JNU: विकलांग छात्र का सामान जबरन हॉस्टल से निकाला, मारपीट के भी आरोप !

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में डिफरेंटली एबल्ड एक पीएचडी छात्र के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। छात्र का आरोप है कि हॉस्टल खाली कराने के नाम पर उनसे मारपीट की गई।
क्या है मामला?
फारूक आलम कावेरी हॉस्टल में रह रहे थे। उन्होंने 2013 में जेएनयू में बीए में एडमिशन लिया। यहीं से एमए किया और अभी रशियन लैंग्वेज में पीएचडी लास्ट ईयर के छात्र हैं। आलम 2017 में अध्यक्ष पद के लिए JNUSU का चुनाव भी लड़ चुके हैं। आरोप है कि बुधवार दोपहर के समय हॉस्टल रूम खाली करवाने आए वॉर्डन ने उनका सामान बाहर फेंकना शुरू कर दिया। जिस वक़्त आलम का रूम खाली किया जा रहा था वे वहां मौजूद नहीं थे लेकिन जैसे ही वो लौटे उन्होंने ये कार्रवाई रोकने की कोशिश की और इस दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। बुधवार की इस घटना के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
In a horrific incident in Kaveri hostel today senior warden of Kaveri hostel and their domesticated ABVP Goons attacked NSUI activists and our senior activist Farooque Alam who is a physically handicapped research scholar in JNU. pic.twitter.com/iuzt5NHsp7
— NSUI-JNU (@jnu_nsui_) September 6, 2023
🚨 Breaking: Horrific act at JNU! Farooque Alam, a physically disabled NSUI activist, was attacked by Kaveri Hostel's Senior Warden & ABVP goons. This isn't just an assault; it's a travesty of justice. #JusticeForFarooq #NSUIJNU @kanhaiyakumar @Me_Sudanshu pic.twitter.com/1AhyxDtl4L
— Dr Sunny Dhiman (@sunnywakker) September 6, 2023
JNUSU ने किया वार्डन का घेराव
फिलहाल आलम को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। लेकिन वो जेएनयू से बाहर रह रहे हैं। आरोप है कि जिस दौरान वॉर्डन ये कार्रवाई कर रहे थे कावेरी हॉस्टल में ही रह रहे एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने वार्डन का साथ दिया। आलम का आरोप है कि एबीवीपी के इन लोगों ने उनके साथ मारपीट भी की। घटना से गुस्साए JNUSU ने कावेरी हॉस्टल के वार्डन का घेराव किया और इसे ''गुंडों द्वारा की गई मारपीट'' बताया और कार्रवाई की मांग की।
NSUI के साथी पर ABVP के गुंडों द्वारा हुए हमले के विरोध में आज कावेरी हॉस्टल वार्डन का घेराव हुआ। हमारे द्वारा सीनियर वार्डन और डीन ऑफ़ स्टूडेंट से इन गुंडों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग रखी गयी।
जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे ।@Me_Sudanshu pic.twitter.com/UrmkEdkR06
— NSUI-JNU (@jnu_nsui_) September 6, 2023
वहीं NSUI, AISA की तरफ से भी बयान जारी कर इस तरह के व्यवहार को अमानवीय बताया गया।
Official statement from @jnu_nsui_ on the hate crime committed on their senior activist @Farooque_JNU pic.twitter.com/tWyd5pjIW5
— Saib Bilaval (@SaibBilaval) September 6, 2023
दरअसल आलम की प्रॉक्टोरियल इन्क्वारी चल रही थी। ये पूछताछ उनके चार साल पहले फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने को लेकर है, उसके बाद ही उन्हें हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया था। ये मामला हाईकोर्ट में चल रहा है लेकिन प्रशासन की तरफ से ये कार्रवाई कर दी गई।
हमने फ़ारूक आलम से फोन पर बात की और बुधवार की घटना के बारे में पूछा। वे बताते हैं कि ''इस यूनिवर्सिटी का हिस्सा होने के नाते मैं यहां होने वाले विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक गतिविधियों का हिस्सा रहा हूं। 2019 में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ एक प्रोटेस्ट हुआ था, मैं भी उस आंदोलन का हिस्सा था। उस दौरान मैंने डीन ऑफ स्टूडेंट्स उमेश अशोक के कदम के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया था उसी को आधार बनाकर मेरे ऊपर केस डाला गया''।
''मामला कोर्ट में चल रहा है''
2019 का ये मामला इंटरनल कमेटी, प्रॉक्टर ऑफिस से होते हुए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। 2020-21 में कोरोना काल के बाद 2022 में ये मामला दोबारा खुला। दो सुनवाई हुई लेकिन मई 2023 में प्रॉक्टर ऑफिस की तरफ से आलम पर 10 हज़ार रुपये का जुर्माना और Restrictions of out of bounds for one year, (मतलब एक साल तक वो यूनिवर्सिटी कैंपस में घुस नहीं सकते) लगा दिया। जिसे आलम ने दिल्ली हाईकोर्ट में चैलेंज किया। आलम बताते हैं कि ''वहां बिना किसी बहस के ही जेएनयू की तरफ से केस वापस लेने की इच्छा ज़ाहिर कर दी जिसके बाद मामला सबजूडिस (विचाराधीन) हो गया। कोर्ट ने स्टे लगा दिया''।
अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई
आलम आगे बताते हैं कि इस स्टे के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन फिर 28 अगस्त को उन्हें दोबारा निकालने का ऑर्डर दे दिया गया, जिसे उन्होंने दोबारा कोर्ट में चैलेंज किया जिसकी सुनवाई 5 सितंबर को थी कोर्ट ने मैटर को एडमिट किया और अगली सुनवाई 21 सितंबर को होनी थी। लेकिन इस बीच फ़ारूक आलम पर कार्रवाई कर दी गई।
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मेरा सारा सामान ले गए
आलम ने जैसे ही बीते कल यानी 6 सितंबर की घटना के बारे में बताना शुरू किया उनकी आवाज़ थरथराने लगी। वे बताते हैं कि ''बिना किसी पहले से सूचना के, बिना किसी नोटिस के वे कल आए। वार्डन डॉ. गोपाल, डॉ. मनीष, डॉ. अमित इनके साथ सिक्योरिटी गार्ड और हॉस्टल में दूसरे काम करने वाले कर्मचारी भी थे।'' इससे आगे की बात आलम ने रोते हुए कही। वे कहते हैं, ''मेरी ग़ैर मौजूदगी में, मेरा जितना भी सामान था बोरों में भरना शुरू कर दिया, चूंकि मैं उस रूम में पिछले 10 साल से हूं तो मेरे पास सैंकड़ों किताबें हैं, मेरी सारी किताबें, मेरा लैपटॉप, मेरे कपड़े कहां भरकर ले गए मुझे अभी तक नहीं पता''।
''उन्होंने मुझे मारा''
आलम आगे बताते हैं कि ''जब मैं वहां आया तो वहां एबीवीपी के लोग खड़े थे, वो मुझे निकालने के समर्थन में थे। उस दौरान वहां गार्ड कम थे और एबीवीपी के लोग ज़्यादा थे। वे लोग मेरा रूम खाली करवाना चाहते थे। उन्हें हॉस्टल के ही डॉ. गोपाल और रोहित ने बुलाया था। वो मेरे खिलाफ थे। मुझे निकालने के समर्थन में थे जब मैं नहीं हटा तो उन्होंने मुझे मारा''।
''मैं उस वक़्त बिल्कुल बदहवास था और फिर बेहोश हो गया''
आलम ने हॉस्टल पहुंचने पर वार्डन से रुकने के लिए कहा। वे बताते हैं कि ''मैं कैंपस में नहीं था जब मुझे पता चला कि ताला तोड़ कर मेरा सारा सामान निकाल दिया गया। मैं ख़ुद को संभाल नहीं पाया। मैं दौड़ते-दौड़ते आया। मैं उनसे गुजारिश करने लगा। मैं उनसे पूछने लगा कि मेरा क्या गुनाह है जो इस तरह किया जा रहा है। बिना सूचना के मेरी ग़ैर मौजूदगी में ऐसे कैसे किया जा सकता है। मैं उस वक़्त बिल्कुल बदहवास था और फिर बेहोश हो गया।''
आलम हॉस्पिटल से लौटने के बाद अपने किसी दोस्त के पास हैं। वो अपना सामान तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि ''मैं उनसे अपना ज़रूरी सामान मांग रहा हूं। मेरा आईडी, एटीएम, लैपटॉप लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।''
आलम के मुताबिक 5 सितंबर की सुनवाई के बाद उन्होंने प्रशासन से गुज़ारिश की थी कि 21 सितंबर की सुनवाई से पहले कोई कार्रवाई न की जाए और प्रशासन की तरफ से आश्वासन भी दिया गया था कि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी लेकिन अचानक 6 सितंबर को इस तरह से कार्रवाई क्यों की गई?
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''माइनॉरिटी है इसलिए टार्गेट करके कार्रवाई''
आलम बताते हैं कि ''मेरे साथी वहीं थे। वे कह रहे थे सर, हाईकोर्ट से राहत मिली हुई है आप ऐसे नहीं कर सकते। डिफरेंटली एबल्ड है इतना सारा सामान लेकर अचानक कहां जाएगा। आप ऐसे कैसे कर सकते हैं। इंसानियत भी कुछ होती है, आप उसे सिर्फ इसलिए टार्गेट कर रहे हैं क्योंकि वो माइनॉरिटी है''।
एबीवीपी की प्रतिक्रिया
हमने इस मामले में एबीवीपी से भी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की। उन्होंने मीडिया में जारी एक बयान हमारे साथ साझा किया जिसमें लिखा था कि आलम को हॉस्टल से निकालने की प्रक्रिया में एबीवीपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में शामिल नहीं था। हमारा कोई कार्यकर्ता उस वक़्त हॉस्टल में मौजूद नहीं था। आलम ने हमसे बात करते हुए एक रोहित का नाम लिया था उसके बारे में एबीवीपी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि वो हॉस्टल परिसर में ही मौजूद नहीं था।
वहीं इस मामले में अब तक जेएनयू प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
उच्च शिक्षा संस्थानों में जिस तरह से दलित और मुस्लिम छात्रों के साथ व्यवहार हो रहा है वो जगजाहिर है। ऐसे में देश की नामी यूनिवर्सिटी में मुस्लिम डिफरेंटली एबल्ड छात्र को अगर निशाना बनाकर कार्रवाई की गई है तो वह बेहद शर्मनाक है।
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