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अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी पर फर्जी सोशल मीडिया एकाउंट्स के ज़रिये अपनी सत्ता को मज़बूत करने का आरोप है। लेकिन वे अफ़्रीका में अकेले नहीं हैं। क्या महाद्वीप में सोशल मीडिया लोकतंत्र के लिए एक ख़तरा बनता जा रहा है?
Yoweri Museveni
युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी से संबंधित कुछ सरकारी अकाउंट को फ़ेसबुक और ट्विटर ने बंद कर दिया है।

2021 की शुरुआत में फ़ेसबुक (मेटा) ने युगांडा के राष्ट्रपति योवेररी मुसेवेनी की सत्ताधारी पार्टी नेशनल रसिस्टेंस मूवमेंट (एनआरएम) से जुड़े 20 से ज़्यादा खातों को बंद कर दिया था। कुछ वक़्त बाद ट्विटर ने भी इस कार्रवाई का पालन करते हुए सरकार समर्थक प्रोपगेंडा फैलाने वाले 3,500 खातों में से 11 फ़ीसदी को बंद कर दिया था। 

इस तरह, युगांडा में करीब़ 440 सरकार समर्थक खातों को अब तक सोशल मीडिया नेटवर्क बंद कर चुके हैं।

ट्विटर और फ़ेसबुक दोनों ने ही युगांडा सरकार पर सोशल मीडिया के उपकरणों का इस्तेमाल कर मनमुताबिक़ जनमत में छेड़छाड़ करने, गलत जानकारी फैलाने और विपक्षियों को धमकाने का आरोप लगाया है। फ़ेसबुक ने यह भी कहा है कि युगांडा सरकार का सूचना मंत्रालय रणनीतिक तौर पर, प्रोपगेंडा फैलाने के लिए "फर्जी अकाउंट" का सहारा ले रहा है। 

कुछ अफ्रीकी सरकारें अपने नागरिकों की जासूसी करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही हैं।

तानाशाहों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला नया उपकरण

जब फ़ेसबुक ने कार्रवााई की, तो राष्ट्रपति मुसेवेनी के प्रेस सचिव डॉन वांयामा ने फ़ेसबुक पर युगांडा में 2021 के चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। डॉन वांयामा का खाता भी फ़ेसबुक ने बंद किया था।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "उन विदेशी ताकतों को शर्म आनी चाहिए जिन्हें लगता है कि वे एनआरएम समर्थकों के खातों को बंद कर युगांडा में कठपुतली सरकार बनवा सकते हैं।" वहीं ट्विटर ने एक वक्तव्य में कहा कि ज़्यादातर मामलों में अकाउंट्स को हमारी नीतियों के उल्लंघन के लिए बंद किया गया है।

ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक़, पिछले कुछ सालों में राजनीतिक संगठनों द्वारा सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने की घटनाओं में बहुत इज़ाफा आया है। रिपोर्ट कहती है कि 2017 में 28 देशों में गलत और भ्रामक जानकारी का अभियान चलाया गया था। तीन साल बाद यह आंकड़ा बढ़कर 81 हो गया है।

डी डब्ल्यू के एक इंटरव्यू में युगांडा के मानवाधिकार कार्यकर्ता निकोलस ओपियो ने कहा, "झूठी ख़बरों का प्रसारण एक असली समस्या है। यह दिक्कत उन देशों में ज़्यादा हो रही है, जहां के नेता अपनी छवि को सोशल मीडिया पर बचाए रखने के लिए ज़्यादा आतुर हैं।"

ओपियो के मुताबिक़, इसके लिए बोट्स (फर्जी अकाउंट) और ट्रोल्स, कंप्यूटर प्रोग्राम और भुगतान किए गए उपयोगकर्ताओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो फर्जी अकाउंट से सोशल मीडिया पर सरकार समर्थक पोस्ट की बाढ़ लगाते हैं।

अफ्रीका में लगाए गए प्रतिबंध

युगांडा के पड़ोसी देश तंजानिया में ट्विटर ने भी ऐसी ही कार्रवाई करते हुए 268 अकाउंट को "बुरी मंशा वाली रिपोर्ट" फैलाने के लिए हटा दिया था, यह फर्जी जानकारियां तंजानिया की मानवाधिकार संस्था फिशुआ तंजानिया और उसके संस्थापक के बारे में फैलाई गई थी। 

