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रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

न्यूज़क्लिक ने डाडा जलालपुर गांव का दौरा किया, दोनों पक्षों से बात की और उनसे जानने की कोशिश की कि हनुमान जयंती की उस रात क्या हुआ था? और अब क्या हालात हैं?
ground report dada jalalpur
हिन्दू मोहल्लों में जोश के साथ बात करती महिलाएँ, बच्चे(ऊपर), महक आरा, जिनके घर से हिंसा में चोरी हुई (नीचे)

उत्तराखंड के रुड़की में भगवानपुर क्षेत्र के डाडा जलालपुर गांव में हालात अभी भी नाज़ुक बने हुए हैं। एक तरफ़ गांव के ज़्यादातर मुस्लिम परिवारों को अपना गांव छोड़ना पड़ा है तो दूसरी तरफ़ हिन्दू समुदाय के लोग महंतों-संतों की अगुवाई में अन्य मुस्लिम परिवारों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने अब तक मुस्लिम समुदाय के 13 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। एफआईआर में अब तक 12 नामज़द और 40 अज्ञात व्यक्तियों को शामिल किया गया है।

न्यूज़क्लिक ने डाडा जलालपुर गांव का दौरा कियादोनों पक्षों से बात की और उनसे जानने की कोशिश की कि हनुमान जयंती की उस रात क्या हुआ थाअब तक का घटनाक्रम आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

घटनाक्रम

डाडा जलालपुर गांव के बीचो-बीच शिव मंदिर हैमंदिर के आसपास दोपहर बजे शांति थी। लोग अपने घरों के अंदर थे और मौक़े पर तैनात पुलिसकर्मी भी किसी अहाते में आराम कर रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नवीन सैनी ने बताया कि इसी शिव मन्दिर पर 16 अप्रैल की देर रात को हनुमान जयंती शोभायात्रा का समापन किया गया था। नवीन यात्रा के रूट के बारे में बताते हुए कहते हैं कि जब शोभायात्रा शाम के वक़्त डाडा जलालपुर के अंदर आई तो एक मुस्लिम घर से 'अल्लाहु अकबरऔर 'पाकिस्तान ज़िंदाबादके नारे लगाए गए (हालांकि पाकिस्तान वाले नारे की किसी ने पुष्टि नहीं की)। उन्होंने कहा, "उसके बाद हमारे लड़कों ने भी भगवान श्री राम के नारे लगाएजिसके बाद उस घर से पथराव होना शुरू हो गया।" 

शिव मंदिर एक गली और एक सड़क के कोने पर है। सड़क सीधे डाडा पट्टी से आती हैऔर गली मुस्लिम घरों की ओर ले जाती है। शोभायात्रा सीधे सड़क से न होकर गली से आई थी। महक आरा दिन से अपने घर में अकेली रह रही हैं। वह बताती हैं कि जुलूस जब गली में घुसातब डीजे पर तेज़ आवाज़ में गाने चल रहे थे। एक घर (जिसका ज़िक्र नवीन ने किया) ने आपत्ति जताई और भीड़ से आगे जाने को कहा। जुलूस आगे नहीं गया और उसी बहसबाज़ी ने हिंसा का रूप लिया।

डाडा जलालपुर का शिव मंदिर

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महक आरा रोते हुए बताती हैं, "जब हल्ला हुआ तो मैंने छत पे जा के देखा कि जुलूस आया है मैंने कहा चलो निकाल रहे हैं पूजा कर रहे हैंजब जुलूस आया तब उस घर ने सबसे पहले बहसबाज़ी कीमगर यहाँ के हिंदुओं को भी सोचना चाहिये था इन्होंने इतने पत्थर बरसाए मेरी छत पेपड़ोसियों की गाड़ी भी तोड़ दी। मेरे 50,000 रुपये भी निकाल लिए। आंगन में दस्तरख्वान लगा हुआ था कूकर यहीं रखा थायहाँ के हिंदुओं को बाहर के लोग वापस भेजने चाहिए थेहमारे बीच कितना प्यार मुहब्बत है।"

महक आरा

हिंसा शुरू कहाँ से हुई इसके ज़ाहिर तौर पर जवाब हैंएक हिंदुओं का दूसरा मुस्लिमों का

