तरफ बाबाओं ने ‘गुमशुदा पौधों’ के मुद्दे पर प्रदेश भर में यात्रा की बात की थी, पर जैसे ही उन्हें राज्य मंत्री का दर्ज़ा मिला उन्होंने चुप्पी साध ली है I इन बाबाओं से पहले विपक्षी पार्टियों, मानवाधिकार संगठनों और पर्यावरणविदों ने भी इस मुहिमों में अंतर्विरोधों की बात की थी I

दिलचस्प बात ये है कि एक दिन की पौधे लगाने की इस मुहिम से सरकार ने ये कोशिश की कि इससे Guinness World Record बन सके I लेकिन Guinness World Record के लोगों के वहाँ मौजूद होने के बावजूद उन्होंने सरकार को कोई अवार्ड नहीं दिया और उल्टा सरकार से 1.2 लाख पौधे लगाने की जगहों के विडियो, एक दिन में 6 करोड़ पौधे लगाने के सबूत के तौर पर माँगे I.

इस मुहिम के अंतर्गत राज्य सरकार के द्वारा 2017-18 में नर्मदा नदी के किनारे फल और बिना फल के पौधे लगाने के लिए 102 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे I लेकिन अब तक इस मुहिम की कोई आधिकारिक जाँच नहीं की गयी है I सामाजिक कार्यकर्ता विनायक परिहार ने आरोप लगाया है कि एक जाँच से ये साबित हुआ है कि इस पूरी मुहिम में 1 करोड़ पौधे भी जिन्दा नहीं बचे हैं क्योंकि इन्हें बहुत जल्दबाज़ी में लगाया गया था I ये सिर्फ 16.66% की सफलता है I

वनों की कटाई से नर्मदा पर असर पड़ा है

पिछले साल मई में पर्यावरण के जानकारों चौकाने वाले तथ्य दिए कि कैसे नर्मदा को बर्बाद किया जा रहा है I जानकारों ने नर्मदा नदी के साथ उसके स्रोत यानी मध्य प्रदेश के अनुपुर ज़िले के अमरकंठ से उसके अंत यानी गुजरात के बरवानी ज़िले तक की यात्रा तय की I इससे उन्हें पता चाल कि सतपुरा और विन्ध्या पहाड़ श्रृंखला के बीच में वन कटाई की वजह से 101 में से 60 उप नदियाँ सूख चुकी हैं I

सरदार सरोवर डैम का प्रभाव

पिछले साल सितम्बर में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर डैम का उद्घाटन किया I ये बड़े सत्र का प्रोजेक्ट इसके शुरूवाती साल 1961 से ही विवाद का का विषय रहा है I सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे प्रभावित 80 % परिवारों का अब तक विस्थापन नहीं हो पाया है I ये आन्दोलन में मेधा पाटकर के नेतृत्व में चलाया जा रहा नर्मदा बचाओ आन्दोलन मुख्य भूमिका निभा रहा है, उनका कहना है कि अब भी सिर्फ मध्य प्रदेश में ही 40,000 परिवारों को 192 गावों और एक कसबे में पुनर्वास का कार्य बाकि है I

इसके पर्यावरण पर हुए असर पर बोलते हुए South Asia Network on Dams, Rivers and People के कोर्डिनेटर हिमांशु ठक्कर ने दावा किया कि नर्मदा के डैम से नीचे की ओर प्रवाह के 150 किलोमीटर का फैलाव साल के ज़्यादातर समय सूखा रहता है I

इन सब मुद्दों की वजह से मध्य प्रदेश सरकार को पौधे लगाने की ज़रुरत महसूस हुई पर, लेकिन जो उन्होंने किया वह सिर्फ दिखावा दिखाई पड़ रहा है I

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