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चीन और लैटिन अमेरिका के गहरे होते संबंधों पर बनी है अमेरिका की नज़र

अमेरिकी में विदेश नीति के विशेषज्ञ लैटिन अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को लेकर सतर्क हो गए हैं, यह भावना आने वाले वक़्त में और भी तेज़ होगी।
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6 फ़रवरी को अर्जेंटीना में राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडेज़ के नेतृत्व वाली सरकार ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ "बेल्ड एंड रोड इनीशिएटिव" को लेकर एक एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टेंडिंग) पर हस्ताक्षर किए। बेल्ड एंड रोड इनीशिएटिव चीन द्वारा प्रायोजित एक वैश्विक व्यापार अवसंरचना परियोजना है। फ़ोटो: अल्बर्ट फर्नांडेज़

यूक्रेन पर रूस के हमले के शुरू होने के एक हफ़्ते के भीतर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएसए) में 'पश्चिमी गोलार्द्ध से संबंधित मामलों (वेस्टर्न हेमिस्फीयर अफेयर्स)' के वरिष्ठ निदेशक जुआन सेबाशियन गोंजालेज़ ने वॉयस ऑफ़ अमेरिका के साथ एक इंटरव्यू में कहा "रूस के खिलाफ़ प्रतिबंध इतने कठोर हैं कि इसका उन सरकारों पर भी असर पड़ेगा, जिनके रूस के साथ आर्थिक संबंध हैं। इनका ढांचा ही ऐसा है। मतलब वेनेजुएला, निकारागुआ और क्यूबा जैसे देशों को दबाव महसूस होगा।" फॉरेन अफेयर्स मैगज़ीन में हाल में "द यूरेशियन नाइटमेयर्स" नाम से एक लेख प्रकाशित हुआ। यह मैगजीन अमेरिकी गृह विभाग के लिए अनौपचारिक ढंग से बातचीत के फोरम का काम करती है। बहरहाल, लेख में तर्क दिया गया कि अमेरिका के पास, रूस और चीन से एकसाथ, एक वक़्त पर लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन गोंजालेज़ ने इशारा किया कि बाइडेन प्रशासन की रणनीति सिर्फ़ पूर्व में मुख्य मोर्चे (रूस और चीन) तक सीमित नहीं है, बल्कि वे दक्षिण में एक दूसरा मोर्चा भी खोलेंगे, जो खासतौर पर लैटिन अमेरिका के तीन देशों- क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला के खिलाफ़ होगा, जिन्होंने हाल के सालों में अमेरिका को चुनौती दी है। लेकिन कोलंबिया में जन्मे गोंजालेज़ जितना कहते हैं, दक्षिण का मोर्चा उससे कहीं ज़्यादा बड़ा हो सकता है।   

24 मार्च को अमेरिकी सशस्त्र बलों के दक्षिणी कमांड की कमांडर- जनरल लाउरा रिचर्डसन ने अमेरिकी सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के सामने अपना बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि "हालांकि तात्कालिक तौर पर 'रूस ज़्यादा आपात चुनौती' है। लेकिन लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में चीन सबसे बड़ी कूटनीतिक, तकनीकी, सूचना संबंधी और सैन्य चुनौती अमेरिका के लिए पेश करेगा।" दो हफ़्ते पहले हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (निचला सदन) के सामने भी रिचर्डसन ने ऐसी ही बात रखी थी। वहां उन्होंने कहा था कि "अगर अमेरिकी नेतृत्व यहां मौजूद नहीं रहता, तो इस क्षेत्र में चीन, अफ्रीका की तरह, जहां उसके पास अपने हितों को पूरा करने वाला भयावह प्रभाव मौजूद है, वैसा प्रभाव जमाएगा।" उन्होंने 2013 से बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के अफ्रीकी महाद्वीप में पहुंचने की तरफ इशारा किया, जिसके चलते अफ्रीका में अरबों डॉलर का चीनी निवेश अवसंरचना के क्षेत्र (ऊर्जा, संचार, बंदरगाह, रेल, सड़क, हाइवे आदि) में पहुंच रहा है। बदले में चीन अपनी औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों की आपूर्ति ले सकेगा। बता दें दुनिया में जितने निर्माण होता है और जितने की खपत होती है, चीन उसमें 28 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रखता है।

