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इलेक्टोरल बॉन्ड में अपारदर्शिता क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के मुताबिक राजनीतिक दलों को चंदा और चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल होने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड को पारदर्शी न बनाने के संबंध में आया सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश काफी निराशाजनक हैI विदेशी डोनर और भारतीय कंपनियाँ इनका आसानी से गलत इस्तेमाल कर सकती हैं और इससे क्रोनी पूँजीवाद को भी बढ़ावा मिलता हैI इसी मुद्दे पर देखिए यह ख़ास बातचीतI

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