क्या अमेरिकी प्रतिबंधों को मिल रही ईरानी चुनौती से वेनेज़ुएला को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाये रखने में मदद मिल पायेगी?
वेनेज़ुएला की नौसेना और वायु सेना की पहरेदारी में फ़ॉर्च्यून नामक एक ईरानी तेल टैंकर रविवार को इस आशंका के बीच वेनेज़ुएला के जल-सीमा में दाखिला हुआ कि अमेरिका इस सुपुर्दगी को लेकर किसी तरह का हस्तक्षेप करेगा या नहीं। अमेरिका ने वेनेज़ुएला और ईरान के ख़िलाफ़ तेल प्रतिबंध लगाये हैं और उसका कहना है कि वह ईरानी टैंकर पर नज़र रख रहा है।
असल में रिफाइनिटिव इकोन के नौ-परिवाहन आंकड़ों के मुताबिक़ इस महीने के शुरू में लगभग 1.5 मीटर बैरल ईंधन से लदे पांच ईरानी टैंकर स्वेज़ नहर से गुज़रे और ये टैंकर वेनेज़ुएला के लिए जा रहे थे। फ़ॉरेस्ट, पेटुनीया, फ़ैक्सन और क्लेव नामक अन्य चार ईरानी टैंकर वेनेज़ुएला के लिए कैरेबियन मार्ग से आ रहे हैं।
एक अमेरिकी नौसैनिक बेड़ा और तटरक्षक बल के जहाज़ कैरिबियन सागर में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने के अभियान के तहत गश्त कर रहे हैं। लेकिन, पेंटागन ने कहा है कि इन ईरानी टैंकरों को रोकने की कोई योजना नहीं है।
लेकिन, ठीक उसी समय, पेंटागन के एक प्रवक्ता, जोनाथन हॉफमैन ने गुरुवार को कहा कि उन्हें ईरानी कार्गो से जुड़े किसी भी ऑपरेशन के बारे में पता नहीं था। उन्होंने यह भी कहा, " "हम यह लगातार कहते रहे हैं कि ईरान और वेनेज़ुएला दोनों अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था से बाहर जाने वाले दो देश हैं और इन दोनों देश अपने ऊपर लेन-देन को लेकर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन कर रहे हैं।"
वेनेज़ुएला पर अमेरिकी प्रतिबंधों का मक़सद राष्ट्रपति मादुरो पर सत्ता से बेदखल होने के लिए दबाव का बढ़ाना है। इस प्रकार, ईरान यक़ीनन वेनेज़ुएला में ट्रम्प प्रशासन की ‘सत्ता परिवर्तन’ की घोषित नीति को चुनौती दे रहा है। मादुरो को पकड़ने और ड्रग तस्करी के आरोप में ट्रायल के लिए अमेरिकी हेलीकॉप्टरों से मादुरो को अमेरिका ले जाये जाने के मक़सद से दो पूर्व अमेरिकी ग्रीन बैरेट्स (अमेरिकी सेना के विशेष बलों के सदस्य) की भागीदारी के साथ व्हाइट हाउस द्वारा एक मई को नाकाम रहे तख्तापलट के प्रयास के ठीक तीन हफ़्ते बाद ईरान का यह क़दम सामने आया है।
तख़्तापलट की यह कोशिश सही मायने में नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले मादुरो सरकार को उखाड़ फेंकने को लेकर वाशिंगटन की हताशा की हद को दर्शाती है, जिससे राष्ट्रपति ट्रम्प को उम्मीद है कि वह हिस्पैनिक यानी स्पेन से या स्पैनिश-भाषी देशों से सम्बन्धित, विशेष रूप से लैटिन अमेरिकी देशों के लोगों से वोटों को हासिल करने में मदद मिलेगी। ईरान इन हालात में वेनेजुएला के लिए एक जीवनरेखा बनकर सामने आया है।
