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योगी सरकार ने यूपी पुलिस को एनकाउंटर टूल बना दिया !

'उन वर्गों को भयभीत करने के लिए ऐसी हत्याओं का एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जो बीजेपी सरकार के साथ नहीं हैं।'
vivek tiwari

जब से आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला है तब से राज्य की पुलिस ने क़रीब 1500 एनकाउंटर किए हैं। इस दौरान 67 लोग मारे गए जिनमें चार पुलिसकर्मी शामिल हैं। हाल ही मेंलखनऊ के पॉश इलाक़े गोमती नगर में एक एप्पल के अधिकारी को गोली मार दी गई जिसके चलते राज्य की क़ानून-व्यवस्था को लेकर काफ़ी हंगामा हुआ।

मार्च में जारी आंकड़ों के मुताबिक़मेरठ में सबसे ज़्यादा एनकाउंटर (449) के मामले सामने आए हैं। इसके बाद आगरा ज़ोन का स्थान है जहां 210एनकाउंटर किए गए। सूची में तीसरे स्थान पर बरेली है जहां 196 एनकाउंटर किए गए थे और वहीं चमड़े के उद्योग के लिए मशहूर कानपुर से 91 मामले सामने आए। वहीं सीएम के क्षेत्र गोरखपुर में सबसे कम पुलिस 'एनकाउंटरहुए हैं।

फ़्लैशबैक

जून 2017 के पहले सप्ताह में इंडिया टीवी पर 'आप की अदालतमें आदित्यनाथ ने कहा था, "अगर अपराध करेगेतो ठोक दिए जाएंगे"। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसारजनवरी 2018 तकपुलिस ने 1,038 एनकाउंटर किया था। इनमें से 32 लोगों की मौत हो गई और 238 लोग घायल हो गए। चार पुलिस कर्मियों ने भी अपनी जान गंवा दीऔर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसएके तहत 160 लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई की गई। लेकिन हाल में हुएअलीगढ़ एनकाउंटर समेत विभिन्न मामलों में पीड़ितों के परिवारों ने 'एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग्सका आरोप लगाया है। दुर्भाग्यवशआदित्यनाथ सरकार ने सरकार के आदेश पर 'एनकाउंटरकरने के लिए पुलिस को एक उपकरण बना दिया है।

मेरठ में पुलिस की नैतिकता

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें देखा जा सकता है कि एक मुस्लिम लड़के से हिंदू लड़की की नज़दीकी होने के चलते वैन में पुलिस उस लड़की को मार रही है। इस वीडियो मेंएक वर्दीधारी पुलिस हिंदू लड़के के बजाए मुस्लिम लड़के संबंध होने के चलते लड़की को मार रही है बार-बार उसे अपशब्द कह रही है।

यूपी पुलिस को 'खुली छूट'

न्यूज़़क्लिक से बात करते हुए पूर्व आईजी (यूपी पुलिसएसआर दारापुरी ने कहा, "योगी सरकार का मानना है कि सख्त क़दम उठाने से अपराध को नियंत्रण में लाया जा सकता है और इसीलिए उन्होंने सरकार नीति के रूप में 'एनकाउंटरको अपनाया है। आदित्यनाथ ने ख़ुद कहा था कि वे अपराधियों को गोली मार देंगेलेकिन अब तक राज्य में एनकाउंटर और सरकार के अहंकार के परिणामस्वरूप क़ानून में कोई सुधार नहीं हुआ है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी किया हैपीआईएल में आरोप लगाया गया है कि पिछले एक साल में राज्य में कई फ़र्ज़ी एनकाउंटर हुए थे। इसलिएयोगी की एनकाउंटर नीति भी गलत साबित हुई। विपक्ष को भयभीत करने के लिएसरकार द्वारा विभिन्न क़ानूनों का भी दुरुपयोग किया जा रहा है।"

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसएके इस्तेमाल पर सवाल करते हुए दारापुरी ने कहा, "एनएसए के तहत 150 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया गया थाउनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे..। इसके अलावाअगर हम उन लोगों के आंकड़ों को देखते हैं जिनका 'एनकाउंटरकिया गया हैइसमें ज़्यादातर मुस्लिम हैं और इनके बाद दलितओबीसी और समाज के कमज़ोर वर्ग हैंजबकि क्रूर अपराधियों को मारने की संख्या वास्तव में कम है। वे उन वर्गों को भी दबा रहे हैं जो सत्ताधारी पार्टी के साथ नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक और दलित ख़ुद को भयभीत महसूस कर रहे हैं।"

