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200 से ज़्यादा लेखकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 370 हटाने के ख़िलाफ़ जारी किया बयान

कश्मीर में 370 हटाए जाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के विरोध में 200 से ज़्यादा सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, कवियों ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि "ये जम्हूरियत का मज़ाक़ है!"
jammu and kashmir
image courtesy: Indian Cultural Forum

कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के विरोध में 200 से ज़्यादा सामाजिक कार्यकर्ताओंलेखकोंकवियों ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि "ये जम्हूरियत का मज़ाक़ है!" इस बयान में सभी ने और नागरिकों से अपील की है कि वो आयें और कश्मीर की अवाम के साथ एकजुट हो कर खड़े हों।

"जम्हूरियत का मज़ाक़"

इंडियन राइटर्स फ़ोरम का बयान

अगस्त 16 2019

जम्मू कश्मीर को मिले ख़ास दर्जे को हटा कर और उसे दो केंद्र-शासित प्रदेशों में बाँट करकेंद्र सरकार ने लोकतंत्र का मज़ाक़ बना दिया है। उसने उन औपचारिक वादों को तोड़ दिया है जो भारत द्वारा 1947 में राज्य के पदारोहण के दौरान किये गए थे।

संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो हिस्सों में बाँट देने के इस क़दम को गुप्त रूप सेएकतरफ़ा रूप से और बलप्रयोग के साथ अंजाम दिया गया है। धार्मिकसांस्कृतिकसंजातीय और वैचारिक वर्गों के लोगों से इस बारे में कोई चर्चा नहीं की गई। अगस्त 2019 की शाम से राज्य में सुरक्षा और सूचना पर जो अभूतपूर्व स्तर का शिकंजा कसा गया हैउससे ये बात ज़ाहिर हो गई है कि सरकार असहमति और लोकतांत्रिक मतभेद से किस क़दर घबराई हुई है।

हमभारत के नागरिक जो लेखककलाकारमीडिया के सदस्य और सांस्कृतिक कार्यकर्त्ता हैंजम्मू कश्मीर में सरकार द्वारा उठाए गए इस ग़ैर-लोकतांत्रिक और असंवैधानिक क़दम की निंदा करते हैं। हम अपनी बुनियादी संवैधानिक संघीयता का हनन करते हुए राज्य और जनता को बांटने के सरकार के इस फ़ैसले की निंदा करते हैं। हम सदियों से प्रताड़ना झेल रहे राज्य के लोगों पर लगाई गई इस घेराबंदी की निंदा करते हैं।

हम मांग करते हैं कि जम्मू-कश्मीर से घेराबंदी हटाई जाए। और सभी बुनियादी आज़ादी अभिव्यक्ति की आज़ादीसंचार और मीडिया की आज़ादी को तुरंत वापस किया जाये। हम 370 और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस करने की मांग करते हैं। हम कश्मीरी अवाम के साथ अपनी एकजुटता ज़ाहिर करते हुए अपने साथी नागरिकों से मांग करते हैं कि वो आगे आएं और जम्मू-कश्मीर के स्वराज्य और आज़ादी पर हो रहे इन सत्तावादी हमलों का विरोध करें।

मूल बयान और हस्ताक्षर कर्ताओं के नाम पढ़ने के लिए क्लिक करें : https://indianculturalforum.in/2019/08/16/over-200-writers-and-cultural-activists-respond-to-the-kashmir-situation-this-is-a-mockery-of-democracy/

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