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अडानी रियल एस्टेट जेवी पर अवैध मुनाफाखोरी का आरोप

राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-विरोधी प्राधिकरण ने आरोप लगाया है कि अडानी रियल्टी और एम2के गठजोड़ के संयुक्त उद्यम ने हरियाणा के गुरुग्राम में 400 से अधिक अपार्टमेंट-मालिकों को कर लाभ नहीं देकर अवैध मुनाफा कमाया है।
Adani

दिसंबर 2012 में अडानी समूह की रियल एस्टेट विंग अडानी रियल्टी ने दिल्ली स्थित एम2के समूह के साथ एक संयुक्त उद्यम (जेवी) की घोषणा की थी। जेवी, जिसे अडानी+ एम2के प्रोजेक्ट्स भी कहा जाता है, की नीव हरियाणा के गुरुग्राम में ओएस्टर ग्रांड नामक एक आवासीय परियोजना को विकसित करने के लिए की गई थी, जिसमें लगभग 1,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल था।

महेश भागचंदका की मिल्कियत वाला एम2के समूह जैव प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, रियल एस्टेट, मल्टीप्लेक्स, विमानन और रक्षा उपकरणों के व्यवसाय में भी शामिल है। इसने जून 2015 में तब सुर्खियां बटोर ली थी जब इसने न्यूजीलैंड-स्थित मार्टिन एयरक्राफ्ट कंपनी को "जेटपैक" बेचने का सौदा किया था, जो एक ऐसा उपकरण है जिसे व्यक्ति अपनी पीठ पर पहन कर हवा में गोते मार सकता है। यह समूह दिल्ली राजधानी के पीतमपुरा और रोहिणी में सिनेमा हॉल भी चलाता है।

भारत में दूसरे सबसे धनी व्यक्ति गौतम अडानी, जिनकी मिल्कियत वाला अडानी समूह कृषि-रसद, कोयला खनन, कोयला आयात, बिजली उत्पादन और वितरण, सौर ऊर्जा, बंदरगाहों, रक्षा, एयरोस्पेस, रियल एस्टेट में और खाद्य तेल व अन्य क्षेत्रों में व्यवसाय करता है। अदानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है।

अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स 30 अगस्त, 2018 से कर अधिकारियों के संदेह के घेरे में हैं, तब, जब ओएस्टर ग्रांड में एक फ्लैट खरीदार अमित टंडन ने हरियाणा राज्य स्क्रीनिंग कमेटी जो हरियाणा सरकार के अधीन है को शिकायत की और जो इस बात की जांच की मांग की कि क्या जीएसटी के तहत दिया गया लाभ उपभोक्ता को दिया गया है या नहीं।

अमित टंडन ने अपनी शिकायत में समूह पर आरोप लगाया है कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) लागू होने के बाद अदानी+एम2के प्रोजेक्ट्स ने उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं दिया, जो उन्हे अपार्टमेंट की कीमत में कमी के अनुपात मिलना था। जीएसटी अधिनियम, 2017 के पारित होने से पहले उन्होंने 21 जून, 2016 को ओएस्टर ग्रांड में एक फ्लैट खरीदा था।

स्क्रीनिंग कमेटी इस नतीजे पर पहुंची कि हाउसिंग प्रोजेक्ट के डेवलपर पर कम टैक्स का बोझ 1.25 करोड़ रुपये (ब्याज को छोड़कर जो बकाया है) सीजीएसटी अधिनियम की धारा 171 (1) के तहत ग्राहकों को दिया जाना था।

अधिनियम की धारा में कहा गया है कि: "वस्तुओं या सेवाओं की किसी भी आपूर्ति पर कर में दी छूट (या इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ) को प्राप्त करने वाले लाभ को कीमतों में कमी के माध्यम से उपभोक्ता को दिया जाना चाहिए।"

समिति ने तब टंडन की शिकायत को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग के तहत काम करने वाली राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (NAA) में एंटी-मुनाफाखोरी की स्थायी समिति की सिफारिश के साथ भेजा।

एनएए के सर्वेसर्वा बीएन शर्मा हैं, जिन्होंने दो तकनीकी सदस्यों समेत, जेसी चौहान और अमंद शाह और प्राधिकरण सचिव एके गोयल के साथ मिलकर इस आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं।

टंडन की शिकायत की विस्तृत जाँच करने के लिए एनएए के तहत काम करने वाली संस्था के महानिदेशक-मुनाफाखोरी विरोधी (DGAP) को भेज दिया गया। जांच की अवधि सीजीएसटी अधिनियम के कार्यान्वयन की तारीख से थी, यानी 1 जुलाई, 2017 से 31 दिसंबर, 2018 तक।

अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, डीजीएपी ने पाया कि अतिरिक्त आईटीसी से 1.51 प्रतिशत की बढ़त के साथ कैलेंडर वर्ष 2018 के अंत तक मिले लाभ को फ्लैटों के खरीदारों को पारित नहीं किया गया है।