हालांकि नवीन ने इस बात को माना कि पत्थरबाज़ी और हिंसा दोनों से तरफ़ से बराबर हुई है। आगे के घटनाक्रम को बताते हुए नवीन ने कहा, "पत्थरबाज़ी शुरू हुई तो हमारे लड़के भी पीछे नहीं रहेहमने भी पूरे ज़ोश से जवाब दिया। जब झड़प बढ़ी तो प्रशासन आया और उनसे मुश्किल से सब कुछ रोका। उसके बाद बीजेपी के नेता जय भगवान सैनी और मास्टर सत्यपाल यहाँ पहुंचेउसके बाद बजरंग दल के नेता यहाँ आये और यात्रा को दोबारा निकालने का फ़ैसला लिया।" 

न्यूज़क्लिक ने अपनी रिपोर्ट में आपको बताया है कि कैसे भारी पुलिस बल और बीजेपीबजरंग दल के नेताओं की मौजूदगी में शोभायात्रा को रात बजे दोबारा निकाला गयाजिसके वीडियो में 'मुल्ला पाकिस्तानीजैसे गाने बजाए जा रहे थे।

महक आरा बताती हैं कि उस रात पत्थरबाज़ी के साथ साथ भीड़ घरों में घुस आई थी। डर और दहशत से उसी रात उनके पड़ोसी घर छोड़ कर भाग गएकुछ लोग अगले दिन गए। महक आरा के पड़ोसी अलीम के घर भीड़ आई तो अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर वह छत से नीचे कूदे जिसमें उनके पैर में चोट लगीउनकी पत्नी अभी अस्पताल में हैं।

गाँव का जातीय समीकरण

डाडा पट्टी, डाडा जलालपुर और डाडा हसनपुर में सैनी समुदाय, मुस्लिम समुदाय और एससी समुदाय के लोगों की आबादी है। यानी ओबीसी और अनुसूचित जाति; यही वजह है कि महक आरा को इस हिंसा पर हैरानी होती है। वह बार बार कह रही थीं कि "सैनियों और एससी समुदाय के लोगों को तो मुस्लिम लोगों के साथ रहना चाहिए।"

बुलडोज़र की राजनीति  

मीडिया रिपोर्ट्स और ग्रामीणों के मुताबिक 17 अप्रैल रविवार को बुलडोज़र गांव में खड़ा कर दिया गया था। और पुलिस ने कथित तौर पर धमकी दी थी और कहा था कि जो भी आरोपित मुस्लिम हैं वे सरेंडर कर देंवरना बुलडोज़र से उनके घर तोड़ दिए जाएंगे।

नवीन कहते हैं, "बुलडोज़र से उम्मीद तो बहुत थी मगर हुआ कुछ नहींसुना तो हमने बहुत था कि यूपी में ऐसा हो जाता है। पर सिर्फ़ बुलडोज़र के आने से गांव छोड़ कर भाग गए हैं सब।" 

हालांकि पुलिस से बात करने पर उन्होंने बुलडोज़र से पल्ला झाड़ते हुए यह कह दिया कि बुलडोज़र तो खनन के लिए आया था।

पुलिस-प्रशासन से दोनों वर्ग नाख़ुश 

पुलिस और प्रशासन पर दोनों वर्गों ने इल्ज़ाम लगाए हैं। एक तरफ़ हिंदुओं ने कहा है कि जब पुलिस को पता था कि हिंसा हो सकती है तो पहले से उचित संख्या में फ़ोर्स मौजूद क्यों नहीं थी।

जबकि मुसलमान वर्ग लगातार पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का इल्ज़ाम लगा रहा है। 

एफआईआर भी मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुई हैगिरफ़्तार भी सिर्फ़ मुसलमान हुए और अपना गांव छोड़ने को भी मजबूर सिर्फ़ मुसलमान हुए हैं।

पूरे गांव में पुलिस की छोटी छोटी टुकड़ियां तैनात की गई हैं। महक आरा और अलीम ने बताया कि पुलिस रोज़ रात को गश्त करती है और देर रात तक दरवाज़ों पर डंडे मारती है। 

गांव के कुल मुसलमानों में से आधे से ज़्यादा लोग गांव छोड़ कर जा चुके हैं। जो बचे हैं वह या तो अकेले रहते हैं या वह लोग हैं जिनके बच्चों को गिरफ़्तार किया गया है।

