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विपक्ष ने कहा- ये बजट नहीं धोखा है

कांग्रेस और वाम दलों समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने बजट 2019-20 की आलोचना की है। सभी ने कहा कि इस बजट में आम आदमी के लिए कुछ नहीं है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया
Image Courtesy: DD News

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस बजट से गरीब को बल मिलेगा और युवाओं को बेहतर कल मिलेगा, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं मानता। कांग्रेस और वाम दलों समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने इस बजट को धोखा बताया है।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट को शुक्रवार को संसद के पटल पर रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़ी बातें की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी तारीफ़ में कहा,  “इस बजट से गरीब को बल मिलेगा और युवाओं को बेहतर कल मिलेगा। बजट के माध्यम से मध्यम वर्ग को प्रगति मिलेगी। इसमें गांव और गरीब का कल्याण भी है। विकास की रफ्तार को गति मिलेगी। टैक्स व्यवस्था में सरलीकरण होगा, इन्फ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण होगा।”

लेकिन विपक्ष का ऐसा नहीं मानना है। कांग्रेस ने इस बजट को ‘‘नयी बोतल में पुरानी शराब’’ करार दिया और कहा इसमें कुछ भी नया नहीं है।

आम आदमी के लिए कुछ नहीं

लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ''इसमें कुछ भी नया नहीं है। पुरानी बातों को दोहराया गया है। यह नयी बोतल में पुरानी शराब है।''

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने कहा कि इस बजट में आम आदमी के लिए कुछ नहीं है।

अर्थव्यवस्था की ये तस्वीर सिर्फ़ एक मायाजाल है : येचुरी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम) ने इस बजट को  धोखा बताया।

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने बजट पेश होने के बाद ट्वीट करते हुए कहा, “ये बजट धोखाधड़ी है। वित्त मंत्री ने फ़रवरी के अंतरिम बजट के अनुमानों की संशोधित क़िस्म को इस बजट के अनुमानों की तरह पेश किया है। पिछली तिमाही में चुनावों के लिए व्यय में की गई कटौती की ज़िम्मेदारी नहीं ली गई है। इसलिए अर्थव्यवस्था की ये तस्वीर सिर्फ़ एक मायाजाल है।”

इसके अलावा पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई की ओर से जारी बयान में इस बजट को निजीकरण और कॉर्पोरेटीकरण को बढ़ावा देने वाला बजट बताया गया। अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि रेलवे में पीपीपी मॉडल को लाना पिछले दरवाजे से रेलवे का निजीकरण करना ही है। इसी प्रकार रिटेल क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने से छोटे व्यापारी बर्बाद ही होंगे। बीमा में 100% एफडीआई आम जनता के जीवन-सुरक्षा से खिलवाड़ करने है और मीडिया की स्वतंत्रता तो पूरी तरह से खत्म ही हो जाएगी। इस सरकार द्वारा शिक्षा नीति को बदलने का सीधा अर्थ है, शिक्षा को महंगा करना और इसमें हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण को घुसाना। पेट्रोल-डीजल पर सेस और एक्साइज कर बढ़ाने से चौतरफा महंगाई बढ़ेगी और आम जनता के जीवन की कठिनाई बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर यह बजट देश में आर्थिक असमानता की खाई को और चौड़ा करेगा, शहरों और गांवों की दूरी को बढ़ाएगा, खेती को बर्बाद करेगा और आम जनता के जीवन से जुड़ी किसी समस्या का समाधान नहीं करने वाला है। मनरेगा में 5000 करोड़ रुपये की वृद्धि के बावजूद, मुद्रास्फीति को गणना करने पर, रोजगार के अवसर को घटाने वाला है।

माकपा नेता पराते ने कहा कि इस सरकार ने बजट को 'बही खाता' कहा है, इससे ही स्पष्ट है कि वह देश की अर्थव्यवस्था को सूदखोर मुनीम की तरह चलाना चाहती है. इसलिए बजट में विभिन्न क्षेत्रों को आबंटित राशि को आम जनता के सामने पेश ही नहीं किया गया है. इससे स्पष्ट है कि यह सरकार बजट की पारदर्शिता को भी खत्म कर रही है।

“बजट निजीकरण व महंगाई बढ़ाने वाला”

