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सीपीआईएम ने हिमाचल विधानसभा में किया प्रवेश

लेफ्ट ने थिओंग विधानसभा सीट पर 2000 वोटों से अंतर से जीत हासिल की .
himachal pradesh

सीपीआईएम ने हिमाचल विधानसभा में किया प्रवेशलेफ्ट ने थिओंग विधानसभा सीट पर 2000 वोटों से अंतर से जीत हासिल की .सीपीआईएम के राकेश सिंघा हिमाचल प्रदेश की थिओग विधानसभा सीट 2000 वोटों से जीत गए हैं . थिओंग विधान सभा सीट से 1993 , 2003 और 2007 में जीतने वाले राकेश शर्मा इस बार दूसरे स्थान पर रहे .

सीपीआईएम के राकेश सिंघा जो कि हिमाचल प्रदेश किसान सभा के महासचिव भी हैं , कोई नया चेहरा नहीं हैं .वो प्रदेश में काफी समय से जन आन्दोलन चलाने वाले  एक मशहूर नेता रहे हैं . वो शिमला से 1993 में विधायक भी रहे हैं .

हिमाचल प्रदेश में लेफ्ट हमेशा से ही मौजूद रहा है . लेफ्ट का छात्र संगठन - स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया , राज्य में ऐतिहासिक रूप से मज़बूत रहा है . लेफ्ट ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था -18 सीटों पर लेफ्ट के उम्मीदवार खड़े हुए थे और सीटों पर लेफ्ट से समर्थित निर्दलीय लड़े थे . इस बार उनके  प्रचार का उद्देश्य विधान सभा में जनता की आवाज़ बनना था. उन्होंने प्रचार किया  कि बीजेपी और कांग्रेस एक सिक्के के दो पहलू हैं और लेफ्ट ही जनता की आवाज़ बन सकती है . लेफ्ट का चुनावी अभियान एक विश्वसनीय विपक्ष की भूमिका निभाने का था . इस प्रचार को लोगों ने काफी सराहा और यही वजह थी की लेफ्ट को काफी वोट भी मिले .

राकेश सिंघा की ये जीत इस इलाके में लेफ्ट के नेतृत्व में जारी आंदोलनों की भी जीत है . ज़मीन का मुद्दा थिओंग क्षेत्र में एक अहम मुद्दा रहा है और लेफ्ट शिमला इलाके में इस मुद्दे पर काफी समय लड़ रहा है. लेफ्ट ने गुड़िया ,(10वीं क्लास की छात्रा जिसका शिमला में गैंगरेप और क़त्ल हुआ था) , के केस में भी इन्साफ की लड़ाई में एक अहम भूमिका निभाई थी . गुड़िया के परिवार वाले लेफ्ट के पास मदद के लिए आये थे , लेफ्ट ने उनकी मदद करने और लोगों तक ये मुद्दा ले जाने में काफ़ी बड़ी भूमिका निभाई थी .

शिमला के डिप्टी मेयर रहे सीपीआईऐम के तिकेंदर सिंह पंवार का कहना है “ हिमाचल में लेफ्ट की ये सफलता उन सामाजिक और आर्थिक नीतियों के खिलाफ लोगों की पीड़ा और गुस्से का नतीजा है,जिन्होंने उनकी ज़िन्दगी दुखमय और दूभर बना दी थी ’’

 

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