यमन के लोगों ने यूएस ड्रोन हमले को लेकर जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दायर किया
यमन के दो लोगों ने यूएस द्वारा जर्मनी के एयरबेस का इस्तेमाल कर यमन पर ड्रोन हमले के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराते हुए मंगलवार 23 मार्च को इसके खिलाफ जर्मनी में देश के संघीय संवैधानिक न्यायालय में अपील दायर किया है। यूएस ने जर्मनी के रमस्टीन एयरबेस का इस्तेमाल कर यमन पर हमला किया था जिसमें उक्त लोगों के परिवार के कई सदस्य मारे गए हैं।
ये अपील यूरोपियन सेंटर फॉर कंस्टिट्यूशनल एंड ह्यूमन राइट्स (ईसीसीएचआर) और मानवाधिकार समूह रिप्रीव द्वारा दो यमनी लोगों अहमद और खालिद बिन अली जाबेर की ओर से दायर की गई थी। इन लोगों का दावा है कि उनके रिश्तेदार 2012 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए थे।
अमेरिकी ड्रोन हमले में अगस्त 2012 में अली जाबेर के परिवार के दो सदस्यों की कथित तौर पर उस वक्त मौत हो गई थी जब वे रात में खाना खा रहे थे। 2014 में जर्मनी में ईसीसीएचआर और रिप्रीव की मदद से परिवार के तीन सदस्यों ने मुकदमा दायर किया था और सरकार से कहा था कि वह यमन में ड्रोन हमलों के लिए अपनी जमीन का उपयोग करने से अमेरिका को रोके। याचिका में दावा किया गया था कि ये ड्रोन हमले मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।
साल 2019 में मुइनस्टर प्रशासनिक अदालत ने कहा था कि अमेरिका को सैन्य ठिकानों का उपयोग करते समय अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करना था। हालांकि, पिछले साल लीपज़िग की संघीय अदालत ने फैसले को पलट दिया था और कहा था कि अंतरराष्ट्रीय कानून पर ध्यान दिए बिना शिकायतों के निपटारे के लिए जर्मनी का कूटनीतिक प्रयास पर्याप्त होगा।
मंगलवार 23 मार्च को एक बयान में ईसीसीएचआर ने कहा कि उपरोक्त आदेश के खिलाफ उनकी संवैधानिक शिकायत मांग करती है कि अदालत जर्मन सरकार से "वादी के जीवन के अधिकार की रक्षा के लिए और कुछ करने" को कहे और अमेरिका द्वारा ड्रोन हमले के लिए रमस्टीन एयर बेस का इस्तेमाल कर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आकलन का मांग करती है।
यूएस ड्रोन हमले में नौ बच्चों सहित अपने परिवार के 34 सदस्यों की गैरकानूनी हत्या को लेकर इसी साल जनवरी में दो यमनी परिवारों द्वारा इसी तरह की अपील रिप्रीव की मदद से इंटर-अमेरिकन कमीशन ऑन ह्यून राइट्स में दायर की गई थी।
आतंकवाद लड़ने के नाम पर अफगानिस्तान और यमन जैसे देशों में बराक ओबामा प्रशासन के समय से यूएस ने बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले किए। इस तरह के हमलों में ज्यादातर बच्चों और महिलाओं सहित निर्दोष नागरिक मारे गए। संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली कई जांच ने साबित किया है कि इस तरह के हमले अंतरराष्ट्रीय कानून और मानव अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
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