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बिहार में ज़हरीली शराब से 5 लोगों की मौत, 7 बीमार

साल 2022 में ज़हरीली शराब पीने से 150 लोगों की मौत हुई थी।
bihar
प्रतीकात्मक तस्वीर। 

बिहार में इस वर्ष सिवान में जहरीली शराब पीने से मौत का पहला मामला सामने आया है जहां पिछले 24 घंटो में 5 लोगों की मौत हो गई। छह से अधिक लोग सरकारी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। महाराज सब-डिवीज़न के अंतर्गत भोपतपुर पंचायत के बाला गांव में हुई इस घटना ने शराब के अवैध व्यापार की पोल खोल दी है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले बिहार में शराबबंदी की सफलता के दावे करते रहें लेकिन ये इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। गौरतलब है कि जब आबकारी अधिकारियों और पुलिस ने रविवार को दरभंगा जिले के एक घर में छापा मारा तो वहां अवैध शराब निर्माण कर रहे लोगों ने छह पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। उनकी गाडियों में भी तोड़-फोड़ की।

हाल के महीनों में, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब निर्माता और व्यापारी कई बार पुलिस टीम पर हमला कर चुके हैं। पुलिस हर महीने सैकड़ों लीटर शराब सीज करती है।

सिवान जिले के जिला अधिकारी अमित कुमार जहरीली शराब से मौत होने की पुष्टि नहीं की है। उनका मीडिया से कहना है कि प्रशासन अभी मामले की जांच कर रहा है और जब तक पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो जाती तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है।

जिला सिविल सर्जन कार्यालय के एक अधिकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सदर अस्पताल में 12 लोग उनके परिवारों द्वारा लाए गए थे। एक की रास्ते में ही मौत हो गई थी। दो की अस्पताल में मृत्यु हुई और दो की मौत उस समय हुई जब उन्हें पटना मेडिकल हॉस्पिटल एंड हॉस्पिटल में ले जाया जा रहा था। 7 लोगों का अभी इलाज चल रहा है।

गांव वालों और पीड़ितों के परिवार वालों के अनुसार मृतकों ने देसी दारु पी थी, जो कि सस्ती और आसानी से उपलब्ध होती है, शराब पीने के बाद उन्होंने बेचैनी, पेट दर्द, उलटी, कमजोरी और नजर धुंधली होने की बात कही।

फूलमती देवी ने फोन पर न्यूज़क्लिक को बताया कि, “मेरे पति राजदेव रावत ने शनिवार को जहरीली शराब पी थी। एक दिन बाद उन्होंने पेट में दर्द और नजर धुंधली होने की शिकायत की। रविवार शाम को उनकी हालात बिगड़ गई और उन्हें स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया और बाद में पटना रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।“

फूलमती छोटे-छोटे छह बच्चों की मां हैं उनका कहना है कि अवैध शराब ने परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति हम से छीन लिया।

सोहेला देवी कहती हैं, “अब हमारे पास आजीविका का कोई साधन नहीं है। हमें अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करना होगा।“ उनके पति धुरेंद्र मांझी की पटना अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई।

गुस्साए गांव वाले स्थानीय पुलिस पर आरोप लगाते हैं कि अवैध शराब का व्यापार उनके गांव और आसपास के क्षेत्रों में हो रहा है। शराब बंदी सिर्फ कागजों पर हुई है। शराब हर जगह मिल रही है। पर पुलिस शायद ही कहीं इन शराब निर्माताओं और व्यापारियों के खिलाफ एक्शन लेती है।

जहरीली शराब पीने से वर्ष 2022 में 150 लोगों की मौत हुई थी। दिसंबर महीने में सारण जिले में कथित तौर पर 80 लोगों के जहरीली शराब पीने से मारे जाने की खबर थी लेकिन सरकार ने मरने वालों की संख्या सिर्फ 38 बताई थी।

सात सालों से अधिक समय में एक के बाद एक जहरीली शराब की कई घटनाएं हुई हैं। यह सब तब है जब अप्रैल 2016 से बिहार में शराब का निर्माण, भंडारण, आयात-निर्यात, बिक्री और खपत पर प्रतिबंध है।

सरकार द्वारा ड्रोन और मोटरबोट्स के इस्तेमाल के बाबजूद बिहार में शराब का व्यापर फल-फूल रहा है।

अधिकारियों के मुताबिक, ''सुरक्षाकर्मियों की एक टीम को इलाके में तैनात कर दिया गया है। संबंधित थाना ने मामला दर्ज किया है और जांच की जा रही है। मामले में अब तक कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।’’

इस घटना के बाद बिहार विधानसभा में आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। विपक्षी नेताओं ने जहरीली शराब पीने से होने वाली मौत की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला था।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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