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रिसर्च विद्यार्थियो का देशभर में प्रदर्शन

मौजूदा फ़ेलोशिप की राशि में तकरीबन 80 से 100 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए. इसे अप्रैल 2018 के बाद रिसर्च के लिए दाखिल हुए विद्यार्थयों के समय से ही लागू किया जाए
students protesting outside Department of Science and Technology

आज देशभर से आये रिसर्च  विद्यार्थियों ने अपने फ़ेलोशिप  में बढ़ोतरी को लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में जाने माने प्रौद्योगिकी संस्थान  जैसे IIT दिल्ली , DRDO, CBMR से आये रिसर्च विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया. यह प्रदर्शन केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि देशभर में विज्ञान और प्रौधोगिकी से जुड़े हर संस्थान में हुआ. यह रिसर्च विद्यार्थियों  द्वारा अपनी मांग और परेशानियों को लेकर पहली बार किया हुआ प्रदर्शन नहीं है बल्कि इससे पहले भी फ़ेलोशिप को लेकर बहुत सारे प्रदर्शन हो चुके हैं.

यह मांगे कुछ ऐसी हैं  -

1.मौजूदा फ़ेलोशिप की राशि में तकरीबन 80 से 100 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए. इसे अप्रैल 2018 के बाद रिसर्च के लिए दाखिल हुए विद्यार्थयों के समय से ही लागू किया जाए.

2. रिसर्च विद्यार्धियों को जो फ़ेलोशिप दिया जाता है उसमे कोई निश्चित समय नहीं है , इसलिए फ़ेलोशिप का समय पर वितरण सुनिश्चित करे .

3   वेतन आयोग संशोधन( pay commission )  के तहत मानी गई श्रेणियों की सूची में अनुसंधान कर्मियों को शामिल किय जाए  और यह सुनिश्चित किया जाए कि अनुसंधान कर्मियों को महंगाई भत्ता (डीए) और वार्षिक फैलोशिप दिया जाये .

जवाहर सिंह जो नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्लांट जीनोम रिसर्च ( NIPGR ) में शोध कर रहे है newsclick से बात करते कहा " पिछले चार सालों से रिसर्च स्कॉलर को मिलने वाली फ़ेलोशिप में तनिक भी वृद्धि नहीं हुई है,महंगाई बढ़ती जा रही है, रोजमर्रा की जरूरत की चीज़ो के दाम बढ़ते जा रहे है लेकिन रिसर्च स्कॉलर को मिलने वाला फ़ेलोशिप अभी भी वही है जो चार साल पहले था " .

कुछ और शोध विद्यार्थियों ने बताया कि  प्रशासन की तरफ से कोई लिखित में जवाब नहीं आ रहा है , बस प्रशासन के आला अफसर ट्विटर पर ट्वीट कर रहे है, आशुतोष शर्मा , सेक्रेटरी , डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने ट्विटर पर ट्वीट करके जानकारी दे रहे है. कुछ लिखित में अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

DRDO के रीसर्च विद्यार्थी अरुण चौधरी  newsclick से बात करते हुए कहते है "DRDO में कोई मेडिकल इन्शुरन्स का कोई प्रावधान नहीं हैं. लैब में काम करते समय अगर कोई दुर्घटना हो जाये तो रिसर्च स्कॉलर को कोई भी मेडी क्लेम नहीं मिलेगा. IIT  में छात्रों मेडिकल इन्शुरन्स मिलता है लेकिन DRDO में नहीं मिलता है . इस तरह यह पता चलता है कि कुछ ही संस्थानों में मेडिकल इन्शुरन्स मिलता है " प्रदर्शन करने वाले छात्रों कि मांग है कि हर संस्थान में मेडिकल इन्शुरन्स मिलना चाहिए .

रिसर्च विद्यार्थियों को देरी से फ़ेलोशिप मिलता है. जिस कारण उन्हें अपने  रोजमर्रा के कामों को पूरा करने में काफी परेशानी आती है .

जैसे हम लोगो को पता हैं की रिसर्च करने में इंसान की उम्र का बहुत बड़ा हिस्सा निकल जाता है , इसी उम्र के  बीच कुछ लोगो पर पारिवारिक जिम्मेदारी आ जाती है जैसे संदीप DRDO में शोध विद्यार्थी है. उनकी शादी हो चुकी है. और उनके ऊपर चार लोगो कि ज़िम्मेदारी है  तो अगर फ़ेलोशिप में बढ़ोत्तरी नही हो रही है तो घर चलाना मुश्किल हो गया है और बाजार में चीज़ो की कीमत आसमान छू रही है इसलिए संदीप को बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

शोध विद्यार्थियों को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है .देश में Ph .D सबसे बड़ी डिग्री होती है , डॉ.तीर्थंकर रिसर्च एसोसिएट है "Ph .D की डिग्री लेने के बाद भी हम रोड पर  प्रदर्शन कर रहे हैं. रिसर्च स्कॉलर अगर रोज रोज प्रदर्शन ही करता रहेगा तो शोध कब करेगा".  

अगर देश के इतने बड़े और सम्मानित संस्थानों का यह हाल है तो छोटे संस्थानों की हालात तो और बुरी होगी.

निखिल गुप्ता बताते है की हम आज शाम तक यहाँ प्रोटेस्ट करेंगे अगर प्रशासन के तरफ से कोई लिखित में जवाब नहीं आता है तो हम लोग भूख हड़ताल पर बैठने के लिए तैयार हैं.

प्रियवरप IIT दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर है, कहते है " भारत में शोध विद्यार्थियों की हालात इसलिए ख़राब है क्योकि यहाँ रिसर्च पर इतना पैसा निवेश नहीं किया जाता है  और मेक इन इंडिया के नाम पर बाहर के देशो की टेक्नोलॉजी यहाँ इस्तेमाल की जाती है, जबतक अपने देश के रिसर्च पर निवेश नहीं होगा , रिसर्च स्कॉलर के हालात ठीक नहीं होगी. अगर हमे विकास चाहिए तो साइंस एंड टेक्नोलॉजी का साथ भी बहुत जरूरी है।"

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