#EndSARS हैशटैग के बाद नाइजीरिया ने अपने देश में ट्विटर पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इस बीच पश्चिमी अफ्रीका से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अफ्रीका विशेषज्ञ फ्रांजिस्का उल्म-डशटेरहोफ्ट ने डी डब्ल्यू को जर्मनी में बताया, "नाइजीरिया में राष्ट्रपति मुहम्मद बुहारी ने जून में #EndSARS आंदोलन के कार्यकर्ताओं की आलोचना की थी और उनके खिलाफ़ कार्रवाई की बात कही थी। लेकिन ट्विटर ने राष्ट्रपति के इस कार्रवाई वाले ट्वीट को हटा दिया। जवाब में बुहारी की सरकार ने नाइजीरियाई लोगों की ट्विटर तक पहुंच खत्म करक दी।"

#EndSARS आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया पर सक्रिय नाइजीरियाई युवाओं ने की थी, जो सरकार पर नाइजीरिया के विवादास्पद स्पेशल एंटी-रॉबर्स स्क्वाड (SARS) को खत्म करने के लिए दबाव बनाना चाहते थे। इस अभियान में नाइजीरिया में बेहतर प्रशासन की अपील भी की गई थी। 

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध: कुलीनों द्वारा ज़्यादा कड़ी कार्रवाई

युगांडा में भी सरकार वहां के लोगों को ऑनलाइन सूचनाएं लेने से हतोत्साहित कर रही है। इसके लिए मोबाइल डेटा पर भारी-भरकम कर लगाया जा रहा है। सरकार वहां कुछ वक़्त के लिए थोड़े सोशल मीडिया को पूरी तरह से बंद करने से भी नहीं डरती। एक साल पहले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ऐसा ही किया गया था। 

युगांडा में इंटरनेट टैक्स प्रस्ताव का भारी विरोध

जब यह प्रस्ताव आया तो युगांडा के विदेश मंत्री सैम कुतेसा ने शुरुआत में इस कदम का समर्थन यह कहते हुए किया कि फ़ेसबुक और ट्विटर सरकार से जुड़े अकाउंट को बंद कर रही हैं। इस तरह उन्होंने सोशल मीडिया को बंद करने की कार्रवाई को बदले में की गई कार्रवाई दिखाने की कोशिश की। लेकिन 16 जनवरी को चुनाव के बाद कुतेसा ने कहा कि शटडॉउन "खराब भाषा और हिंसा के उकसावों को रोकने के लिए जरूरी कदम था।"

युगांडा के पत्रकार और राजनीतिक सलाहकार एंजेला इज़ामा इस कदम को "अतिरेक कार्रवाई" बताते हैं, जिसकी जड़ युगांडा में गहराई तक समाए पितृसत्तात्मक विश्वासों में है। इज़ामा कहती हैं, "राजनीतिक नेतृत्व, खासकर अफ्रीका के सहारा क्षेत्रों में, उस पीढ़ी से आता है, जहां समाज का ढांचा इस तरीके से बनाया गया है जहां बेटा अपने पिता की बात का विरोध नहीं करता।"

इज़ामा ने डी डब्ल्यू को बताया, "अगर बेटा ऐसा करता है, तो उसे सजा दी जाती है। और राज्य व नागरिकों के बीच भी संबंध ऐसा ही है।"

लेकिन इज़ामा यह भी कहते हैं कि अब समाज बदल रहा है। लोग, खासकर युवा अब इंटरनेट की मदद से कानून और प्रतिबंधों पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और सरकार या किसी निजी संस्थाने के बारे में अपना मत जाहिर करते हैं।

युगांडा के मानवाधिकार वकील निकोलस ओपियो कहते हैं कि कई तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल जनता को फुसलाने के लिए करते हैं।