व्यापक रूप से पूछे जाने वाले प्रश्न हैंअगर अलीगढ़ एनकाउंटर सत्य थातो पुलिस ने लाइव कवरेज के लिए मीडियाकर्मियों को क्यों बुलाया थाक्योंकि उन्हें पता था कि कोई क्रॉस-फायरिंग नहीं होगी।

यह स्पष्ट है कि इन सभी 'एनकाउंटरका इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है। जहां तक मुआवज़े की बात है तो आदित्यनाथ सरकार इसे राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रही है जैसा कि विवेक तिवारी के मामले में देखा गयाजिसमें बड़ा मुआवजा देने की घोषणा की गई है,जबकि अलीगढ़ एनकाउंटर पीड़ितों के परिवारों को आवेदन करने की भी अनुमति नहीं दी गई है। दारापुरी ने कहायह कई मुस्लिम परिवारों के साथ हुआ है।

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफिज़ गांधी ने न्यूज़क्लिक को बताया, "योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में आतंक का क्षेत्र बना दिया है। क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ किए जा रहे हैं। वर्तमान यूपी सरकार संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन करने का काम कर रही है। किसी भी सरकार को नागरिकों के बुनियादी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। सीएम का 'ठोक दोवाला दृष्टिकोण आतंक के इस शासन के लिए ज़िम्मेदार है। मीडिया के कैमरे के सामने फ़र्ज़ी एनकाउंटर किए जा रहे हैं। यह पहली सरकार है जिसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पुलिस द्वारा हत्याओं के संबंध में सबसे ज़्यादा नोटिस जारी किया है।"

गांधी ने यूपी पुलिस की ग़ैरक़ानूनी तरीक़े की कामकाजी शैली की निंदा करते हुए कहा, "हम फ़र्ज़ी मुठभेड़ों और मानवाधिकारों के कई अन्य उल्लंघनों में निष्पक्ष और समयबद्ध जांच की मांग करते हैं...। आम लोगों पर अत्याचार और भय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।"

ऊत्तर प्रदेश में भय का माहौल

एप्पल के अधिकारी की उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गोली मारने को लेकर एक छोटी लड़की ने एक सशक्त अभियान शुरू किया, 'पुलिस अंकलआग गाड़ी रोकेंगे तो पापा रूक जाएंगेप्लीज़ गोली मत मारिएगा।'

वंचित समुदायों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी एनकाउंटरअत्याचारों और आतंकवादी मामलों में ग़लत तरीक़े से गिरफ्तार अल्पसंख्यक सदस्यों के मामलों को उठाने वाले एक लोकतांत्रिक ग्रुप रिहाई मंच के राजीव यादव ने कहा "यह कोई पहली बार नहीं है। राजनाथ सिंह सरकार के दौरान भी कई फ़र्ज़ी एनकाउंटर किए गए और मुख्य रूप से चंदौली और सोनभद्र ज़िले में कई दलितों और आदिवासियों के एनकाउंटर किए गए।"

उन्होंने कहा कि यूपी सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए एंटी-रोमियो स्क्वायड ने कपल्स को परेशान करना शुरू कर दिया है और पुलिस को 'निर्दोष नागरिकको एनकाउंटर करने का लाइसेंस मिल गया। तब यह था कि यूपी पुलिस ने एक अलग रिवायत शुरू की थी। इसने एनएसए के तहत विभिन्न मुस्लिमों के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय ध्वजारोहण को लेकर केस दर्ज किया गया हैजबकि दूसरी तरफउन्होंने उन हिंदुओं को खुली छूट दी है जिन्होंने भगवा झंडा फहराया था।"

अलीगढ़ एनकाउंटर पर चर्चा करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष माश्कूर अहमद उस्मानी ने कहा, "आज सभी को विवेक तिवारी का नाम पता है जिन्हें यूपी पुलिस ने मार दिया लेकिन कितने लोगों को हाल ही मेंनौशाद "औरमुस्तकीम "की हत्या के बारे में जानकारी है जिन्हें अलीगढ़ फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गयाउनके परिवार को एफआईआर दर्ज करने की भी अनुमति नहीं है। अलीगढ़ एनकाउंटर 'फिल्मीऔर'स्क्रिप्टेडथी।"

यह भी एक धारणा है कि राजनीतिक दल के नेता विवेक तिवारी के घर पर 'फोटो सेशनके लिए गए थेलेकिन किसी नेता ने अलीगढ़ एनकाउंटर पर एक भी शब्द नहीं कहा क्योंकि वे मुस्लिम हैं। मश्कूर ने न्यूज़क्लिक से कहा, "हम यूपी पुलिस द्वारा किए गए हर एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग करते हैं।"

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