बलिया : स्कूल में जातिगत भेदभाव, मायावती ने की सख्त कार्रवाई की मांग
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक बार फिर शिक्षा प्रशासन सवालों के घेरे में है। यहां मध्याह्न भोजन योजना के तहत दिए जाने वाले भोजन के दौरान कथित भेदभाव का मामला सामने आया है। भाषा की खबर के अनुसार बलिया के रामपुर में प्राइमरी स्कूल में सामान्य वर्ग के बच्चे दलित बच्चों के साथ भोजन नहीं करते, साथ ही कुछ बच्चे भादभाव के चलते खाने के लिए अपने घर से बर्तन लेकर आते हैं।
सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर वायरल हुए इस वीडियो में मिड डे मिल का भोजन दलित बच्चे अलग बैठकर करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि स्कूल के प्रधानाध्यापक पुरुषोत्तम गुप्ता का कहना है कि थोड़ा बहुत भेदभाव बच्चे रखते हैं ।
जिलाधिकारी भवानी सिंह खँगारौत ने मीडिया के जरिये मामला सामने आने पर विद्यालय का गुरूवार को दौरा कर जांच की। उन्होंने दावा किया कि प्रथम दृष्टया दलित छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप निराधार है लेकिन मामले की गहराई से जांच के आदेश दे दिये गये हैं ।
इस घटना को बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दुखद और शर्मनाक बताया है। मायावती ने ट्वीट कर इस मामले में राज्य सरकार से सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा है, 'यूपी के बलिया जिले के सरकारी स्कूल में दलित छात्रों को अलग बैठाकर भोजन कराने की खबर अति-दुःखद व अति-निन्दनीय। बीएसपी की माँग है कि ऐसे घिनौने जातिवादी भेदभाव के दोषियों के खिलाफ राज्य सरकार तुरन्त सख्त कानूनी कार्रवाई करे ताकि दूसरों को इससे सबक मिले व इसकी पुनरावृति न हो।'
यूपी के बलिया जिले के सरकारी स्कूल में दलित छात्रों को अलग बैठाकर भोजन कराने की खबर अति-दुःखद व अति-निन्दनीय। बीएसपी की माँग है कि ऐसे घिनौने जातिवादी भेदभाव के दोषियों के खिलाफ राज्य सरकार तुरन्त सख्त कानूनी कार्रवाई करे ताकि दूसरों को इससे सबक मिले व इसकी पुनरावृति न हो।
— Mayawati (@Mayawati) August 29, 2019
गौरतलब है कि इससे पहले भी इसी जिले में मीड डे मील के दौरन धार्मिक भेदभाव देखने को मिला था। जहां मुस्लिम बच्चों को कथित तौर पर पत्तल में खाना परोसे जाने का मामला सामने आया था।
विद्यालय शिक्षा और ज्ञान अर्जन का स्थान होता है, ऐसे में अगर इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, तो निश्चित तौर पर हम बच्चों के साथ-साथ देश के भविष्य को भी अंधकार में धकेल रहे हैं। जो वाकई चिंताजनक है। आखिर इन नौनिहालों में ऐसी कुरीतियों का जहर कौन घोल रहा है? जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई और खेल की अलावा कुछ नहीं सोचते उनके दिमाग में छुआछूत व ऊंच-नीच की बात कौन बैठा रहा है। ऐसे में प्रशासन पर सवाल उठना लाज़मी है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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