ऐतिहासिक संदर्भ में यह 19 वीं शताब्दी के उस मुनरो सिद्धांत पर ईरान द्वारा किया गया एक क़रार हमला है, जिसे अमेरिकी विदेश नीति गणना में पश्चिमी गोलार्ध (धरती का आधा हिस्सा, जिसमें अमेरिका है) को अपना प्रभाव क्षेत्र माना था। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्रम्प प्रशासन ने बिना किसी विस्तार में जाते हुए कहा है कि वह इस महीने की शुरुआत में इसे लेकर ‘उपायों पर विचार’ कर रहा था और ईरान के लदान के जवाब में क़दम उठा सकता था।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यह ईरान की तरफ़ से जानबूझकर प्रतिबंध को तोड़ने के लिए उठाया जाने वाला एक सोचा-समझा क़दम है। वेनेज़ुएला को 1,800 गैसोलीन स्टेशनों तक के उस ईंधन की सख़्त ज़रूरत है, जो कि राज्य द्वारा संचालित रिफ़ाइनरियों से अपर्याप्त आपूर्ति के चलते हफ़्तों से आंशिक रूप से बंद हैं।
वेनेज़ुएला का गैसोलीन उत्पादन अब सिर्फ़ इकलौता सुगम रिफ़ाइनरी यानी एमुय रिफ़ाइनरी तक ही सीमित है, लेकिन, ज़्यादातर ईंधन का उत्पादन न्यून ओकटाइन है,क्योंकि देश की ज़्यादातर अल्काइलेशन इकाइयां काम नहीं कर रही हैं। आयातित अल्केलेट घरेलू गैसोलीन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। वेनेज़ुएला की ज़्यादतर रिफाइनरी ख़राब हालत में हैं। मरम्मत के काम को शुरू करने के लिए हाल के हफ़्तों में उपकरणों से लदे ईरान की महान एयर के उड़ानें वेनेज़ुएला पहुंची हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि वेनेज़ुएला के जलक्षेत्र में उतरने से पहले अमेरिकी नौसेना इन अन्य चार ईरानी टैंकरों में से किसी एक को रोक पाती है या नहीं। तेहरान ने अमेरिका को सख़्त चेतावनी दी है कि अगर ऐसी कोई कोशिश की जाती है,तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा। शनिवार को तेहरान ने राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ स्पष्ट रूप से पहले ही चेतावनी देते हुए कह दिया था, "अगर कैरेबियन सागर या दुनिया में कहीं भी अमेरिकियों की वजह से हमारे तेल के टैंकर मुसीबत में पड़ते हैं, तो वे (अमेरिका) हमारे जवाबी कार्रवाई से मुसीबत में पड़ जायेंगे।"
वाशिंगटन को फ़ारस की खाड़ी और ख़ासकर हॉरमज़ के जलडमरूमध्य में तैनात अमेरिकी नौसेना के लिए बड़ी समस्यायें पैदा करने की ईरानी क्षमता के बारे में अच्छी तरह से पता है। पिछले सप्ताह एक एहतियाती क़दम के तौर पर अमेरिकी नौसेना ने नेशनल जियोस्पेशियल-इंटेलिजेंस एजेंसी द्वारा संचालित समुद्री सुरक्षा कार्यालय के ज़रिये अंतर्राष्ट्रीय जल-क्षेत्र और जलडमरुमध्य में अमेरिकी नौसैनिक जहाजों से कम से कम 100 मीटर की सुरक्षित दूरी बनाये रखने के लिए सभी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात को सचेत कर दिया था। पेंटागन के अधिकारियों ने अलग से इस बात की पुष्टि कर दी है कि फ़ारस की खाड़ी, अरब सागर और ओमान की खाड़ी में समुद्री यातायात को लेकर दूरी बनाये रखने की यह चेतावनी वास्तव में ईरान को ध्यान में रखते हुए ही दी गयी है।
