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तेलंगाना में 10 महिला मनरेगा मजदूरों की मौत, सरकार पर सवाल

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने इस घटना के लिए सरकारी अधिकारियों की उदासीनता और मज़दूरों के लिए कार्य स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध न कराने को जिम्मेदार ठहराया है। मोर्चा ने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए प्रत्येक प्रभावित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजे देने की मांग की है।
Telangana tragedy
Image Courtesy: Scroll.in

तेलंगाना के वाई तिप्पागुट्टा (Y.Tippagutta) में हुए एक हादसे में 10 महिला मनरेगा मजदूरों की कार्यस्थल पे ही मौत हो गयी। यह घटना  नारायणपेट जिले में मरिकाल मंडल के तेलेरू पंचायत की है। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने इस घटना के लिए सरकारी अधिकारियों की उदासीनता और मज़दूरों के लिए कार्य स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध न कराने को जिम्मेदार ठहराया है। मोर्चा ने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए प्रत्येक प्रभावित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजे देने की मांग की है।

बताया जाता है कि बुधवार सुबह30 मनरेगा मजदूर एक छोटी पहाड़ी के नीचे छाया में आराम कर रहे थेजब यह दु:खद घटना घटी। ढीली मिट्टी और बोल्डर गिरने से 10 महिला मजदूर जिंदा दफन हो गईं और 6 अन्य घायल हो गए। ये सभी मनरेगा के तहत ट्रेंच कटिंग योजना पर काम कर रहे थे। चिलचिलाती गर्मी और धूप से थक कर मजदूरों के इस समूह ने कुछ देर के लिए पहाड़ी के नीचे आराम करने का फैसला किया था।
पहाड़ी के एक हिस्से को कुछ सालों पहले जेसीबी से उकेरा गया थाअक्सर मनरेगा मजदूर  काम के बीच में विश्राम लेने के लिए इस स्थान का उपयोग करते है, क्योंकि उनके लिए थोड़े से भी आराम के लिए कोई उपयुक्त जगह नहीं है। इस वजह से मजदूर ऐसे खतरनाक स्थानों में आराम करने के लिए मजबूर हो जाते है।

तेलंगाना मेंवर्षों से उपाधि हमी फोन रेडियोदलित बहुजन  मोर्चे और अनेक नागरिक संगठन यह  मांग कर रहे हैं कि छाया के लिए प्लास्टिक की शीट के बदले कपड़े का शामियाना प्रदान किया जाए जिससे सुरक्षित तंबू बना लिया जा सके। प्लास्टिक की शीट से उल्टा गर्मी बढ़ जाती है और इस लिए मजदूर गर्मी के समय  में इनका उपयोग करने से हिचकते हैं। यह  उल्लेखनीय है कि सभी कार्य स्थलों पर प्लास्टिक की शीट भी उपलब्ध नहीं कराई जाती है।

मनरेगा मजदूरों को बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा के बिना काम करवाया जाता है जो कि मजदूरों के अधिकार तथा मानवाधिकार का उल्लंघन है।

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने इस  घटना की न्यायिक जांच की मांग की है और प्रत्येक प्रभावित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजे  देने  की भी मांग की है। इसके अतिरिक्त, मजदूरों के परिवारों को  नरेगा कानून के खंड -2 की धारा -26 और सम्बंधित राज्य अधिसूचना के तहत उल्लेखित लाभ भी तुरंत देने की मांग की गई है।

नरेगा संघर्ष मोर्चा यह भी मांग करता है कि प्रत्येक कार्यस्थल पर कपड़े का टेंट उपलब्ध कराया जाए और कार्य स्थल सुविधाओं के निरीक्षण के लिए सौ प्रतिशत ऑडिट तुरंत सुनिश्चित किया जाए। मोर्चा ने राज्य प्रशासन से दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।

पूरे देश में मनरेगा मजदूर बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा के बिना ही  कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार उन लाखों ग्रामीण मजदूरों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने में बार-बार विफल रही है। हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर प्रतिकूल परिस्थितियों में मजदूर काम कर रहे हैं। इस गंभीर घटना ने फिर से प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर किया है। यह घटना सरकारी विफलता को दिखाती है जो मेहनतकाश मजदूरों के मुद्दों की हमेशा उपेक्षा करती है।
नरेगा संघर्ष मोर्चा ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों की कार्यशैली को गैर जिम्मेदार बताते हुए उसकी कड़ी निंदा की है। मोर्चा के मुताबिक मनरेगा मजदूरों को बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (BOCW) एक्ट के तहत  अलग अलग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ लेने का हक़दार बनाया जाना चाहिए। इससे करोड़ों मनरेगा मजदूर लाभान्वित होंगे।

सबसे महत्वपूर्ण है कि इस तरह के गंभीर दुर्घटना दोहराई नहीं जाए। इसके लिए नरेगा संघर्ष मोर्चा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि मनरेगा मजदूरों  की सुरक्षा और संरक्षण के लिए ज़ल्द से ज़ल्द  न्यूनतम मानक  मानदंड निर्धारित किए जाएं।

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