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अमर जलील के साथ डटकर खड़े हुए लेखक और पाकिस्तानी बुद्धिजीवी

अपनी एक छोटी सी कहानी सुनाते हुए उनका एक पुराना वीडियो वायरल हो गया और कथित रूप से उसे ईश निंदा क़रार दिया गया। इसके बाद लेखक अमर जलील के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के प्रतिक्रियावादी तत्वों की तरफ़ से हिंसा की धमकी मिलनी शुरू हो गयी। इस मानवतावादी लेखक और विभाजन के कटु आलोचक के ख़िलाफ़ अभद्र और धमकी भरे भाषणों की निंदा करते हुए 300 से ज़्यादा लेखकों,पाकिस्तान के बुद्धिजीवियों ने मुखर प्रतिक्रिया दी है।
अमर जलील के साथ डटकर खड़े हुए लेखक और पाकिस्तानी बुद्धिजीवी

लेखक अमर जलील के ख़िलाफ़ पाकिस्तान में प्रतिक्रियावादी तत्वों की तरफ़ से हिंसा के खतरों की आशंका को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए 300 से ज़्यादा पाकिस्तानी लेखकों और बुद्धिजीवियों ने ज़ोरदार शब्दों में एक बयान जारी किया है, जिसमें जलील की सुरक्षा, देश में बोलने की स्वतंत्रता और कानून व्यवस्था की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान की सरकार से आह्वान किया गया है। ग़ौरतलब है कि उनकी अपनी ही एक छोटी सी कहानी सुनाते हुए एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें कथित रूप से ईशनिंदा का आरोप लगाया जा रहा है। प्रस्तुत है शंकर रे की रिपोर्ट।

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300 से ज़्यादा लेखकों, कवियों, बुद्धिजीवियों,मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों, शिक्षकों, छात्रों और पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों के दूसरे लोगों ने कड़ा विरोध जताते हुए इस 84 साल के सिंधी लेखक और मानवाधिकार की वकालत करने वाले शख़्स के समर्थन में एक सामूहिक बयान जारी किया है। यह क़दम राजनीतिक दलों-सुन्नी तहरीक़ और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फ़ज़ल (JUI-F) की चिट्ठियों में उनके ख़िलाफ़ अभद्र और धमकी भरी भाषा के इस्तेमाल किये जाने के बाद उठाया गया है।

एक अन्य राजनीतिक दल, तहरीक़-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) भी जलील के ख़ून का प्यासा है और उसने उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई और सार्वजनिक लामबंदी की धमकी दी है। हालांकि, सबसे विचलित करने वाला ख़तरा तो सिंध के उमरकोट के एक मौलवी पीर सरहंदी का वह वीडियो है, जिसमें एक भीड़ की मौजूदगी में हिंसा की वकालत की गयी है।

इस बहुभाषी लेखक पर हाल ही में कुछ आलोचकों की तरफ़ से ईश निंदा का आरोप लगाया गया था और इस बुज़ुर्ग साहित्यकार के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज किये जाने की मांग की जा रही थी। उमरकोट ज़िले के एक शख़्स, पीर सरहंदी ने भी जलील पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया है।

इससे पहले, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष, बिलावल भुट्टो ज़रदारी से मिलकर देश में चरमपंथ और असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जतायी थी और जलील पर मंडरा रहे इन ख़तरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आग्रह किया था।

कौन हैं अमर जलील ?

अमर जलील कराची में रहते हैं और भारतीय उपमहाद्वीप में विचारोत्तेजक समन्वित मूल्यों और मानवतावाद के एक प्रतिबद्ध राजदूत हैं। वह अंग्रेज़ी और सिंधी सहित कई भाषाओं में लिखते हैं। वह अपनी लघु कथाओं और अख़बारों के स्तंभों के ज़रिये ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से लोगों को ग़ायब कर दिये जाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन के ख़िलाफ़ मुखर रूप से अपनी बात रखते रहे है। उनके मानवतावादी रुख़ और नज़रिये ने उन्हें प्रशासन द्वारा समर्थित चरम दक्षिणपंथियों और प्रतिगामी मुल्लाओं की आंखों की किरकिरी बना दी है। द डॉन में उनका कॉलम, ‘मिस्टिक नोट्स’ कभी उन प्रबुद्ध लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ करता था,जो खुले लोकतंत्र के लिए तड़प रहे थे।

