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नए कृषि कानूनों से उप-चुनाव में नुकसान के डर से शिवराज सरकार किसानों को रिझाने की कोशिश में

किसानों से सम्बंधित तीन बिलों के संसद में पारित होने के एक दिन बाद से ही किसान सड़कों पर हैं, और भोपाल सहित सारे राज्य भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
शिवराज सरकार

भोपाल: राज्य में होने जा रहे आगामी उपचुनावों के मद्देनजर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से मंगलवार के दिन यह घोषणा की गई है कि राज्य के किसानों को मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि (एमकेएसएन) के तहत प्रतिवर्ष 4,000 रुपये दिए जायेंगे। यह घोषणा अपने आप में एक तीर से दो शिकार करने वाली प्रतीत होती है।

चौहान द्वारा उठाये गए इस कदम को हाल ही में संसद द्वारा पारित किये गए कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों में उपजे गुस्से को शांत करने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरा, इसके जरिये कांग्रेस की ऋण माफी योजना का जवाब देने का भी प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल में तकरीबन 26.90 लाख किसानों के कर्ज माफ कर दिए गए थे। कांग्रेस इसे एक चुनावी मुद्दा बनाने के लिए पूरी तरह से तैयारी में थी।

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अनुमान है कि मध्य प्रदेश की 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव भी इसी दौरान होंगे, जब बिहार में इस साल अक्टूबर और नवंबर में विधानसभा चुनाव आयोजित किये जायेंगे।

मप्र सरकार द्वारा घोषित यह नवीनतम योजना दरअसल, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएमकेएसएन) की ही तर्ज पर है। इसके तहत केंद्र की ओर से किसानों को तीन किश्तों में एक वर्ष में कुल 6,000 रुपये मिलते हैं। वहीं चौहान द्वारा घोषित इस योजना के जरिये तकरीबन 77 लाख किसानों को दो किश्तों में हर साल 4,000 रुपये का लाभ होने जा रहा है।

भोपाल में मंगलवार को इस योजना का अनावरण करते हुए चौहान ने कहा था “मध्य प्रदेश के किसानों को अब कुलमिलाकर 10,000 रुपये प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता हासिल हो सकेगी। पीएमकेएसएन के तहत 6,000 रुपये और एमकेएसएन के तहत 4,000 रुपये।” उन्होंने आगे कहा "पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर 25 सितंबर को इसकी पहली किश्त हस्तांतरित की जाएगी।"

मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने इस योजना का विवरण देते हुए कहा है: "पीएमकेएसएन के तहत पंजीकृत सभी 77 लाख किसानों को 25 सितंबर के दिन इसकी पहली किश्त मिल जायेगी, हालांकि कुल मिलाकर देखें तो राज्य में तकरीबन एक करोड़ जोतदार किसान हैं।"

बैंस के अनुसार "बाकी के किसानों को इस योजना का लाभ मुहैया कराने के लिए उन्हें एमकेएसएन पोर्टल पर अपना पंजीकरण करना होगा और एक बार अपने संबंधित क्षेत्रों के पटवारियों द्वारा सत्यापित किये जाने के बाद उन्हें भी उनके बैंक खातों में यह धनराशि मिलनी शुरू हो जाएगी।"

इसके साथ-साथ सीएम द्वारा सहकारी बैंकों के लिए 800 करोड़ रुपये के बजट के आवंटन की भी घोषणा की गई है, जहां से किसान ब्याज मुक्त कृषि ऋण हासिल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सीएम ने 63,000 लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किए।

किसानों के गुस्से की हवा निकालने की एक कोशिश

इस बीच किसानों से सम्बंधित तीन बिलों के संसद में पारित होने के एक दिन बाद से ही किसान सड़कों पर हैं, और भोपाल सहित सारे राज्य भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

इस संबंध में दो किसान संघों - भारतीय किसान यूनियन एवं भारतीय किसान मजदूर संघ ने न सिर्फ भोपाल में ही विरोध प्रदर्शन आयोजित किये हैं, बल्कि 25 सितंबर के दिन भारी पैमाने पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का भी ऐलान है। आरएसएस समर्थित भारतीय किसान संघ के नेताओं ने भी मुख्यमंत्री चौहान से इस सम्बंध में मुलाकात की है।

भारतीय किसान मजदूर संघ के नेता शिवकुमार शुक्ला ने इस सम्बंध में कहा है कि: “केंद्र सरकार जिस मॉडल को देश में लागू करने की सोच रही है, वह अमेरिका जैसे बड़े देशों तक में विफल साबित हुआ है। हम इसके पूरी तरह से खिलाफ में हैं और इसके बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने में जुटे हैं। जल्द ही हम बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन को अंजाम देने जा रहे हैं।”

शिवकुमार की बातों पर हामी भरते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता अनिल यादव का कहना था कि राज्य सरकार द्वारा आरंभ की गई इस नई एमकेएसएन स्कीम को इस्तेमाल में लाकर इस मुद्दे से "किसानों का ध्यान भटकाने" की कोशिश की जा रही है, लेकिन “वह अपने इरादे में सफल नहीं होने वाली।”

कृषि ऋण माफ़ी एक धोखा?

इस वर्ष मार्च में कांग्रेस सरकार के पतन के बाद से ही सीएम चौहान एवं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित तमाम बीजेपी नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस का कृषि ऋण माफी का वादा एक छलावे से अधिक कुछ नहीं था। अपने-अपने दावों के साथ दोनों दल आपस में भिड़े हुए हैं।

‘कांग्रेस सरकार द्वारा कोई भी कृषि ऋण माफ नहीं किया गया है। कर्ज माफ़ी का उनका दावा सरासर झूठा है।’ रैलियों के दौरान भाजपा नेताओं के भाषणों में ये लाइनें आजकल आमतौर पर सुनने को मिल रही हैं। यही नहीं बल्कि कृषि मंत्री कमल पटेल तो किसानों से यहाँ तक अपील कर रहे हैं कि वे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ उनके साथ की गई इस धोखाधड़ी और विश्वासघात पर प्राथमिकी दर्ज करायें।

इसके बावजूद 22 सितंबर को राज्य विधानसभा में बीजेपी ने इस बात को माना है कि अपने 15 महीनों के शासनकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने दो चरणों में कुल 26.95 लाख किसानों के 11,646 करोड़ रुपये मूल्य के कर्ज माफ करने का काम किया है।

इसके अगले ही दिन कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर भाजपा नेताओं पर तीखा हमला बोला और कृष ऋण माफ़ी के मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर झूठ बोलने पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से माफी मांगने की मांग की है।

कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा का इस बारे में कहना है कि "भाजपा अपने कृषि ऋण माफी पर बोले गए झूठ को छुपाने के लिए एक और झूठ बोल रही है।" सलूजा कहते हैं, “हर साल करीब एक करोड़ किसानों को 4,000 रुपये का भुगतान एक ऐसे राज्य के लिए कर पाना करीब-करीब नामुमकिन है, जिसके सर पर 2.13 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज चढ़ रखा हो। यह सब किसानों की आँखों में धूल झोंकने सिवाय और कुछ भी नहीं है।” 

अंग्रेजी में प्रकाशित मूल लेख पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

With By-Polls Due and Farm Bills Passed at Centre, MP Govt. Tries to Placate Farmers

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