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दुनिया भर के शिक्षाविदों ने यूरोपीय संघ से इज़रायल के विश्वविद्यालयों की फंडिंग रोकने की अपील की

इस पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने यूरोपीय संघ से अपने नियमों का विस्तार करने का आग्रह किया है जो कि क़ब्ज़े वाले फिलीस्तीनी क्षेत्रों में इज़रायली संस्थानों को अनुसंधान निधि देने पर रोक लगाते हैं।
शिक्षाविद

दुनिया के कुछ सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे ऑक्सफोर्ड और एमआईटी के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने एक नए पत्र में यूरोपीय संघ से 100 बिलियन डॉलर से अधिक के यूरोपीय संघ के अनुसंधान वित्त पोषण कार्यक्रम के माध्यम से इजरायल के विश्वविद्यालयों द्वारा अनुसंधान के फंडिंग को रोकने का आग्रह किया है। इस पत्र में कहा गया है कि जब तक इजरायल के शैक्षणिक संस्थान अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के संबंध में यूरोपीय संघ के वित्त पोषण कार्यक्रमों के दिशानिर्देशों और आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं तब तक यूरोपीय संघ को "अपने लाभ उठाने का प्रयोग" करना चाहिए और फंडिंग को रद्द करना चाहिए।

21 विभिन्न देशों के शिक्षाविदों ने कहा कि इजरायली विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थान इजरायली सेना और हथियारों के निर्माण के साथ सक्रिय रूप से भागीदार हैं और सहयोग करते हैं और इसलिए कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में रहने वाले फिलिस्तीनियों के खिलाफ कब्जा, विस्थापन, युद्ध अपराधों और हिंसा के अन्य रूपों में शामिल हैं।

इस पत्र में कहा गया कि "हम मानते हैं कि कुछ सबसे प्रमुख मानवाधिकार संगठनों के बीच उभरती आम सहमति को देखते हुए, समस्या की जड़ कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र से परे है। यूरोपीय अनुसंधान फंड को रोकना महत्वपूर्ण होगा ताकि इजरायल के संस्थानों को इजरायल के फिलिस्तीनी मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल किया जा सके, चाहे वे कहीं भी स्थित हों।

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय (एनवाईयू) के 400 सहयोगियों द्वारा हस्ताक्षरित इसी तरह के एक पत्र को मई के महीने में प्रकाशित किया गया था। इसने गाजा पर हवाई हमले और वेस्ट बैंक में हिंसा के मद्देनजर तेल अवीव के एनवाईयू के साथ "असहयोग" का भी आह्वान किया था।

अकादमिक और सांस्कृतिक रूप से इजरायल का बहिष्कार करना इजरायल कब्जे को समाप्त करने और फिलिस्तीनी अधिकारों का सम्मान करने के लिए दबाव डालने के लिए हाल के महीनों और वर्षों में एक महत्वपूर्ण तरीका बन गया है जिसमें दुनिया भर के लोग, एक्टिविस्ट और अन्य लोग फिलिस्तीनी मामले का समर्थन करते हैं और फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हैं जो निरंतर जातिवाद, भेदभाव, हिंसा और नस्लीय हत्या के खतरे में जी रहे हैं।

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