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5 साल में 6 बजट, लेकिन मिला क्या?

मोदी सरकार का अंतिम साल। संवैधानिक प्रथाओं के तहत तो यह होना चाहिए था कि मोदी सरकार अपने तीन महीने के खर्चे का ब्यौरा रखती। लेकिन सत्ता की राजनीति इन प्रथाओं का ख्याल नहीं रखती है। इस पर बारीकी से बात कर रहें हैं आर्थिक विश्लेषक प्रोफेसर प्रवीण झा...

मोदी सरकार का अंतिम साल। संवैधानिक प्रथाओं के तहत तो यह होना चाहिए था कि मोदी सरकार अपने तीन महीने के खर्चे का ब्यौरा रखती। लेकिन सत्ता की राजनीति इन प्रथाओं का ख्याल नहीं रखती है। जाते-जाते मोदी सरकार ने एक पूरा बजट पेश कर दिया। यानी काम के पांच साल लेकिन बजट पेश किया छह बार। इस पर बारीकी से बात कर रहें हैं आर्थिक विश्लेषक प्रोफेसर प्रवीण झा...

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