 जनरल रिचर्डसन के वक्तव्य दो सिद्धांतों पर आधारित थे। पहला, अमेरिका लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र को अपने घर का "पिछवाड़ा" समझता है, जैसा 1823 में मुनरो डॉक्ट्रीन के वक़्त से बताया जाता रहा है और अनगिनत अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेपों, तख़्तापलटों और हाल में अमेरिका से मेल ना खाने वाले देशों के खिलाफ़ चल रहे हाइब्रिड युद्ध से भी यह दिखाई देता है। बाइडेन ने हाल में कहा था कि "लैटिन अमेरिका हमारा पिछवाड़ा नहीं है", बल्कि यह "अमेरिका का आगे का अहाता (फ्रंट यार्ड) है।" दरअसल लैटिन अमेरिका किसी का अहाता बनना नहीं चाहता, चाहे आगे की बात हो या पीछे की। दूसरा, अमेरिका का मानना है कि इस इलाके की सरकारों की विदेशी नीति अमेरिका द्वारा परिभाषित होनी चाहिए।  

लैटिन अमेरिका में चीन

साल 2000 में अमेरिकी कांग्रेस ने "अमेरिका-चीन आर्थिक एवम् सुरक्षा् परीक्षण आयोग (यूएस-चाइना इक्नॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन)" का गठन किया था, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा पर चीन के असर को लेकर अपना विश्लेषण कांग्रेस को पेश करता है। नवंबर 2021 में आयोग द्वारा जमा की गई रिपोर्ट में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों के साथ चीन के संबंधों को लेकर अहम चैप्टर मौजूद है। रिपोर्ट में अर्जेंटीना से लेकर वेनेजुएला तक "लोकलुभावन" सरकारों को चीन के समर्थन पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे इस इलाके में चीन के साथ व्यापार बढ़ रहा है: 2003 में यह व्यापार 18.9 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 में बढ़कर 295.6 अरब डॉलर पहुंच गया। इसके अलावा चीन इस क्षेत्र में कर्ज़ (2005 से 2020 के बीच 137 अरब डॉलर) और प्रत्यक्ष निवेश (2016 से 2020 के बीच 58 अरब डॉलर) के स्त्रोत् के तौर पर भी अपनी भूमिका बढ़ा रहा है। इस निवेश के चलते, लैटिन-कैरेबियाई क्षेत्र में 2008 के वित्तीय संकट का प्रभाव कम करने में कामयाब रहा था, इस निवेश से नौकरियां पैदा हुईं (1995 से 2016 के बीच 18 लाख) और गरीब़ी में कमी (2002 में 12 फ़ीसदी से कम होकर 2018 में 4 फ़ीसदी) आई। महामारी के दौरान भी यहां चीनी वैक्सीन तेजी से पहुंची, जबकि कोविड मंदी के चलते लैटिन अमेरिकी वस्तुओं का चीन को निर्यात बुरे तरीके से नीचे चला गया। 

आयोग, टेलिकम्यूनिकेशन और परिवहन में चीन और इस क्षेत्र के बीच बढ़ती नज़दीकियों से भी चिंतित है। इसके लिए इस क्षेत्र में ह्यूवेई की 5जी में अग्रणी भूमिका और दक्षिण अमेरिका के साथ चीन की सेटेलाइट के विकास में बढ़ती भूमिका (साझा उपक्रम के तौर पर 21 लॉन्च किए गए, जिनमें से ज़्यादातर अर्जेंटीना के साथ हैं) को उदाहरण के तौर पर पेश किया गया। आयोग ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इलाके में (खासतौर पर कैरेबियाई क्षेत्र में) बंदरगाहों पर चीन के नियंत्रण या प्रभाव बढ़ रहा है, यह चिंता इसलिए जताई गई, क्योंकि आयोग का कहना है कि भविष्य में इनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों (हालांकि चीन या किसी भी लैटिन अमेरिकी या कैरेबियाई देश द्वारा ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है) के लिए किया जा सकता है। 

अमेरिका का शीत युद्ध

वाशिंगटन में मौजूद कट्टर दक्षिणपंथी समूहों ने इस रिपोर्ट पर तेजी के साथ प्रतिक्रिया दी। फरवरी 2022 में सीनेटर मार्को रूबियो और बॉब मेंनडेज़ ने "वेस्टर्न हेमिस्फीयर सिक्योरिटी स्ट्रेटजी एक्ट, 2022" संसद में पेश किया। यह दोनों ही क्यूबाई-अमेरिकी मूल के हैं। यह विधेयक आयोग की अनुशंसाओं की मदद से तैयार किया गया था, विधेयक प्रस्तावित करता है कि अमेरिका इस क्षेत्र में चीन की भूमिका को सीधी चुनौती दे। विधेयक कहता है कि इस इलाके में चीन और रूस की उपस्थिति "नुकसानदेह और खराब प्रभाव" वाली है। विधेयक बहुत अस्पष्ट है, और इसमें गहन जानकारियों की कमी है। 