भू-राजनीतिक दृष्टि से पश्चिमी गोलार्ध में अमेरिका के ख़िलाफ़ ईरान की रणनीतिक अवज्ञा एक दिलचस्प मामले का अध्ययन करती है, जो न सिर्फ़ अमेरिका के दक्षिण में अपने ठीक पीछे अमेरिकी प्रभाव में गिरावट के लिहाज से, बल्कि समकालीन विश्व राजनीति में "प्रभाव के क्षेत्र" के संपूर्ण असर के लिहाज से भी अहम है। यह तो एक बात है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि काराकास ने वेनेज़ुएला पहुंचने वाले ईरानी टैंकर की पृष्ठभूमि में अमेरिकी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष में ईरान को "क्रांतिकारी साथी" के रूप में वर्णित किया है। ईरानी दृष्टिकोण से, वेनेज़ुएला अमेरिका के ख़िलाफ़ "प्रतिरोध की धुरी" का एक हिस्सा बन जाता है। इतना तो तय है कि दोनों देशों के दुस्साहस से वाशिंगटन की चिढ़ का कोई अंत नहीं होगा।
ईरान-वेनेज़ुएला की इस धुरी का कितना विस्तार होगा और इसकी कितनी गहराई होगी,यह तो समय ही बता पायेगा। लेकिन, महत्वपूर्ण बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के खिलाफ दूसरे देशों को हथियार निर्यात किये जाने पर जो व्यापार प्रतिबंध लगाया हुआ है, वह अक्टूबर में समाप्त हो रहा है। रूस और चीन द्वारा जिस तरह से इसे लेकर सख़्त नकारात्मक रवैया अपनाया जा रहा है, उसे देखते हुए नहीं लगता है कि अमेरिका इस समय सीमा को आगे बढ़वा पाने में सक्षम हो पायेगा। इस बात को पूरी तरह समझ पाना मुश्किल नहीं है कि ईरान और वेनेज़ुएला का इस तरह से हाथ मिलाने से निकट भविष्य में सैन्य सहयोग का एक व्यूह शुरू हो सकता है।
ईरान की स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल क्षमता अमेरिकी आक्रमण के ख़िलाफ़ एक निवारक के रूप में कार्य करती है। ईरान ने हिज़बुल्लाह को मिसाइल तकनीक हस्तांतरित किया है, जिसके बारे में अनुमान है कि लेबनान पर इज़राइल की ओर से किये जाने वाले किसी भी हमले की स्थिति में वह इज़रायल को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है। ग़ौरतलब है कि यह अवरोध काम कर रहा है और इज़राइल ने अब लेबनान पर हमला करने का इरादा छोड़ दिया है।
ईरान की मदद से सामरिक संतुलन में इसी तरह का बदलाव वेनेज़ुएला के लिए अमेरिका को पीछे हटने को लेकर अधिक गुंजाइश बना सकता है। कुल मिलाकर, ईरान अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाये रखने के लिए वेनेज़ुएला की मदद करने की रणनीति पर काम कर रहा है। ईरान और वेनेज़ुएला के बीच सहयोग और समन्वय की व्यापक संभावना है। अगर वेनेज़ुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात तेल भंडार है, तो ईरान के पास भी तेल और गैस के बड़े भंडार हैं।
संकटग्रस्त वेनेज़ुएला की अर्थव्यवस्था में रफ़्तार लाने के लिए ईरान की तरफ़ से वहां तेल का भेजा जाना लैटिन अमेरिका के किसी और देश के लिए भी एक मुखर ईरानी शक्ति प्रदर्शन का संकेत साबित हो सकता है। कोई शक नहीं कि निकट अवधि में यह ईरान के ख़िलाफ़ ट्रम्प प्रशासन की अधिकतम दबाव की रणनीति के ख़िलाफ़ एक दो टूक जवाब है। एक दीर्घकालिक सिलसिले में रूस, चीन और ईरान की तरफ़ से लैटिन अमेरिका में एक ठोस क्षेत्रीय रणनीति इस महाद्वीप में अमेरिकी प्रभाव को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं-
Will Iran’s Defiance of US Sanctions Help Venezuela Retain Strategic Autonomy?
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