दिनांक 18 दिसंबर, 2019 के एनएए के आदेश में कहा गया है कि:... आईटीसी के अतिरिक्त लाभ के कारण जीएसटी मूल को 1.51 प्रतिशत तक कम नहीं करने की वजह से और जीएसटी के पूर्व मूल मूल्य पर 12 प्रतिशत शुल्क लगाने से, प्रतिवादी यानि .. अडानी+एमके2प्रोजेक्ट्स ने (...) सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 171 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

दिलचस्प बात यह है कि एनएए को दिए अपने लिखित बयान में, अदानी+एम2के प्रोजेक्ट्स ने कहा है कि वह "डीजीएपी की रिपोर्ट से सहमत नहीं है" लेकिन किसी भी "नकारात्मक प्रचार और अनावश्यक मुकदमेबाजी" से बचने के लिए, वह डीजीएपी की रिपोर्ट में पाई गई मुनाफाखोरी और किए गए "हिसाब  को स्वीकार करने के लिए तैयार" है।

जेवी ने इस बात का भी दावा किया है कि द्वारका एक्सप्रेसवे पर स्थित गुरुग्राम के सेक्टर 102 के ओएस्टर ग्रांड हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में अपार्टमेंट के खरीदारों को कथित रूप से अवैध तरीके से हासिल लाभ का 30 प्रतिशत हिस्सा पहले ही दे दिया गया था।

एनएए के आदेश में हालांकि कहा गया है कि अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स ने केवल अमित टंडन सहित पांच खरीदारों को ही क्रेडिट नोट जारी करने का प्रमाण पेश किया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि डेवलपर ने इस बात का कोई सबूत पेश नहीं किया जिसमें ओएस्टर ग्रांडे अपार्टमेंट के अन्य खरीदारों को क्रेडिट नोट दिया गया हो – जबकि आवास परिसर में फ्लैटों के 400 से अधिक खरीदार हैं।

एनएए ने यह भी कहा है कि अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स की कुल अतिरिक्त ITC की गणना नहीं की जा सकी चूंकि अभी तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है। प्राधिकरण ने निर्देश दिया है कि " कब्ज़ा प्रमाणपत्र जारी करने के समय व्यापक जांच" की जाए। चूंकि डीजीएपी की जांच की अवधि दिसंबर 2018 के अंत तक है, इसलिए अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स द्वारा प्राप्त आईटीसी के किसी भी अतिरिक्त लाभ को अपार्टमेंट खरीदारों को पारित करना होगा।

एनएए के आदेश में यह भी कहा गया है कि डेवलपर "जाहिरा तौर पर" उत्तरदायी और उस पर जुर्माना लगाना चाहिए डीजीएपी को आदेश दिया है कि वह अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स को नोटिस जारी करे वह बताए कि रियल एस्टेट कंपनी पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए।

अडानी+एम2के के प्रोजेक्ट्स की आधिकारिक वेबसाइट में निम्नलिखित खंडन दिए गए हैं: “यह वेबसाइट अपडेट होने की प्रक्रिया में है। इस वेबसाइट का उपयोग करके, दर्शक या उपभोक्ता इस बात की पुष्टि करता है कि वह इस वेबसाइट पर ब्रोशर और मार्केटिंग कोलाटरलस की जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए कर रहा है और कंपनी के किसी भी प्रोजेक्ट में बुकिंग/खरीदारी करने के लिए इस सूचना पर निर्भर नहीं है। इस वेबसाइट पर ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे कंपनी द्वारा किसी भी परियोजना में कोई इकाई खरीदने के लिए विज्ञापन, विपणन, बुकिंग, बिक्री या प्रस्ताव के रूप में पेश किया गया है। कंपनी इस वेबसाइट पर इस तरह की सामग्री/सूचना पर भरोसा करने वाली किसी भी कार्रवाई के परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं है।"

एनएए के आदेश के तहत अडानी+एम2के प्रोजेक्ट्स को 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है, जिसे तीन महीनों के भीतर-भीतर ब्याज सहित 400 से अधिक अपार्टमेंट खरीदारों को देना है।

गुरुवार, 26 दिसंबर की रात को, इस लेख के लेखकों ने ई-मेल के जरिए गौतम अदानी को एक प्रश्नावली भेजी थी, उस कर्मचारी के ज़रीए जो अडानी समूह के कॉर्पोरेट संचार विभाग और आधिकारिक वेबसाइ की  ई-मेल पर अदानी+एम2के प्रोजेक्ट्स के लिए काम करता है।

जो सवाल हमने उनसे पूछे वह कि क्या हमारे लेख में निहित तथ्य सही हैं? और क्या संयुक्त उद्यम (जेवी) के मालिक एनएए के आदेश को कानूनी रूप से चुनौती देंगे। इस लेख के प्रकाशन के समय तक, किसी से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली जिन्हे हमने ई-मेल भेजा था। जब भी उनकी प्रतिक्रिया मिलेगी हम इस लेख को फिर से अपडेट करेंगे।

दोनों लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं। 

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Illegal Profiteering Charge on Adani Real Estate JV

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