भाकपा माले ने इस बजट को निजीकरण, महंगाई, बेरोजगारी, असमानता व निराशा बढ़ाने वाला बजट बताया है। पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि बजट में पहले से महंगे पेट्रोल-डीजल पर एक रुपया प्रति लीटर सेस बढया गया है। इससे माल ढुलाई व यात्री किराए पर असर पड़ेगा और आम आदमी की रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं सहित हर ओर महंगाई बढ़ेगी। बजट में देश के मध्य वर्ग को कोई रियायत नहीं दी गई है। नौकरी पेशा तबका इस बात की उम्मीद कर रहा था कि 5 लाख तक की आय पर उसे पूर्ण टैक्स माफी मिले। अभी अगर पांच लाख से आपकी इनकम कुछ भी बढ़ी तो फिर 2.5 लाख से ऊपर पर पूरा टैक्स देना होता है। पर सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया। रियल इस्टेट के कारोबार को कुछ गति देने के उद्देश्य से 45 लाख तक के आवास ऋण में जरूर टैक्स छूट को 2 लाख से 3.5 लाख किया गया है।
सरकार ने बजट में एअर इंडिया सहित अन्य कंपनियों में विनिवेश की दीर्घकालिक योजना की घोषणा की है। रेलवे में 50 हजार करोड़ के विनिवेश की घोषणा की है। बीमा क्षेत्र की कंपनियों में भी 100% विदेशी निवेश की घोषणा की है। इस तरह यह बजट सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण को और भी तेज गति देने वाला है। बजट श्रम कानूनों में बदलाव लाने की बात करता है। ताकि उससे मजदूरों की संगठित होने और पूंजीपतियों से मोलभाव की उनकी ताकत को कम किया जा सके। बजट में नए रोजगार सृजन के बारे में एक शब्द भी नहीं है। न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी, ग्रामीण रोजगार के लिए मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी और सामाजिक सुरक्षा के सवाल पर बजट में कुछ नहीं है। बजट में आत्महत्या को मजबूर और सूखे से परेशान किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। खेती के कारपोरेटीकरण और 85% बीज बाजार पर बहुराष्ट्रीय निगमों का कब्जा हो जाने बाद बजट में मोदी सरकार का 0 प्रतिशत लागत खेती का नारा एक हास्यास्पद जुमले के सिवाय कुछ नहीं है। किसानों के 10 हजार उत्पादक समूहों का गठन करने की मोदी सरकार की घोषणा भी किसानों के साथ मात्र छलावा है। जब देश का किसान कर्ज मुक्ति, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर फसलों का मूल्य और सूखे से निपटने के ठोस उपायों की आशा सरकार से कर रहा था ऐसे में सरकार ने किसानों को और निराश ही किया है। 

पूंजीपतियों के लिए है ये बजट : मायावती

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी बजट की आलोचना की है। ट्विटर पर जारी अपनी प्रतिक्रिया में मायावती ने कहा, “बीजेपी की केन्द्र सरकार द्वारा बजट को हर मामले में व हर स्तर पर लुभावना बनाने की पूरी कोशिश की गई है लेकिन देखना है कि इनका यह बजट जमीनी हकीकत में देश की आम जनता के लिए कितना लाभदायक सिद्ध होता है जबकि पूरा देश गरीबी, बेरोजगारी, बदतर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा से पीड़ित व परेशान है।”

उन्होंने कहा, “यह बजट प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर कुछ बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की ही हर प्रकार से मदद करने वाला है, जिससे दलितों व पिछड़ों के आरक्षण की ही नहीं बल्कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, किसान व ग्रामीण समस्या और भी जटिल होगी। देश में पूंजी का विकास भी इससे संभव नहीं है।”

किसानों के लिए ज़ीरो बजट स्पीच

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव का कहना है कि कम से कम किसान के लिए तो यह "ज़ीरो बजट स्पीच" थी। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा “न सूखे का जिक्र, न आय दोगुना करने की योजना, न किसान सम्मान निधि का विस्तारMSP रेट किसान को दिलवाने की पुख्ता योजना, न आवारा पशु से निपटने की कोई तरकीब।”

इससे पहले उन्होंने व्यंग्यात्म लहज़े में लिखा- मोदीजी को झोली भर के वोट देने वाले किसान ने बजट सुनना शुरू करते हुए गुनगुनाया: "आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे" बजट स्पीच के अंत में उसने निराश होकर बोला: "आज की रात बचेंगे तो सहर (सुबह) देखेंगे"

जनता को मिला है ठेंगा”

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह का कहना है, “सब कुछ हुआ है महँगा, जनता को मिला है ठेंगा।” उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा

 “युवाओं के रोज़गार पर बजट ख़ामोश, किसान की आय दोगुना करने की तैयारी पर बजट ख़ामोश, व्यापारियों, कर्मचारियों को टैक्स में राहत देने पर बजट ख़ामोश, टैक्स का अतिरिक्त भार और सरकारी कम्पनियों को बेचने की तैयारी करने वाला बजट, फिर भी आप सब रहिये ख़ामोश, 35 करोड़ LED बल्ब मिल गया न उजाला है।”

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