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मुस्लिमों के खिलाफ भीड़ हिंसा की घटनाओं को रोकने से जुड़ी याचिका पर उच्चतम न्यायालय करेगा सुनवाई

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र और महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी कर याचिका पर उनका जवाब मांगा।
Supreme Court
Photo : PTI

उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को एक महिला संगठन द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया जिसमें अनुरोध किया गया है कि गोरक्षकों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ भीड़ हिंसा और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटनाओं से प्रभावी रूप से निपटने के लिए शीर्ष अदालत के वर्ष 2018 के फैसले के अनुरूप राज्यों को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र और महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी कर याचिका पर उनका जवाब मांगा।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले को फैसले के लिए उच्च न्यायालयों में भेजने के खिलाफ अनुरोध किया।

कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछली बार जब वह शीर्ष अदालत में पहुंचे तब उन्हें उच्च न्यायालयों में जाने के लिए कहा गया था।

सिब्बल ने कहा, ‘‘अगर ऐसा हुआ तो मुझे विभिन्न उच्च न्यायालयों में जाना पड़ेगा। लेकिन पीड़ितों को क्या मिलेगा? दस साल बाद दो लाख का मुआवजा। भीड़ हिंसा के संबंध में तहसीन पूनावाला मामले में वर्ष 2018 के फैसले के बावजूद यह स्थिति है। मेरे पास क्या उपाय है, मैं कहां जाऊंगा।’’

इसके बाद पीठ ने सिब्बल से कहा कि वह याचिका पर संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर रही है।

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