जलील को भारत और पाकिस्तान के विभाजन के मानवीय दर्द को लेकर अपने लेखन में लगातार और मार्मिक चित्रण के लिए भी जाना जाता है।

675 शब्दों के बयान जारी करने की यह पहल ऑल पाकिस्तान प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन (APPWA) की ओर से की गयी है, जिसमें कहा गया है कि उकसाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाये। पाकिस्तान के तमाम संस्थानों को सभी नागरिकों के जीवन, आज़ादी और मुक्ति की रक्षा को लेकर अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए। यह सिंधी लेखक जिस कट्टरता का सामना कर रहे हैं, उस कट्टरता के ख़िलाफ़ बौद्धिक समुदाय उठ खड़ा हुआ है और सरकार से इस लेखक को सुरक्षा मुहैया कराने और उनके ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

इन लेखकों में नूरुल हुदा शाह, अनीस हारून, जामी चंदियो, अरफाना मल्लाह, अमर सिंधु, अहमद शाह, फाज़िल जमीली और डॉ.अयूब शेख़ शामिल हैं।

इस बयान में प्रांतीय और संघीय सरकारों से जमील के सिर पर इनाम घोषित करने वाले उमरकोट के गुटों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उन्हें आतंकवाद विरोधी मामले में गिरफ़्तार करने की मांग की है। यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि इस तरह की धमकी महज़ एक शख़्स के भीतर ही नहीं,बल्कि पूरे समाज के भीतर डर पैदा करने की कोशिश होती है।

इस बयान में कहा गया है,''हम अमर जलील के ख़िलाफ़ हालिया अभद्र और धमकी भरी भाषा को हिंसा भड़काने के प्रयासों के सिलसिले में देखते हैं, पाकिस्तान और ख़ासकर सिंध में तो यह अराजकता और सामाजिक अशांति का कारण बना हुआ है,जो कि एक सहिष्णु और बहुलवादी पाकिस्तान की भावना के ख़िलाफ़ है। यह देश में आतंक के नये मोर्चों को खोलने की एक साज़िश है। इस लेखक के ख़िलाफ़ अभद्र और धमकी भरी यह भाषा इस बात का एक संदेश है कि यहां क़ानून का शासन नहीं चलता और लोगों का एक छोटा सा गुट भी हिंसक साधनों के ज़रिये बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आड़े आ सकता है। हम इसे समाज की विचारशील आवाज़ को डराने और परेशान करने की कोशिश के रूप में देखते हैं।”

इस बयान में पाकिस्तान सरकार, सिंध सरकार, पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय, सिंध उच्च न्यायालय, संघीय और प्रांतीय क़ानून मंत्रालयों, धार्मिक मामलों के मंत्रालय,मानवाधिकार मंत्रालय और सभी संबंधित संस्थानों और ख़ासकर आतंकवाद विरोधी राष्ट्रीय प्राधिकरण से तत्काल कार्रवाई की मांग की गयी है।

एपीपीडब्ल्यूए ने अपने बयान में कहा है,"सिंध ने पाकिस्तान के निर्माण में जो बुनियादी भूमिका निभायी है,उसे स्वीकार करते हुए हम उम्मीद कर रहे हैं और इस बात की मांग कर रहे हैं कि जिन साज़िशों के ज़रिये सिंध के लोगों को दंडित करने की साज़िश की जा रही है, उस पर तुरंत रोक लगायी जायेगी और किसी भी रूप में आतंकी गुटों को संरक्षित या प्रोत्साहित नहीं किया जायेगा। पाकिस्तान के लोग, राज्य और निर्वाचित सदनों के सभी संस्थान न सिर्फ़ इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं, बल्कि वे मानते भी हैं कि सिंध का अपना एक ऐतिहासिक चरित्र रहा है, जिसकी प्रकृति सहिष्णु रही है और यही प्रकृति एशिया और दुनिया भर में पाकिस्तान और सिंध की पहचान रही है।