डॉ इवान एलिस अमेरिका सेना युद्ध कॉलेज में प्रोफ़ेसर हैं, उनकी बात को आयोग की रिपोर्ट में शामिल किया गया था। उन्होंने जनवरी, 2022 में रणनीतिक एवम् अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र के लिए एक रिपोर्ट लिखी थी। इसका शीर्षक "प्रिपेयरिंग फॉर डिटेरिओरेशन ऑफ द लैटिन अमेरिका एंड कैरेबियन स्ट्रेट्जिक एंवायरनमेंट (खराब होते लैटिन अमेरिकी एवम् कैरेबियाई रणनीतिक माहौल के लिए तैयारी)" था। वह लिखते हैं कि नई सरकारों ने इस क्षेत्र में कोविड मंदी से उभरने के लिए चीन के साथ संबंध बना लिए हैं। एलिस का कहना है कि अमेरिका इस क्षेत्र में निवेश के लिए पर्याप्त संसाधनों को इकट्ठा नहीं कर सकता, क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस बंटी हुई है और निजी क्षेत्र इस मिशन को अंजाम देना नहीं चाहता। एलिस इस क्षेत्र में अमेरिकी नीति को लेकर आशंकित हैं, खासकर तब जब चीन की सरकारी कंपनियां निर्माण, खनन, ऊर्जा और वित्त जैसे क्षेत्रों में यहां प्रभावी तरीके से निवेश कर रही हों। 

एलिस ने फौरी तौर पर चार काम करने की सलाह दी है। इनमें से ज़्यादातर चीजें वहीं हैं, जिन्हें "हाइब्रिड वॉर" के तौर पर पहचाना जाता है। वे कहते हैं कि पहला, वाशिंगटन को ऐसे मीडिया विमर्श को बढ़ावा देना चाहिए, जो वामपंथी सरकारों की निंदा करता हो और उनके चीन के साथ संबंधों को लेकर आलोचनात्मक हो। दूसरा, इन सरकारों के खिलाफ़ होने वाले प्रदर्शनों को अमेरिका को समर्थन देना चाहिए। तीसरा, अमेरिका को क्षेत्रीय कुलीनों के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करना चाहिए। चौथा, अमेरिका को इन वामपंथी झुकाव वाली सरकारों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए।

आने वाले महीनों में लैटिन अमेरिका में होने वाले दो चुनावों के बाद अमेरिका के लिए स्थिति और भी खराब हो सकती है। कोलंबिया में मई में चुनाव होने हैं, जो इस क्षेत्र में मुख्य अमेरिकी मित्र देश है। वहां वामपंथी प्रत्याशी गुस्तावो पेट्रो, दक्षिणपंथियों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं। ब्राजील (अक्टूबर) में लूला, पोल में राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो से आगे चल रहे हैं।

एलिस को लगता है कि लूला की गिरफ़्तारी और उन्हें जेल भेज जाने से "उनके लोकलुभावनवादी वामपंथी नज़रिए की अतिवादिता और भी ज़्यादा गहरी हो गई है।" मई, 2021 में लूला ने चीन के वेबसाइट गुआंचा से कहा, "यह संभव नहीं है कि जब भी कोई लैटिन अमेरिकी देश विकास करने लगता है, वहां तख़्ता पलट हो जाता है। और इस तख़्ता पलट में हमेशा अमेरिका से कोई ना कोई होता है, हमेशा वहां अमेरिकी राजदूत होता है। यह संभव नहीं है।"

लूला अतिवादी नहीं हैं, लेकिन अगर वे ब्राजील के राष्ट्रपति फिर से बनते हैं, तो वे अपने देश के विकास के प्रति व्यवहारिक नज़रिया पेश करेंगे। उन्होंने लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्रीय ब्लॉक (CELAC या लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों का समुदाय) और BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के पुनर्निर्माण पर जोर दिया। यह दोनों ही संगठन हाल के सालों में कमजोर हुए हैं। ब्राजील की भविष्य की योजनाओं में चीनी निवेश और व्यापार शामिल है, लेकिन लूला जानते हैं कि उनकी साझेदारी और भी आगे बढ़नी चाहिए और ब्राजील को चीन के लिए सिर्फ़ वस्तुओं के निर्यातक से ज़्यादा होना चाहिए। 

क्या इस क्षेत्र में अमेरिका, चीन और रूस के प्रभाव को कम कर पाएगा? यहां तक कि एलिस भी ऐसे नतीज़े के बारे में बहुत विश्वास के साथ कुछ महसूस नहीं करते। सीनेटर रूबियो और मेंनडेज़ के साथ, एलिस भी नहीं चाहेंगे कि एक नई विश्व व्यवस्था में यह देश नायकों की भूमिका में आएं, इसके बजाए वे इन्हें अस्थिर करना पसंद करेंगे। 

मार्को फर्नांडेज़, ट्राइकॉन्टिनेंटल इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च में शोधार्थी हैं। वे नो कोल्ड वॉर कलेक्टिव के सदस्य भी हैं। वे शंघाई में रहते हैं।

यह लेख ग्लोबट्रॉटर ने प्रकाशित किया था।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

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