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मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम पीड़िता से गैंगरेप : कौन है गुनाहगार? कुछ लोग या सरकार!

एनएचआरसी ने कहा कि यह पीड़िता के मानवाधिकारों का हनन है, जो दो बार आपराधिक प्रवृत्ति का शिकार बनी। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी जवाब मांगा है। उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
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Image courtesy: News State

नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में रह चुकी एक लड़की से चलती कार में हुए कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में बिहार सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किए। साथ ही, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है।

मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में रह चुकी इस लड़की से पिछले सप्ताह पश्चिम चम्पारण के बेतिया शहर में एक चलती कार में कथित रूप से चार व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार किया था। उल्लेखनीय है कि इस बालिका गृह में रहने वाली कई लड़कियों का बरसों तक कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था।

एनएचआरसी ने कहा कि यदि इस घटना के बारे में आई खबरें सही हैं तो यह पीड़िता के मानवाधिकारों का हनन है, जो दो बार आपराधिक प्रवृत्ति का शिकार बनी। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी। साथ ही, पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर स्थिति रिपोर्ट भी मांगी।

बिहार में अराजकता की स्थिति

एनएचआरसी के एक बयान के मुताबिक आयोग ने राज्य प्रशासन को पीड़िता को उपयुक्त काउंसलिंग एवं मेडिकल सहायता देने का भी निर्देश दिया, ताकि वह इस सदमे से उबर सके।

इसमें कहा गया कि बलात्कार की शिकार लड़की राज्य सरकार की लापरवाही की पीड़ित बन गई है। आयोग ने कहा कि लड़की को दो बार (बलात्कार का) शिकार बनाया जाना बिहार में अराजकता का संकेत देता है। अपराधी कानून से बेखौफ खुल कर अपनी इच्छानुसार जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के नेतृत्व वाली समिति 19-20 सितम्बर को बिहार का दौरा करेगी और पीड़िता, पुलिस महानिदेशक और संभवत: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेगी।

शर्मा ने ट्वीट किया, ‘बिहार से हमारे सदस्य नियमित दौरे करते हैं और उन्होंने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के मामलों को उठाया है लेकिन चीजों में सुधार होता प्रतीत नहीं हो रहा है। मैं सभी मामलों पर निजी तौर पर बिहार के डीजीपी से और संभव हुआ तो बिहार के मुख्यमंत्री के साथ भी चर्चा करूंगी।’

उन्होंने कहा, ‘वह पहले से पीड़िता है, उसकी मदद करने के बजाय उसे इस सब से गुजरना पड़ा।’ आयोग ने बिहार के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी कर मामले को प्राथमिकता देने और जांच को तेजी से पूरा करने को कहा है।

चार लोगों के खिलाफ एफआईआर

पुलिस ने कहा कि लड़की ने बिहार के बेतिया नगर पुलिस थाने में दर्ज करायी गई अपनी शिकायत में कहा है कि चार लागों ने उसे जबर्दस्ती उस समय अपने वाहन में खींच लिया, जब वह क्षेत्र से गुजर रही थी और उससे वाहन में बलात्कार किया।

हालांकि, पश्चिमी चंपारण(बिहार) जिले के पुलिस अधीक्षक जयंतकांत ने बताया कि मामले में आयी मेडिकल जांच रिपोर्ट में पीड़िता को किसी बाहरी और अंदरूनी जख्म की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, बेतिया एसपी जयंत कांत ने बताया कि इस मामले से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

गौरतलब है कि मुज़फ़्फ़रपुर आश्रयगृह 2018 में मीडिया की सुर्खियों में आया था, जब एक सोशल ऑडिट में यह बात सामने आयी थी कि एक एनजीओ द्वारा संचालित सरकारी सहायता प्राप्त बालिका गृह में 30 से अधिक लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया गया।

बेपरवाह बिहार सरकार

कथित रूप से सामूहिक बलात्कार की घटना पीड़ादायक होने के साथ शर्मनाक तो है ही, इससे यह भी पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देशों को भी राज्य की नीतीश सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया है।

आपको याद दिला दें कि पिछले साल जब मई में मुज़फ़्फ़रपुर के बालिका गृह में तीस से अधिक लड़कियों के यौन उत्पीड़न की जानकारी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सोशल आडिट के जरिये बाहर आई थी, तो शुरू में इस पर लीपापोती करने की कोशिश की गई थी।

तब शीर्ष अदालत ने बिहार की नीतीश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए चौबीस घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करने के न केवल निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सात फरवरी को वहां से मामलों को दिल्ली की बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉस्को) अदालत में स्थानांतरित भी कर दिया था।

आपको बता दें कि इस मामले में भारी दबाव के बाद ही नीतीश सरकार ने पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रकांत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। वास्तव में दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न की ऐसी तमाम घटनाओं पर जब तक मामला सियासी रूप से गर्म होता है, चर्चा होती रहती है और फिर उन्हें नजरदांज कर दिया जाता है।

यह घटना दिखाती है कि इन लड़कियों की सुरक्षा के साथ कैसी लापरवाही बरती जा रही है, जबकि वह और उस जैसी तमाम अन्य लड़कियां मुज़फ़्फ़रपुर कांड की पीड़ित होने के साथ ही इस पूरे मामले की अहम गवाह भी हैं।

फिलहाल इस मामले में नीतीश सरकार की लापरवाही गंभीर सवाल खड़े कर रही है। इस तरह के मामलों में सरकार की हीलाहवाली महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में इजाफा ही कर रही है। ये घटना भारत में महिला सुरक्षा की नाकामी और कानून व्यवस्था की शर्मनाक छवि का प्रमाण है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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