सोशल मीडिया के ज़रिए निगरानी

2021 में बुर्खिनो फासो, दक्षिणी सूडान, सेनेगल, कांगो, जाम्बिया, चैड, इथियोपिया, नाइजीरिया और सूडान में भी सोशल मीडिया शटडॉउन की घटनाएं हुईं। इसके लिए भी वज़ह राजनीतिक घटनाएं थीं, जहां विरोध प्रदर्शन, चुनावों और राजनीतिक उथल-पुथल के चलते क्षेत्रों में इंटरनेट शटडॉउन कर जानकारी का प्रसार रोका गया। अब इस कार्रवाई का कहीं अंत होता भी नज़र नहीं आता। 

राजनीतिक सलाहकार एंगेलो इज़ामा कहती हैं, "सत्ताधारियों को यह समझने में थोड़ा वक़्त लगेगा कि आज के युवा लोग चाहते हैं कि वे संबंधित मुद्दे पर उनके साथ बैठकर संवाद करें। इसमें भी अभी देर है कि सत्ताधारियों को यह समझ आए कि आलोचना को खत्म करने के लिए सर्विलांस सही तरीका नहीं है।"

इस बीच कुछ सरकारें तो एक कदम आगे बढ़कर इंटरनेट के बहाने अपने नागरिकों को सीधा निशाना बना रही हैं। एमनेस्टी विशेषज्ञ उल्म-डसटेरहोफ्ट ने डी डब्ल्यू को बताया, "सरकारों द्वारा जासूसी के लिए सॉफ्टवेयर लाए जा रहे हैं और उन्हें मोबाइल में डाला जा रहा है। उदाहरण के लिए हमने पिछले साल टोगो और रवांडा में इसका दस्तावेजीकरण किया है। पहले "ई-मेल अटैचमैंट" के ज़रिए ऐप डॉउनलोड करवाई जाती हैं, फिर सॉफ्टवेयर खुद ही स्मार्टफोन, कैमरा और सोशल मीडिया तक पहुंच बना लेता है।"

मानवाधिकार कार्यकर्ता फ्रांजिस्का उल्म-डस्टेरहोफ्ट लोगों को अज्ञात ऐप को डॉउनलोड करने में सावधानी बरतने का सुझाव दे रही हैं।

फ्रांजिस्का लोगों से किसी भी अज्ञात ऐप को डॉउनलोड न करने, किसी भी फर्जी लगने वाले सोशल मीडिया अकाउंट का गौर से परीक्षण करने की अपील करती हैं। फ्रांजिस्का कहती हैं कि अगर फिर भी लोगों को शक रहता है तो उन्हें ऐप बनाने वालों से संपर्क करने की कोशिश करनी चाहिए। 

ख़तरे और मौके

"साउथ अफ्रीका इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल अफेयर्स" द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इंटरनेट शटडॉउन और सोशल मीडिया पर आलोचनात्मक विचार रखने वालों को सरकारों द्वारा गिरफ़्तार करवाना यह दर्शाता है कि सहारा क्षेत्र में कुछ देशों में सरकारें लगातार तानाशाही की तरफ बढ़ रही हैं।

युगांडा में लेखक काकवेंडा रुकिराबाशैजा ने सरकार की आलोचना करने वाली टिप्पणी सोशल मीडिया पर डाली थी, जिसके चलते उन्हें हिरासत में लिया गया, जहां सुरक्षाकर्मियों पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता ओपियो कहते हैं कि इस तरह की रिपोर्टों से यह साफ़ हो रहा है कि सोशल मीडिया के बारे में पहले रखी जाने वाली राय कि "लोकतंत्र को मजबूत करने वाली एक ताकत है", वह धीरे-धीरे खत्म हो रही है। वह कहते हैं, "अब हम सोशल मीडिया से जुड़े ख़तरों को देख रहे हैं कि कैसे सोशल मीडाया का इस्तेमाल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के दमन के लिए किया जा सकता है। सोशल मीडिया दमन का एक और उपकरण बनता जा रहा है।" 

ओपियो का मानना है कि इसलिए सोशल मीडिया को नियंत्रित करने वाले नियम बनाना जरूरी है। लेकिन वे उपयोगकर्ताओं से भी जिम्मेदारी के साथ बर्ताव करने की अपील करते हैं और कहते हैं कि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया पर मिलने वाली हर चीज सही नहीं होती।

यह लेख जर्मन से चरिस्पिन वाकिडेयू ने अनुवादित किया है।

संपादन: सर्टन सैंडरसन

Courtesy: DW

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