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अफगानिस्तानः ईरान की सीमा पर नदी में प्रवासियों के डूबने को लेकर सैकड़ों लोगों ने विरोध किया

ईरान-अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित नदी से क़रीब अठारह शव को निकाला गया जिनके जिस्म पर यातना के निशान थे जबकि छह लोगों का अभी पता नहीं हैं। इस घटना की जांच का आदेश अफगान की सरकार ने दिया है। उधर विरोध कर रहे लोगों ने इस घटना के लिए ईरान के अधिकारियों को दोषी ठहराया है।
अफगानिस्तान

अफगानिस्तान में लॉकडाउन लागू होने के बावजूद सोमवार 11 मई को पश्चिमी हेरात शहर में ईरानी परिषद के सामने लोग एकत्र हो गए। इन लोगों ने अफगान प्रवासियों के डूबने के ख़िलाफ़ विरोध किया जिन्हें कथित तौर पर ईरानी सीमा के सैनिकों द्वारा हरिरूद नदी में जाने के लिए मजबूर किया गया। एक्टिविस्ट ने कहा कि ये श्रमिक काम करने के लिए गए थे और कथित तौर पर ईरानियों द्वारा मार दिए गए और नदी में फेंक दिए गए।

एक प्रदर्शनकारी आरिश बशीर ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र सहित मानवाधिकार संगठनों से ईरानी पुलिस द्वारा नदी में प्रवासियों के डूबाने के मामले की जांच करने की मांग करते हैं।" नाराज प्रदर्शनकारियों ने हेरात प्रांत में वाणिज्य दूतावास के बाहर "राष्ट्रपति रोहानी मुर्दाबाद, अयातुल्ला खामेनी मुर्दाबाद" जैसे नारे लगाए।

नदी से क़रीब अठारह शव को निकाला गया जिनके जिस्म पर यातना के निशान थे, जबकि अफगान अधिकारियों ने इन प्रवासियों पर अवैध रूप से सीमाओं को पार करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। गुलनार प्रांत के गवर्नर अब्दुल गनी नूरी ने माना है कि कुल 55 प्रवासियों को नदी में जाने के लिए मजबूर किया गया था। गवर्नर ने कहा, "उनमें से छह अभी भी लापता हैं।"

ईरानी अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया है कि इसके सुरक्षा बल इन प्रवासियों की मौत में शामिल थे। इस घटना में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है जो कि स्पष्ट तौर पर अफगान क्षेत्र में हुई है। इस घटना ने अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को ईरानी सीमा पर कई देशवासियों की मौत के बारे में गहन जांच पड़ताल करने के लिए दस सदस्यीय टीम बनाने के लिए मजबूर किया है।

दशकों के युद्ध और रोज़गार के अवसरों की कमी के कारण बड़ी संख्या में अफगान के लोग नियमित रूप से अपनी आमदनी के लिए ईरान की सीमा पार करते हैं। ईरान के अधिकारियों के अनुसार ईरान में दस लाख लोग अफगान शरणार्थी के रूप में पंजीकृत हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ईरान में बिना दस्तावेज़ के लगभग दो मिलियन अफगानी रहते हैं।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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