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दिल्ली: नगर निगम के डीबीसी कर्मचारियों के वेतन में कटौती, टर्मिनेशन की भी धमकी  

बॉर्डर सील होने के कारण और परिवहन की व्यवस्था न होने की वजह से कुछ कर्मचारी दिल्ली में आकर ड्यूटी नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन उन्हें सुविधा देने की बजाय नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
DBC

दिल्ली नगर निगम के डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स (डीबीसीकर्मचारी एकबार फिर से सरकार की अनदेखी का शिकार हुए हैं। एक तो बिना किसी सुरक्षा के न्यूनतम वेतन पर कोरोना महामारी में सबसे आगे होकर लड़ते हैं। यहाँ तक कि इन्हें कई-कई महीने वेतन भी नहीं दिया जाता है। और उसमें में भी कटौती की जा रही और टर्मिनेशन की धमकी दी जा रही है।

एक तरफ तो सरकार द्वारा कहा गया था कि किसी भी कर्मचारी की लॉकडाउन के समय में तनख्वाह न काटी जाए, लेकिन निगम के डीबीसी कर्मचारियों द्वारा मेहनत करने के बाद भी उनकी तनख्वाह काट ली गई। इसको लेकर कर्मचारियों की यूनियन ‘एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन’ ने विरोध किया और सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने को कहा है।

 आपको बता दें कि इन कर्मचारियों को 13 से 14 हजार वेतन मिलता है जो कि दिल्ली का न्यनतम वेतन है। इस महीने कई कर्मचारियों के वेतन में कटौती हुई है। किसी को हज़ार तो किसी को हज़ार की राशि दी गई है। इन्हें इस महीने जो वेतन मिला है वो मार्च महीने का है जबकि अप्रैल का महीना भी बीत चुका है। ये कर्मचारी करीब 25 सालों से काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि वेतन इतना कम है कि इससे घर का गुजरा करना बहुत मुश्किल होता है। आज इस संकट के विभाग को साथ देना चाहिए था वह हमको डरा धमका रही है और साथ में टर्मिनेट करने का आदेश और चेतावनी भी जारी की जा रहा है।

 डीबीसी के कई कर्मचारी दिल्ली के बाहर जैसे गुड़गांव,फरीदाबाद और नोएडा जैसे इलाकों में, और कुछ तो हरियाणा के और भी दूर-दराज़ के इलाकों से आते हैं। लेकिन बॉर्डर सील होने के कारण और परिवहन की व्यवस्था न होने की वजह से ये कर्मचारी दिल्ली में आकर ड्यूटी नहीं कर पा रहे हैं, इसी को देखते हुए विभाग ने इन पर कार्रवाई करने का निर्णय किया।

इस पर कर्मचारियों का कहना है कि दिल्ली से बाहर से आने वाले लॉकडाउन की वजह से अपने घरों से निकलना और यहां पहुंचना दूभर हो रहा है। कैसे हम दिल्ली आकर काम करें। इनमें से अधिकतर कर्मचारी बसों और ट्रेनों से सफ़र कर दिल्ली आते थे लेकिन अभी सबकुछ बंद है।

कर्मचारियों के मुताबिक उन्होंने विभाग से कई बार कहा कि वो उनका दिल्ली में रहने या परिवहन का प्रबंध करे। लेकिन निगम प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया और अब बार-बार धमकी भरे नोटिस देकर नौकरी से निकालने की बात कर रहा है।

एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन ने कहा कि ऐसे कर्मचारी पूरी दिल्ली में 30 से 40 हैं, जो बहार से आते हैं। उन्होंने बताया कि साउथ दिल्ली में आज ग्रीन पार्क जोन की तनख्वाह जारी की गई जो मार्च की थी उसमें उनकी तनख्वाह काट दी गई साथ ही अन्य निगम और ज़ोन ने भी इस तरह का आदेश दिया हैं कि उनकी तनख्वाह काट दी जाए और साथ-साथ उन को टर्मिनेट भी कर दिया जाए।

एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने बताया कि उन्हें पग-पग पर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है जबकि वे विभाग से कई बार इस विषय पर बातचीत कर चुके हैं लेकिन वो उनकी मदद के बजाय और मुश्किल खड़ी कर रहा है।

इन कर्मचारियों की ड्यूटी अभी सरकार ने कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच और निगरानीके साथ ही कोरोना हॉटस्पाट इलाकों में जागरूकता अभियान जैसे कामो में लगाई है। इस दौरान कई बार इन कर्मचारियों ने शिकायत की कि इन्हें PPE किट नहीं दिया जा रहा है। कई जगह तो स्थिति इतनी खराब है कि इन्हें मास्क और ग्लब्स तक नहीं दिए जाते हैं। इस सबके बाद भी यह लोग लगातार काम कर रहे हैं।

 

इससे कर्मचारियों में भरी रोष है। एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवानंद शर्मा का कहना है कि यह हमारा दुर्भाग्य ही तो है कि हमारा निगम प्रशासन और हमारे नेतागण हमारे किसी भी तरीके से साथ नहीं दे रहे हैं। न तो हमारी जीवन सुरक्षा और हमारे परिवार की सुरक्षा और साथ में जो दूर से आने वाले साथी जो यूपी और हरियाणा बॉर्डर पार से आने वाले कर्मचारी हैं जो कुल 30 से 40 कर्मचारी हैं। न उनको कोई सुविधा दे पा रहा है। इस अवस्था में कर्मचारियों का वेतन काट जाना दुःखद है। 

 

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