राबिया, अख्तरी और बानो

न्यूज़क्लिक ने बुज़ुर्ग महिलाओं से बात की जिनके बेटे जेल में हैं। अख़्तरी ने बताया कि हिंसक भीड़ ने उन्हें भी मारा। उन्होंने कहा, "यह लड़के मेरे घर पे खेले हैं।" अख़्तरी के दो बेटों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। अख़्तरी के बगल में बैठी बानो के बेटे को पुलिस ने तब गिरफ़्तार किया जब वह नमाज़ पढ़ के आ रहे थे। 

हिन्दू मोहल्लों की रौनक और मुसलमानों के तालाबंद घर

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए दो हिन्दू बुज़ुर्ग महिलाओं ने कहा कि मुसलमानों पर बुलडोज़र चलना चाहिए। महिलाओं के पीछे अन्य महिलाएंलड़कियांलड़के और बच्चे थे जो बढ़ चढ़ कर चर्चा में हिस्सा ले रहे थे। वहीं दूसरी तरफ़ महक आरा ने कहा, "लड़कियाँ गाँव से रोते हुए गई हैंकल यहाँ से केवल लड़कियों के रोने की आवाज़ आती थी।" महक आरा बार बार कहती हैं, "रोज़े से हूँ झूठ नहीं बोलूंगी..."

मुसलमानों के लिए नफ़रत

नवीन के दोस्त सोनू ने मुसलमानों के बारे में कहा, "हमारे देश की ज़मीन पे बैठे हैं और जिहादियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। यह हिंदुओं के ख़िलाफ़ साज़िश हैहिन्दू सोच समझ के काम करता है क्योंकि लोग पढ़े लिखे हैं इन लोगों में तो कोई पढ़ा लिखा है नहीं।"

नवीन और उनके दोस्त सोनू को इंतज़ार है कि योगी आदित्यनाथ देश के प्रधानमंत्री बनेंगे तब देश "हिन्दू राष्ट्र बन जाएगाहर घर में  हनुमान चालीसा होगी और कोई अत्याचार नहीं होगा"।

"कश्मीर फ़ाइल्स को देख कर हर हिन्दू को सीख मिली" 

नवीन ने कहा, "उस फ़िल्म को देख कर हर हिन्दू को एक सीख मिली है। मुझे भी उसे देख कर बहुत दुख हुआ मगर अब सब हिन्दू सीख चुके हैंअब इन जिहादियों को सबक सिखाया जाएगा।"

नवीन के पास खड़े सोनू कहते हैं, "इन्हें गांव से निकाला है देश से भी निकाला जाएगा। इनका राशन कार्डवोटर लिस्ट सब ख़त्म कर दिया जाएगा वोट डालने के भी लायक नहीं रहेंगे ये।" 

मुस्लिम समुदाय ने पुलिस प्रशासन को अपने घरों पर हमले और चोरी के बारे में पुलिस को पत्र लिखे हैं।

हिंसा अभी थमी नहीं थी...

डाडा जलालपुर के आख़िरी घरों में से एक घर दिलशाद का है। शिव मंदिर पर यात्रा को ख़त्म कर के जुलूस के कुछ लोग डाडा पट्टी गांव की तरफ़ वापस जा रहे थे। दिलशाद ने कहा, "रात में 3-4 बजे होंगेमेरे घर में मेरे दो भाई और उनकी पत्नियां थींभीड़ अंदर घुस आई और बिजली का मीटर काट दिया। ई  रिक्शागाड़ी और मोटरसाइकिल में आग लगा दी। मेरे भाइयों की बीवियां कोठरी में छुप गईंअगर हम उन्हें मिल जाते तो हम बचते नहीं।" 

दिलशाद ने बताया कि वह दिन-रात खेतों में रहते हैं, सिर्फ़ रात को सोने के लिए वापस आते हैं। 

अपने घर में हुई तोड़फोड़ को दिखते दिलशाद

इलाक़े की भीम आर्मी ने 18 अप्रैल सोमवार को एसएसपी हरिद्वार से मिल कर इस मामले में कार्रवाई तेज़ करने की मांग की है। 

इस बीच प्रबोधानंद गिरीयतींद्रानंद गिरी और दिनेशानंद भारती जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं का दख़ल इस मामले में बढ़ता दिख रहा है। सोमवार 18 अप्रैल को दिनेशानंद ने मुसलमानों को 'आधुनिक युग के राक्षसकहा और ऐलान किया कि 20 अप्रैल बुधवार को एसडीएम दफ़्तर के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे।

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