हाल ही में यह देखा गया है कि धर्म के नाम पर हिंसा के लिए उकसाने वाले बहुत से लोगों और समूहों को सभ्य समाज में यह संदेश देने के लिए प्रोत्साहित और संरक्षित किया गया है कि इस देश में विचारशील आवाज़ के लिए कोई जगह नहीं है,बल्कि यह भी कि क़ानून और न्याय के दरवाज़े भी उनके लिए बंद हैं।”

इस बयान में पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 9, 11, 14 और 19 की तरफ़ संघीय सरकार और न्यायपालिका का ध्यान आकर्षित किया गया है और उनका ज़िक़्र करते हुए कहा गया है कि “राज्य सभी नागरिकों के जीव, स्वतंत्रता, गरिमा और निष्ठा की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है, इसलिए अमर जलील की ज़िंदगी और सम्मान की सुरक्षा होनी चाहिए। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि सोशल मीडिया और अन्य सभी प्लेटफ़ॉर्मों पर चल रहे उनके ख़िलाफ़ अभद्र और धमकी भरे भाषणों को तत्काल हटा दिया जाना चाहिए। राज्य की तरफ़ से उनके जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किये जाने चाहिए।”

अस्सी से ज़्यादा साल के इस लेखक का बचाव करते हुए एपीपीडब्ल्यूए के इस बयान में उनके बारे में बताते हुए कहा गया है कि जलील "धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक कट्टरता और उत्पीड़न की सच्चाई बताने को लेकर अपने शुब्दों के इस्तेमाल में कभी कंजूसी नहीं की। इस लेखक के ख़िलाफ़ अभद्र और धमकी भरी यह भाषा इस बात का एक संदेश है कि यहां क़ानून का शासन नहीं चलता और लोगों का एक छोटा सा गुट भी हिंसक साधनों के ज़रिये बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आड़े आ सकता है। हम इसे समाज की विचारशील आवाज़ को डराने और परेशान करने की कोशिश के रूप में देखते हैं।”

बुधवार को प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन,पंजाब की तरफ़ से अमर जलील के समर्थन में एक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक संयुक्त बैठक आयोजित की गयी।

विवाद कहां से पैदा हुआ

दरअसल, इस संघर्ष की जड़ 2019 में दूसरे सिंध लिटरेचर फ़ेस्टिवल में बनायी गयी जलील की चार साल पुरानी एक क्लिप है। इस क्लिप में जलील रहस्यमय तरीक़े से कई राजनीतिक असंतुष्ट लोगों के "ग़ैर-क़ानूनी” तरीक़े से ग़ायब कर दिये जाने" की दुर्दशा को चित्रित करते हुए अपनी एक सिंधी लघु कहानी पढ़ते हुए दिख रहे हैं। लेकिन, धुर दक्षिणपंथियों ने इसकी व्याख्या ईश निंदा के रूप में कर दी और इससे पैदा होने वाले ग़ुस्से को जलील की तरफ़ मोड़ दिया है।

जलील ने कभी एकदम साफ़-साफ़ लिखा था, “हमारा समाज न तो रूढ़िवादी है और न ही उदार है। यह एक भ्रमित समाज है।आस्था एक बहु-अर्थी शब्द है। यह महज़ धर्म में किसी व्यक्ति की आस्था तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा मख़्तलिफ़ शब्द है, जिसमें आस्था की एक से ज़्यादा परिभाषायें है। यह अपने देश की न्यायिक व्यवस्था में किसी व्यक्ति की आस्था को भी तो इंगित करता है।” (आईपीए सर्विस)

यह लेख मूल रूप से द लिफ़्लेट में प्रकाशित हुआ था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Over 300 Writers, Intellectuals in Pakistan Condemn Hate Speech Against Humanist Writer, Partition Critic Amar Jaleel

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